हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है, तभी इस वर्ष की सफल बिजनेस वुमन का नाम बुलाया जाता है। "'नव्या सौरभ सिंघानिया"'
सबकी निगाह उसकी ओर जाती है ,कि आखिर कौन है ॽयह लड़की नव्या सौरभ सिंघानिया तभी स्टेज पर एक बेहद खूबसूरत लड़की आती है। और हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन करती हैl छरहरी काया पर सिल्क की साड़ी में लिपटी वह बहुत ही सुंदर दिख रही थी
, गले में लंबा सा मंगलसूत्र, माथे पर बिंदी ,मांग में सिंदूर कहीं से भी वह बिजनेस वुमन तो लग ही नहीं रही थीl कुछ लोग बोलते हैं, "तो क्या यह शादीशुदा है? सौरभ जाने कहां डूबा हुआ था ,किंतु उस लड़की के मुख से ,"'हाय एवरीवन'" सुनकर ऐसा लगा ,मानो जानी पहचानी आवाज हो, आवाज की ओर उसकी नजर जाती है, ।
तो एक अजीब सी चमक उसके चेहरे पर पैदा हो जाती है, अरे यह क्या? हां यह तो नव्या है! वह एकटक उसे घूरे जा रहा था, और सोच रहा था, "बिल्कुल भी तो नहीं बदलीl नव्या" ने बोलना शुरू किया हॉल में एकदम शांति छा जाती है।
।लेकिन सौरभ का मन अशांत हो जाता है। फिर अचानक कई बार तालियों की गड़गड़ाहट से सौरभ को अपनी आंखों पर मानो विश्वास ही नहीं हो रहा था, ,कि उसके आंखों के सामने नव्या खड़ी है। लेकिन उसके मन में यह विश्वास था ,कि एक ना एक दिन उसे नव्या मिलेगी जरूर ,,,
वह उससे मिलकर अपने किए गए सभी अपराधों की माफी मांगना चाहता था। आज वह सोच रहा था, कि आखिर तुम्हारी तो कोई गलती ही ना थी फिर तुम्हें यह सजा क्यों मिली ?पर फिर भी तुमने अपने नाम के आगे मेरा नाम क्यों जोड़ा है।
क्यों आज भी तुम्हारे गले में मंगलसूत्र है? फिर भयभीत होते हुए, कहीं कोई दूसरा सौरभ सिंघानिया हुआ तो? पुरस्कार बांटें जा रहे थे, सभी बिजनेसमैन बारी बारी जाकर अपना पुरस्कार लेकर आ रहे थे, ऐसा पहली बार हुआ था, जब सिंघानिया ग्रुप के मालिक स्वयं आए हो और खाली हाथ बैठे रह गए हो
, हमेशा कोई ना पुरस्कार तो उन्हें या उनकी कंपनी को मिलता ही था। तो क्या इस बार खाली हाथ रहना पड़ेगा सिंघानिया ग्रुप को? एंकरिंग करते हुए एंकर ने सौरभ की तरफ देखते हुए चुटकी ली, सौरभ की नजरें झुक गई। प्रोग्राम लगभग समाप्ति पर था, लोग नाश्ता करने जा रहे थे।
किंतु सौरभ की निगाह तो बस नव्या को ही देख रही थी, किसी बात पर नव्या अचानक हंस पड़ती है। सौरभ देखता है ,और सोचता है कि अभी भी वही सरल मासूम बच्चों जैसी हंसी हैl नव्या ने अपनी फ्रेंड रितु को आवाज दी हाय रितु, अरे वाह! नव्या आज तो तुम सफल बिजनेसवुमन बन ही गई नव्या बोली, "यह सब तेरे और मैनेजर अंकल के बिना तो संभव ही न हो पाता,,,
," थैंक यू मेरी प्यारी दोस्त मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए" यह कहकर नव्या रितु से लिपट गई, रितु बोली "इस मुकाम तक तू खुद अपनी मेहनत से पहुंची हैl" अरे हां अंकल भी आए हैं? नहीं यार तू तो जानती है वह यहां इस शहर में कैसे आएंगे उनके ऊपर बहुत जिम्मेदारी हैl
