नव्या और उसकी फैमिली को भेजने के बाद सौरभ अपने फॉर्म हाउस में आए कुछ बचे दोस्तों और उनकी फैमिली के पास आकर बातें करने लगता है।
ग्रैनी को बैठे बहुत देर हो जाती है, इसलिए वह अंदर अपने कमरे में मीनल के साथ चली जाती है। सौरभ काफी देर तक अपने दोस्तों के साथ बैठा रहता है, ।
तभी सौरभ के दो दोस्त उसके नजदीक आते हैं ,और कहने लगे" यार सौरभ ये क्या बात हुई मुंह दिखाई के बाद सीधे नव्या जी की विदाई तुझे कम से कम आज रात के लिए नव्यां जी को रोक लेना था" , सौरभ ने सफाई देते हुए कहा कि "अरे उसे कुछ थोड़ा काम था", तो दूसरे दोस्त ने कहा "कि यहां पर भी तो वह काम हो सकता है"।
सौरभ बोला "हां तुम लोग शायद ठीक कह रहे हो मैं अभी तुरंत नव्या को फोन करके बता देता हूं" कि मैं उसे लेने आ रहा हूं , सौरभ सच में नव्यां को फोन कर देता है , नव्यां सोचती है अभी अभी तो घर पहुंची हूं, अभी तुरंत मिस्टर सिंघानिया को क्या काम हो सकता है ??
उन्हें तो एक मिनट भी चैन नहीं है,और वह फोन उठा लेती है सौरभ ने कहा नव्यां जी क्या आज रात आप हमारे फॉर्म हाउस पर रुक सकती है अगर , आपको कोई ऐतराज ना हो तो,,,,,
सौरभ की बातें सुनकर नव्यां का दिमाग खराब हो जाता है, गुस्से से फोन पर ही कहती है मिस्टर सिंघानिया मैंने जरा सी छूट क्या दे दी आपको आप तो एकदम अपने मन की सारी मुरादें पूरी करने लगे आप अपने आप को पूरी तरह से मेरे husband ही समझने लगे हैं और उसी तरह बहुत बर्ताव भी करने लगे हैं ।
सौरभ ने नव्या से कहा सॉरी अगर आपको बुरा लगा हो तो "मुझे माफ कर दीजिए" नव्या बोली "आपको समझ नहीं आ रहा है कभी सरप्राइज पार्टी organiseकर देते हैं " ।
कभी गिफ्ट और अब यह आखिर आपके दिमाग में चल क्या रहा है क्या है?? यह सब मैंने तो सिर्फ हनी की शादी तक के लिए आपको अपने घर में रहने की अनुमति दी और आपके फॉर्म हाउस में में रहने को तैयार हो गई इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मैंने आपको माफ कर दिया और आपका जो मन हो रहा है वह कर रहे हैं।
सौरभ चुपचाप सुनता रहता है अंत में नव्या कहती है मैं कहीं नहीं आ रही और आप भी मुझे लेने मत आइएगा उसके बाद नव्या फोन रख देती है।
नव्या के कमरे में एक किनारे खड़ी उसकी मां यह सारी बातें सुनती रहती है और अपने मन में सोचती हैं अगर नव्या सौरभ के करीब नहीं जाएगी तो फिर दोनों की दूरी बराबर बनी रहेगी लेकिन वह अपने मन में करती हैं कि मैं कुछ कर भी तो नहीं सकती आखिर नव्या की आत्मा में जो चोट लगी है जब तक वह घाव सौरभ नहीं भरेंगे तब तक नव्या सौरभ को कभी माफ नहीं करेगी और चुपचाप दबे पाव नव्या के कमरे से बाहर चली जाती हैं।
जैसे नव्या को पता ही ना चले कि उसकी मां ने उसकी सारी बातें सुन ली धीरे-धीरे सौरभ के सारे दोस्त जाने लगते हैं रात भी काफी हो चुकी थी आखरी दो दोस्त जब जाते हैं ,तो सौरभ ने गेट तक छोड़ने जाते हैं थोड़ी देर तक तीनों आपस में बातें करते हैं ।
