नव्या के घर जाने के लिए सौरभ तैयार होने लगता है तैयार होकर जैसे ही वह कमरे से बाहर निकलता है ग्रैनी पूछती है अभी अभी तो आए हो फिर कहां जाना है?
, कोई मीटिंग है क्या? सौरभ कहता है कोई मीटिंग नहीं है ।ग्रैनी तुम्हारी बहू का बुलावा आया है ,उसी के घर जा रहा हूं ग्रैनी ने कहा नव्यां ने बुलाया है,।
सौरभ ने कहा जब तक विहान की फैमिली है तब तक मैं उस घर का जमाई ही हूं ,उसके बाद भगवान ने चाहा तो मैं धीरे-धीरे सब कुछ ठीक कर दूंगा सौरभ कहता है ,ग्रैनी तुम सो जाना मेरा वेट करने के चक्कर में जागती मत रहना अगर मुझे देर होगी तो मैं खाना नव्या के यहां ही खा लूंगा,।
ग्रैनी ने सौरभ की ओर देखते हुए कहा ठीक है ,बेटा मुझे तो खुशी है कि, कुछ दिन का ही सही नव्या को तेरा साथ तो मिला सौरभ अपने मन में सोचता है ,(काहे का साथ जब तक साथ रहता हूं तब तक वह जाने क्यों गुस्सा ही रहती है। )और नव्या के घर जाने के लिए निकल पड़ता है,लगभग एक घंटे के बाद सौरभ की गाड़ी नव्या के घर पहुंच जाती है,
सौरभ देखता है घर में सभी लोग तैयार खड़े रहते हैं, सौरभ के आते ही विहान ने कहा मिस्टर सिंघानिया हम लोग आप ही का वेट कर रहे थे, चलिए अब हम लोग घूम कर आते हैं।
और सब जाने के लिए निकलते हैं। तभी विहान कि मॉम कहती हैं कि अगर किसी को एतराज ना हो तो हनी और विहान एक गाड़ी में घूमने जाएं
,मैं और नव्यां की मां की ओर देखते हुए बहन जी आप और विहान के डैडी तीनों दूसरी गाड़ी में और सौरभ की गाड़ी में तो नव्या जाएगी ही तभी निवि कहती है ,मैं दीदी के साथ जाऊंगी मुझे दीदी की गाड़ी में बैठना है, ।
सब लोग इसी क्रम से बैठ जाते हैं ,सौरभ थोड़ा गुस्साते हुए कहता है मुझे अकेले नव्या के साथ बैठने का मौका मिला था पता नहीं कहां से निवि को भी इसी गाड़ी में बैठना था,
सौरभ ड्राइवर के बगल बैठने के लिए जैसे ही दरवाजा खोलता है, तो देखता है ड्राइवर के बगल यह छोटा पवेलियन कुत्ता बैठा रहता है सौरभ घबराकर दरवाजा बंद कर देता है और कहता है यह भी चलेगा निवि ने कहा जी सौरभ जी मेरे बिना यह अकेले घर में बोर होता है ।
।इसलिए मैं जहां घूमने जाती हूं उसको जरूर लेकर जाती हूं सौरभ मन में बड़बड़ आने लगता है ,तुम बहनों को तो भगवान ने फुर्सत से ही बनाया होगा जितनी अजीब हरकतें हैं तुम ही लोगों के साथ हैं और आकर पीछे की सीट पर बैठ जाता है,।
नव्या बोली मिस्टर सिंघानिया आगे बैठकर आप हैरी को गोद में ले लेते ,सौरभ ने कहा मुझे कुत्तों से बहुत एलर्जी है मैं कुत्तों को ले गोद में लेना तो बहुत दूर की बात है मैं उन्हें छू भी नहीं सकता,
नव्या मन ही मन कहती है हां आपको तो इंसानों से भी एलर्जी है सौरभ ने पूछा कुछ कहा आपने नव्या बोली नहीं तो निवि को लगा हैरी को लाकर उसने शायद गलत किया निवि कहने लगी आई एम सॉरी सौरभ जी मुझे हैरी को नहीं लाना चाहिए था।
,सौरभ ने कहा ये क्या सौरभ जी , सौरभ जी लगा रखा है निवि तुम मुझे जीजू भी कह सकती हो, और हैरी की कोई बात नहीं अब आ गया है तो उसको तुम ही संभालना मुझ से थोड़ा दूर ही रखना इसको।
