सोचती है पता नहीं क्यों अंकल बार-बार फोन कर रहे थे, उधर डेविड फोन उठा लेते हैं और कहते हैं सौरभ सर ने आज मुझे यह जानने के लिए बुलाया था कि तुम्हारा पति कौन है? नव्या घबराकर पूछती है, आपने क्या कहा अंकल? मिस्टर डेविड बोले कहना क्या था ढूंढने वाले तो खुदा को ढूंढ लेते हैं, मतलब? मतलब यह अगर वह तुमको चाहता होगा तो तुम्हें ढूंढ तो जरूर लेगा मैंने नहीं बताया इससे कुछ दिन तक संकट टल जरूर जाएगा, नव्या चैन की सांस लेती है, और कहती है थैंक्स अंकल आप ना होते तो मेरा जाने क्या होता मिस्टर डेविड कहते हैं, तुम्हीं ने मेरी यह जान बचाई थी अगर यह तुम्हारे थोड़ा काम आ जाए तो थैंक यू किस बात का कह कर मिस्टर डेविड ने फोन रख दिया, नव्या ।
सोचने लगी कि सौरभ डेविड अंकल तक पहुंच गया ,नव्या ने तुरंत मिस्टर अशोक को फोन किया और बोली आप अभी के अभी मेरे घर आइए मिस्टर अशोक बोले क्या हुआ मैडमॽ नव्या बोली कुछ हुआ नहीं बस आप आ जाइए, और अलमारी खोलकर कुछ कागज वगैरह ढूंढने लगती है। तभी नव्या की मां सीढ़ियों से ऊपर आती हैं। नव्या के कमरे में आते ही कहती हैं, कुछ ढूंढ रही होl नव्या बोली हां मा एक जरूरी कागज है। मा ने कहा कपड़े बदल कर फ्रेश हो जाती और कुछ खा लेती तब ढूंढती नव्या बोली मां मेरे पास बिल्कुल समय नहीं है अभी मेरे प्लेन का समय हो जाएगा इतना सुनकर मां चौकी बोली कहीं जाना है ।नव्या बोली हां मां तभी मां ने कहा बताया नहीं नव्या बोली अचानक से प्लान बना बताने का समय नहीं मिल पाया मा ने पूछा कहां जाना है ,नव्या बोली हैदराबाद , हैदराबाद का नाम सुनते ही मां नव्या की तरफ देखने लगती हैं, कहती है , अब क्या रखा है उस शहर में नव्या कहती है, सौरभ सिंघानिया की बर्बादी मां बोली तुम फिर इन सब चक्करों में पड़ गई, हम लोग शांति से एक अच्छा जीवन तो जी रहे हैं , नव्या गुस्से से लाल होकर बोली शांति से ॽ जिसको तुम शांति कहती हो वह मेरे हृदय में सांप की तरह फन निकाल कर बैठा ही रहता है, इन तीन सालों में, मेरे मन को एक पल भी शांत नहीं होने दिया और तुम हो कि शांति की बात करती हो मां तुम यह कैसे भूल सकती हो कि, आज मैं जिंदा हूं तो उसी आदमी से बदला लेने के लिए, वरना मैं तो कब का मर गई होती और आज भी एक लाश की तरह जी रही हूं जो जिंदा तो है लेकिन उसकी कोई इच्छा नहीं होती उसके कोई शौक नहीं होते अपने मन की बात किसी से कह नहीं सकती कहते कहते नव्या आवेश में आ जाती है, और रोने लगती है मां सब चुपचाप सुनती रहती है और नव्या को चुप कराते हुए कहती है। बेटा आखिर कब तक? नव्या बोली जब तक वह आदमी सड़क पर नहीं आ जाता ,उसे अपने पैसे का अपने टैलेंट का बहुत गुमान है ना, देखना मां एक दिन वह इंसान मेरे पैरों में गिर कर अपने जीवन की भीख मांगेगा, नव्या की इस तरह की बातें सुनकर मां घबरा जाती है ।और कहती है बेटी आवेश में कहीं तू कुछ ग़लत काम ना कर दे कि कल को हमें ही पछताना पड़े नव्या बोली अब हमारे पछताने के दिन चले गए ,अब तो मिस्टर सौरभ सिंघानिया की उल्टी गिनती शुरू हो गई, तभी किसी गाड़ी के रुकने की आवाज आती है। नव्या बालकनी से बाहर झाकती हैं, नीचे मिस्टर अशोक गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर निकलते हैं नव्या ऊपर से ही हाथ हिलाकर उनका अभिवादन करती है। नव्या नीचे उतरती है और मिस्टर अशोक ड्राइंग रूम में आ जाते हैं। नव्या कहती है सारी फाइलें लेकर आए हैं ना अशोक