फिर वह अपनी गाड़ियों में बैठ कर चले जाते हैं सौरभ जैसे ही पलट कर फॉर्म हाउस की ओर जाने के लिए आगे बढ़ता है वैसे ही अचानक से पूरे फॉर्म हाउस की लाइट चली जाती है इतना गहरा अंधेरा सौरभ को कुछ समझ नहीं आता कि अचानक से इतना अंधेरा कैसे हो जाता है, ,,,
फिर उसे महसूस होता है की जैसे कोई उसके आसपास है सौरभ आवाज देता है, कौन है लेकिन चारों तरफ से कोई आवाज नहीं आती एकदम सन्नाटा पसरा रहता है, सौरभ जब तक कुछ समझ पाता तब तक वह बेहोश हो जाता है, उसे ऐसा लगता है जैसे किसी ने उसके नाक के आसपस कोई नशीला पदार्थ सुघा दिया हो इधर ग्रैनी सुबह से फार्महाउस में पार्टी की तैयारियां देखने में थक जाती हैं उनकी आंख लग है और वह सो जाती है।
कई घंटे के बाद सौरभ की आंख खुलती है तो अपने आप को वह एक छोटे से से गैरेज में पाता है, वह चारों ओर सिर घुमा कर देखता है तो उसे वह जगह जानी पहचानी नहीं लगती सौरभ तेज तेज आवाज देता है कौन है कोई है मुझे क्यों बंद कर रखा है खोलो मुझे लेकिन कोई आवाज नहीं आती सौरभ को कुर्सी से बांध कर रखते हैं उसके दोनों हाथ पीछे बधे रहते हैं और कमर में चारों ओर रस्सी लगती रहती है जो कुर्सी से बंधी रहती है सौरव बहुत कोशिश करता है किंतु अपना हाथ नहीं छोड़ा पाता ना तो वह कुर्सी से ही नहीं पाता है, काफी देर चीखने चिल्लाने के बाद एक आदमी अपना मुंह माल से बांधकर पूरा चेहरा ढक कर आता है और कहता है कुछ चाहिए तो नहीं मिस्टर सिंघानिया सौरभ पागलों की तरह चिल्लाते हुए पूछता है कौन हो तुम और तुम्हें क्या चाहिए मुझे बताओ मैं तुम्हें वह सारी चीजें दूंगा जो तुम्हें चाहिए लेकिन उसके पहले मेरा हाथ खोल दो, बाद में बोला मिस्टर सिंघानिया तुम मुझे क्या दोगे मैं तुम्हें दे सकता हूं तुम्हारी रिहाई सौरभ ने कहा मैं तुम्हें पैसे चाहिए ले लो क्या चाहिए बताओ तो तभी उस आदमी ने कहा कि बस तुम अपना मुंह बंद रखो और मुझे कुछ नहीं चाहिए सौरभ ने कहा तुम पागल तो नहीं हो मुझे किडनैप करके तुम्हें क्या मिलेगा अगर तुमको पैसा नहीं चाहिए तो फिर मेरी किडनैपिंग क्यों ॽ वह आदमी कहता है बहुत बढ़ बढ़ कर रहा है, तुम अपना मुंह बंद नहीं कर सकते सौरभ ने कहा तुम बता तो सकते हो तुम्हें चाहिए क्या देखो जब तक तुम मुझे बताओगे नहीं तब तक मैं फोन करके तुम्हारी मांगे पूरी नहीं कर सकता तभी सौरव को याद आता है उसका फोन कहां गया वह देखने लगता है और उस आदमी से कहता है देखो मेरी जेब में मेरा फोन है वह निकाल कर मुझे दो मैं अभी के अभी फोन करके तुम्हारी मांग पूरी कर देता हूं बोलो क्या चाहिए तुमको वह आदमी सौरभ के पास आता है और उसके दोनों जेब चेक करता है जेब में कुछ नहीं रहता वह सौरभ के थोड़ा और पास आकर एक बड़ा सा टेप निकाल कर सौरभ के मुंह पर चिपका देता है और कहता है अब अपने मन में बड़बड़ करते रहो ज्यादा होशियार बन रहे थे ना अब चुपचाप बैठो और वह आदमी वहां से निकलकर बाहर चला जाता है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहें" तड़प तेरे प्यार की '"और हमें समीक्षा करके जरूर बताएं कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगी 🙏🙏👍 क्रमशः।।।।।