, निवि बोली ठीक है सौरभ जी सौरभ ने उसे फिर टोका निवि ने कहा सॉरी अब नहीं बोलूंगी सौरभ का इस तरह बोलना नव्या को जरा भी अच्छा नहीं लगा उसने सौरभ से कहा सौरभ जी बोलने में क्या बुराई है रेस्पेक्ट तो दे रही है ना ,
आपको तो सौरभ ने कहा ठीक है ऐसे ही बोलती रहें फिर बिहान की मॉम के सामने मिस्टर सिंघानिया बुलाएगी या फिर सौरभ जी मैं तो इसलिए कह रहा था ताकि इसकी आदत में शामिल हो जाए और किसी के सामने कोई मिस्टेक ना हो वैसे मुझे क्या करना है जो आप लोगों का मन हो वह बुलाइए, ।
दोनों की बहस होते देख निवि कहती है प्लीज आप दोनों लड़िए नहीं नव्या दी सौरभ जीजू ठीक कह मुझे इनको जीजू ही कहकर बुलाना चाहिए, क्योंकि अगर आदत में नहीं रहेगा तो किसी के सामने जीजू शब्द मुंह से निकलेगा ही नहीं यह सुनकर नव्या चुप हो जाती है उसे लगता है शायद सौरभ सही कह रहा है।
सबको लेकर सौरभ म्यूजियम में जाता है सभी लोग अंदर जाते हैं और म्यूजियम घूमने लगते हैं ,विहान और हनी साथ साथ रहते हैं दोनों एक दूसरे की पसंद और नापसंद को समझने की कोशिश करते हैं ।
विहान ने देखा कि हनी को सफाई बहुत पसंद है क्योंकि वह जहां जाती वहां अपने हाथों को बार-बार सेंनेटाइज करती, इसे देखकर विहान समझ जाता है, की हनी एक सफाई पसंद लड़की है ।
सौरभ को तो म्यूजियम घूमने में कोई इंटरेस्ट ही नहीं था क्योंकि वह काफी थक गया था, बस नव्या के साथ विहान की फैमिली का मन रखने के लिए चला आया था।
निवि अपने हैरी को गोद में लिए बड़े शौक से म्यूजियम घूमती रहती है, सौरभ सोचता है शुक्र है नव्या ने हैरी को गोद में नहीं लिया है ,वरना मैं तो इसके आसपास भी नहीं चल सकता था।
म्यूजियम बहुत बड़ा था घूमते घूमते काफी देर लग गई नव्या की मां की नजर घड़ी पर जाती है और वह विहान की मॉम से कहती हैं बहन जी 10:00 बज गए अब हमें घर चलना चाहिए म्यूजियम भी बंद होने वाला है ।।क्योंकि सौरभ का इंतजार करते देर हो गई थी यह लोग घर से ही देर से निकले थे इस कारण यहां देर से पहुंचे और घूमने में 10:00 बज गए सभी म्यूजियम से बाहर निकलने लगते हैं, सौरभ नव्यां के ठीक पीछे रहता है और नव्यां से धीरे से कहता है अब कहां चले मिसेज सिंघानिया नव्या पलट कर देखती है और बिना कुछ उत्तर दिए आगे बढ़ जाती है। फिर सब अपनी अपनी गाड़ी में जाकर बैठ जाते हैं हालांकि नव्या का मन सौरभ के साथ बैठने का नहीं होता किंतु निवि साथ में बैठी थी इसलिए नव्या जाकर बैठ जाती है, निवि सौरभ को जीजू जीजू कहकर बहुत सारी म्यूजियम की बातें बताती रहती है,।
नव्या को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता और वह अपना मुंह घुमा कर खिड़की की तरफ बाहर देखती रहती है सौरभ देख तो उसी को रहा था किंतु निवि की बात में हां में हां मिलाता जा रहा था। आगे जानने के लिए पढ़ते रहे तड़प तेरे प्यार की और हमें अपनी समीक्षा से जरूर बताएं आपको यह कहानी कैसी लगी 🙏🙏👍 क्रमशः