बोले जी मैडम नव्या बोली आज मैं हैदराबाद के लिए निकल रही हूं कल आपसे वही मुलाकात होगी अशोक ने कहा मैडम डेविड अंकल को बता दिया जाए नव्या बोली मैं अपने तरीके से उन्हें समझा दूंगी आपको वो करने की जरूरत नहीं है, और मां से कहती है। मां मैं परसों वापस आ जाऊंगी क्योंकि ऑफिस में एक प्रोजेक्ट वर्क चल रहा है जो जल्दी कंप्लीट करना है ,अगर ऑफिस से फोन आता है तो किसी को यह मत बताइएगा कि मैं हैदराबाद गई हूं, मिस्टर अशोक से पेपर फाइलें लेकर नव्या उठकर अपने कमरे की ओर चल देती है तभी मिस्टर अशोक बोलते हैं मैडम मैं चलूं कल आपसे मुलाकात होती है हैदराबाद में नव्या बोली ओहो मैंने आपको तो पानी पूछा ही नहीं अशोक बोला इट्स ओके मैडम और बाहर निकल गयाl नव्या अपने कमरे में आकर एक बैग में अपना सामान रखने लगती है पेपर और फाइलों को सबसे नीचे रखकर ऊपर अपने कपड़े और जरूरी वस्तुएं रखने लगती है, तभी नव्या की दोनों बहने ऊपर आती हैं और कहती हैं दीदी हमें भी ले चलो हैदराबाद बहुत दिन हो गए अपने घर को देखें नव्या बोली इस बार नहीं इसके बाद जब भी जाऊंगी तुम्हें दोनों को जरूर ले जाऊंगी निवि कहती है दीदी आप हमेशा यही कहती हैं और हमें कहीं नहीं ले जाती, नव्या बोली इस बार नहीं काम बहुत है ,अगली बार जरूर ले चलूंगी दोनों बहने उसका सामान रखने लगती हैं। नव्या तैयार होना शुरु करती है और ड्राइवर को फोन करती है वह फोन उठाता है नव्या बोलती है एयरपोर्ट चलना है, ड्राइवर बोलता है , जी मैडम आता हूं, सात आठ मिनट के बाद नीचे ड्राइवर हार्न बजाने लगता है, नव्या नीचे आती है मां के पैर छूती है और अपनी दोनों बहनों से कहती है जब तक मैं नहीं हूं मां का ध्यान रखना और गाड़ी में बैठ जाती है। गाड़ी में बैठते ही ना जाने क्यों नव्या को पुरानी यादें सताने लगती हैं। उसे हैदराबाद वाला अपना घर याद आने लगता है, उसे उसके पापा याद आने लगते हैं, कितने प्यार से हैदराबाद वाले घर में हम पांचों लोग रहते थे, मैं मेरी मां मेरी दोनों बहने और पापा कितने खुश थे हम एक भरा पूरा खुशहाल परिवार था हमारा पापा तो मुझे हमेशा परी कह कर बुलाते थे, सुबह-सुबह हमारे घर में कितनी चहल-पहल रहती थी पापा को ऑफिस जाना होता था हम तीनों बहनें स्कूल जाते थे मां सुबह जल्दी उठकर टिफिन बनाती थी, और हम सब शाम होने का इंतजार करते शाम को जब पापा आते हैं तो कुछ ना कुछ लेकर आते खाली हाथ पापा कभी ना आते, उस दिन भी पापा खाली हाथ नहीं आए थे उनके हाथ में एक पैकेट था, जैसे ही दरवाजे से अंदर कमरे में आए उनके सीने में तेजी से दर्द उठा जब तक हम सब समझ पाते तब तक पापा दर्द से कराहने लगे दौड़ कर हम बगल वाले अंकल को बुलाए उनकी गाड़ी में पापा को लेकर मैं और मां अस्पताल जाते हैं तीन दिनों तक लगातार डॉक्टरों की फरमाइश पूरी करते-करते पापा का पूरा बैंक बैलेंस खत्म हो जाता है और चौथे दिन सुबह-सुबह मां पापा के पास बैठी थी और मैं चाय लेकर पहुंची मुझे देखकर पापा ने आंखें खोली और फिर सीना पकड़ कर बैठ गए उसके बाद पापा ने कभी आंखें नहीं खुली तभी अचानक गाड़ी को एक झटका लगता है। नव्या की आंख खुल जाती है ड्राइवर से पूछती है एयरपोर्ट आ गया क्या ड्राइवर बोला जी मैडम नव्या गाड़ी उतरती है ड्राइवर उसका सामान बाहर करता है ,और दोनों आगे बढ़ जाते हैं। आगे जानने के लिए पढ़ें तड़प तेरे प्यार की और कमेंट करके हमें जरूर बताएं कि आपको यह कैसी लगी 🙏🙏
क्रमशः