सौरभ तो बस नव्या को ही देखता रहता है, तथा उससे अकेले मिलने की फिराक में बहुत देर तक खड़ा था, लेकिन नव्या के पास कोई ना कोई रहता और वह चाह कर भी उसके पास नहीं जा पा रहा था।
तभी ड्राइवर की आवाज आई सर, चले सेमिनार खत्म हो गया, आधे घंटे बाद आपकी मुंबई की फ्लाइट है। सौरभ लापरवाही से "कितने बजे की फ्लाइट है'। सर आधे घंटे ही बचे हैं और यहां का ट्रैफिक भी आप जानते हैं। सड़क पर भीड़ बहुत रहती है यहां से एयरपोर्ट दूर भी हैl
चले सर? सौरभ 'हूं' कहकर निकलने लगता है, तभी सेमिनार के ऑर्गेनाइजर सामने दिखाई देते हैं। अरे भाई सौरभ सिंघानिया कहां की जल्दी है, सौरभ बोला शेखावत सर मुंबई की फ्लाइट है, शेखावत ने कहा घर चलिए कई सालों बाद इस शहर में आए हैं ।
हमें भी स्वागत का मौका दीजिए कुछ दिन रुक कर फिर चले जाइएगा। अरे नहीं शेखावत जी मुंबई में मेरी एक मीटिंग है जो पहले से ही फिक्स है। अरे! कैंसिल कर दीजिए, नहीं शेखावत जी जाने दीजिए फिर कभी आएंगे,,,
कहकर सौरभ थोड़ा आगे बढ़ा फिर अचानक पलटा शेखावत जी आपसे एक बात पूछनी है, हां पूछिए जो मैडम बिजनेस वूमेन बनी है, क्या आप उन्हें जानते हैं ?अरे हम क्या आप भी जानते होंगे? हंसते हुए शेखावत ने कहा, सौरभ मन में सोचते हुए (इन्हें कैसे पता कि मैं नव्या को जानता हूं) नहीं शेखावत जी अगर जानता भी होता तो दिन भर इतने लोगों से मिलना होता है।
, कि कितने चेहरे याद रख सकूं मुझे याद नहीं आ रहा है। शेखावत बोले अरे! आपके मैनेजर की भतीजी ही तो है ।सौरभ आश्चर्य से! उसके कानों को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसके मुंह से बस यही निकला मेरे कौन से मैनेजर की भतीजी है। जी जो यहां बेंगलुरु दौरे पर अक्सर आते हैं, उन्हीं मैनेजर की भतीजी मिस्टर डेविड की भतीजी है।
सौरभ सिंघानिया को तो शेखावत की बातों का विश्वास ही नहीं हो रहा था, यह कैसे हो सकता है? कि Christian की भतीजी हिंदू लड़की? लगता है, या तो वह मैनेजर सही ही नहीं समझ रहे हैं या कुछ और ही रिश्ता होगा सौरभ का मन यहां से बिल्कुल जाना नहीं चाह रहा था।
। लेकिन ड्राइवर उन्हें बार-बार समय संबंधित सूचना दे रहा था, जिससे उन्हें ज्ञात रहे कि उनकी फ्लाइट का समय हो गया अंत में सौरभ से न रहा गया, और उसने नव्या के समीप जाने की सोची नव्या चार पांच लोगों से घिरी हुई थी। समीप जाकर "congratulation, आवाज सुनकर नव्या चौकी और शक्ल देखकर तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गई उसका चेहरा पीला पड़ गया,,,,,
जिसकी शक्ल उसने जीवन में कभी ना देखने का फैसला किया था, आज वह सामने खड़ा होकर बधाई दे रहा है, उसका मन किया कि खींचकर गाल पर एक थप्पड़ दे और पूछे कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मेरे सामने आने की ,लेकिन लोगों और मीडिया को एक मसाला मिल जाता जो वह देना नहीं चाहती थी,,,
क्योंकि उसमें उसकी भी बदनामी होती इसलिए वह चुपचाप सिर जमीन पर गड़ाएं खड़ी रही कुछ देर पहले उसका चेहरा जो चमचमा रहा था अचानक बुझ गया।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की,🙏