तड़प तो किसी भी चीज की हो सकती है। चाहे वह सफलता की हो या फिर प्यार की ,सफलता में भी एक अजीब सी तड़प होती है और ज्यादा पाने की लालसा मन में बनी रहती है, जिसको जब जो चीज मिल जाती है ।उसमें उसको संतुष्टि नहीं मिलती मिलनी भी नहीं चाहिए क्योंकि, अगर व्यक्ति संतुष्ट हो जाएगा तो वह अपनी महत्वाकांक्षा को खो देगा और जब उसकी महत्वाकांक्षा ही खो जाएगी तो वह सफलता की चोटी पर नहीं पहुंच पाएगा? आज सौरभ के मन में सफलता की तड़प ना होकर प्यार की तड़प है। इसी कारण वह निर्णय लेता है ।कि वह अपने बैंगलोर वाले फॉर्म हाउस में जाकर रहेगा और वहां के बिजनेस को भी आगे बढ़ाएगा, वैसे भी बैंगलोर वाली कंपनी की तरफ तो कभी ध्यान ही नहीं देता था उसका कामकाज डेविडअंकल ही देखते थे, अपने कमरे से उठकर बाहर आया और ग्रैनी के पास जाकर कहता है ग्रैनी तैयारी कर लो हम बैंगलोर शिफ्ट हो रहे हैं, ग्रैनी उसका मुंह देखने लगती है। कि अचानक आज सौरभ को क्या हो गया, तभी मैनेजर का फोन आता है सौरभ उससे बात करने लगता है और कहता है ठीक है मैं शाम की फ्लाइट से पहुंचता हूं ग्रैनी पूछती है बेटा कहीं जाना है क्या? सौरभ बोला जी ग्रैनी कहां जाना है, सौरभ कहता है बेंगलुरु जाना है बंगलुरु जाना है, ग्रैनी बोली अभी-अभी तू कह रहा था ना अब जा बंगलोर सौरभ हां ग्रैनी कुछ काम ही ऐसा आ गया है ।और तैयार होकर निकलते हुए अपनी सेक्रेटरी मीनल को फोन करके कहता है मिस मीनल शाम को बंगलुरु निकलना है ।मीनल पूछती है ,जी "सर 'कितने दिन के लिए वह बाद में पता चलेगा लेकिन सर शाम को तो हमारी मीटिंग है ,कैंसिल कर दीजिए और शाम को एयरपोर्ट पर मिलिए ओके, मीनल कुछ बोल ही नहीं पाती और मन मसोसकर रह जाती है। मन ही मन कहती है( लाड साहब पता नहीं क्यों बंगलुरु जाएंगे उनके साथ मै बिचारी भी इधर-उधर भटकती फिरु )शाम को सौरव ऑफिस से वापस आए तो उन्होंने ग्रैनी को आवाज दी बोले ग्रैनी, रेडी हो ग्रैनी ने हंसकर कहा मैं तो रेडी ही हूं तुझे ही समय लगेगा सौरभ ने अपनी घड़ी की तरफ देखा और बोला बस 5 मिनट ग्रैनी, कुछ देर बाद सौरभ तैयार होकर ग्रैनी के साथ कार में बैठकर एयरपोर्ट के लिए निकल पड़ते हैं। इधर किसी ने सौरभ सर के जाने की सूचना बंगलुरु स्टाफ को दे दी अब डेबिड अंकल विचारे सोच में पड़ जाते हैं। फिर फोन मिला कर नव्या से बात करते हैं ।और कहते हैं, मैं तुम्हारे ऑफिस आता हूं, तुम टाइम बता दो नव्या बोलती है ऑफिस से लौटते समय मैं खुद ही आपके घर आऊंगी अंकल डेविड बोले ठीक है। शाम को ऑफिस से लौटते समय नव्या डेविड अंकल के घर जाती है। हैलो अंकल" हाउ आर यू 'आते ही नव्या कहती है। नव्या को देखकर अंकल कहते हैं, आओ बैठो नव्या बोली अंकल आपने मुझे अचानक ऐसे क्यों बुलाया मिस्टर डेविड बोले बात ही कुछ ऐसी है। बेटी सौरभ सिंघानिया यहां बेंगलुरु में कुछ दिनों के लिए रहने आ रहे है, और मैं नहीं चाहता कि किसी कारणवश उसको यह बात पता चले कि मैंने तुम्हारी मदद की है। क्योंकि सौरभ सर का कोई भरोसा नहीं है। कब नाराज हो जाए और मुझे काम से निकाल दे तो इस उम्र में मैं कहां जाऊंगा नव्या अंकल आप फालतू में चिंता करते हैं। अगर वह रईसजादा निकाल भी देगा तो आप मेरे पास आ जाइएगा पापा के जाने के बाद आप ही मेरे लिए मेरी हिम्मत मेरी ताकत सब कुछ है। तभी चाय आ जाती है। नव्या कहती है अंकल चाय तो अभी घर जाकर पी लूंगी लेकिन अंकल के कहने पर वह मना नहीं कर पाती और चाय पीने बैठ जाती है। अंकल आप बिल्कुल चिंता मत करिए ,अगर किसी भी तरह से उस सौरभ सिंघानिया को पता चल ही जाता है ।तो मैंने क्या गलत किया मेरे साथ सौरभ सिंघानिया नाम तो उसी ने जोड़ा, मैं तो नहीं गई थी उससे कहने की अपने साथ मेरा नाम जोड़ लो, अब जब नाम जुड़ा है तो काम तो अपने आप जुड़ जाएगा ,और जब काम जुड़ेगा तो फैक्ट्री वगैरा तो जुड़ ही जाएगी यह कहकर ऊपर से मुस्कुरा दी लेकिन अंदर ही अंदर उसे भी यह डर सता रहा था ।कि अगर यह बात सौरभ को पता चली कि मैंनेउसी के नाम का सहारा लेकर एक दूसरी कंपनी खड़ी कर दी और उसकी मालकिन बन बैठी तो वह यह बर्दाश्त नहीं कर पाएगा लेकिन फिर मन ही मन सोचती है कि कौन बताएगा सौरभ को अपने आप तो पता लगाने से रहा अंकल बताएंगे नहीं और मेरे बताने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। डेविड बोले बेटी किस सोच में डूब गई मुस्कुराते हुए कहती है। कुछ नहीं अंकल बस यूं ही और चलने के लिए उठ खड़ी होती है अंकल से कहती हैं आप तो मुझे धीरज देते थे आज आप ही अपना धैर्य खो रहे हैं। और बाहर आकर कार में बैठती है चली जाती है। अंकल के सामने नव्या भले न कुछ बोल पाई हो लेकिन उसके मन के भीतर जो द्वंद मचा था जिसका दर्द वही समझ पा रही थी जो उसे रह-रहकर सौरभ का गुस्से वाला चेहरा याद आ रहा था लेकिन आज वह गुस्से में थी उसका डर कब गुस्से में बदल गया वह जान ही नहीं पाती, तभी गाड़ी अचानक रुकतीं है। उसका ध्यान टूटता है ड्राइवर कार का दरवाजा खोलता है। और बोलता है मैडम जी घर आ गया नव्या चुपचाप गाड़ी से उतरकर घर के अंदर चली जाती है। इधर एयरपोर्ट पर सौरभ सिंघानिया के आने की खुशी में उनका बगलोर एयरपोर्ट पर पूरा स्टाफ फूल मालाओं से उनका स्वागत करता है ग्रैनी भी बहुत खुश नजर आ रही थी। मन ही मन सोच रही थी (चलो अच्छा है नई जगह सौरभका मन थोड़ा लगेगा फिर नव्या भी तो यहां है हो सकता है ,भगवान को कुछ और ही मंजूर हो) ग्रैनी और सौरभ अपने फॉर्म हाउस आते हैं ग्रैनी बोली यह तो बड़ा फॉर्म हाउस कितने सालों से खाली पड़ा था क्या पता था की एक दिन मैं यहां रहने आऊंगी इसे तो तेरे दादाजी ने यूं ही खरीद लिया था बहुत साल पहले शुरू शुरू में जब तेरे पिता का जन्म भी नहीं हुआ था तब मैं दादा जी के साथ यहां आई थी उसके बाद से कभी नहीं आई ,सौरभ ग्रैनी की बातें चुपचाप सुनता है। फिर सौरभ ग्रैनी को लेकर फार्महाउस देखने लगता है ग्रैनी बोलती है बेटा मैं थक गई हूं और ग्रैनी एक आरामदायक कुर्सी पर बैठ गई फार्महाउस की देखरेख अशोक नाम के व्यक्ति करते हैं। जो यह चाहते ही नहीं थे कि इसका मालिक कभी यहां कर रहे क्योंकि इस फार्महाउस को उन्होंने होटल का रूप देकर बहुत पैसे बनाए थे ,जबसे सौरभ कि यहां आने की बात सुनी आनन-फानन में पूरा खाली कराना पड़ा और बहुत नुकसान झेलना पड़ा तब से अशोक के मन में बस यही था कि एकाध हफ्ते घूम कर सौरभ सर और उनकी ग्रैनी वापस चले जाए एक हफ्ता वह किसी तरह मैनेज कर लेगा, वह कहते हैं ना जब आदमी बड़ा होता है तो उसके दुश्मन भी बड़े बड़े होते हैं अशोक उन्हीं बड़े दुश्मनों में से एक था जो सौरभ सिंघानिया को बिल्कुल पसंद नहीं करता था ।और उनकी प्रॉपर्टी को दीमक की तरह चाट रहा था सौरभ इस बात से बेखबर अशोक से कहते हैं अरे वाह आपने तो मेरी फार्महाउस को इतने अच्छे तरीके से रखा है कि मन खुश हो गया जैसे लग रहा है इसकी रोज मेंटेनेंस रोज देखरेख होती हो सौरभ को क्या पता था यह बहुत आलीशान होटल हो चुका है बस आनन-फानन में उसी के लिए खाली कराया गया है अंदर आकर सौरव और ग्रैनी आराम से बैठते हैं। लेकिन सौरभ को आराम कहां था उसका मन अब और व्याकुल हो गया क्योंकि वह नव्या के और पास हो गया नव्या के शहर में उसने नव्या को तुरंत फोन लगाया नव्या आराम कर रही थी मोबाइल की घंटी बजी हाथ से टटोलते हुए उसने मोबाइल उठाया और कान में लगाकर बोली हेलो सौरभ नव्या की आवाज सुनकर उसके दिल की धड़कने तेज हो गई वो कुछ बोल नहीं सका नव्या फिर बोली हेलो आवाज आ रही हैं। सौरभ इस बार भी कुछ नहीं बोलता नव्या फोन कट कर देती है सौरभ अपना सीना पकड़ कर बैठ जाता है ।उफ्फ इतना दर्द और वही सोफे पर पैर पसार कर बैठा रह जाता है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की और हमें जरूर बताइए कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगीं , 🙏🙏🙏 क्रमशः