जब हम किसी से बेइंतहा प्यार करते हैं तो हम उसकी सबसे ज्यादा चिंता करते हैं ,उसका नशा हमारे दिलों दिमाग पर इस कदर छाया रहता है। कि कभी-कभी आदमी खुद को भी भूल जाता है।
आज सौरभ की भी यही स्थिति थी वह सौरभ सिंघानिया जो कभी किसी का इंतजार करना तो दूर किसी के लिए 5 मिनट रुकना भी जिसके लिए असम्भव था। आज वह नव्या के साथ बैठा है, उसके ऑफिस में उसे समय का कोई होश नहीं है।
5 बजते ही मिस्टर हर्षवर्धन अपने सेक्रेटरी के साथ चले जाते हैं। उनके जाने के कुछ देर बाद ही नीलेश भी उठते हैं और नव्या की तरफ देखते हुए कहते हैं कि सारा काम आज ही खत्म कर देंगी, तो हम साथ कैसे रहेंगे??
इस पर नव्या के बोलने के पहले सौरभ बोलता है, नीलेश किसी शादीशुदा महिला से इस तरह बात करना अच्छी बात नहीं है।
नीलेश सौरभ से कहता है, यार तुम्हारा तो सिर्फ नाम जुड़ा है, तुम तो ऐसे व्यवहार कर रहे हो जैसे सच में जुड़े हुए हों, सौरभ नव्या की तरफ देखता है उसको देखकर नव्या कहती हैं, कुछ लोगों को दूसरे के बीच में बोलने की आदत होती है।
ऐसा कहकर नीलेश को देख कर नव्हैया मुस्कुराती है।। यह सब देख कर सौरव के सीने में मानो सांप लोट गया हो, निलेश उसको देख कर हंसते हुए और सौरभ की ओर एक व्यंग हंसी से देखता है ।
जिससे सौरभ गुस्से से लाल हो जाता है। नव्या मन ही मन सोचती है। (चलो थोड़ी देर के लिए सही तुम्हें गुस्से में देख कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है) तभी नीलेश नव्या से कहता है नव्या तुम चाहे जितनी जल्दी प्रोजेक्ट वर्क खत्म कर लो लेकिन मैं तो इसे जानबूझकर लटकाने वाला हूं ताकि मैं तुम्हारे साथ अधिक दिनों तक रह सकूं ,,,,,
सौरभ की ओर देखकर निलेश कहता है क्यों सिंघानिया साहब आपको ऐसा नहीं लगता कि हमें अधिक दिनों तक साथ रहना चाहिए ।
सौरभ कुछ नहीं बोलता वह अपने दोनों हाथों की मुट्ठी कस के बांध लेता है, और अपने गुस्से को पी जाता है चेहरे पर उसका गुस्सा साफ दिख रहा था लेकिन मुंह में मुस्कुराहट लिए वह चुपचाप खड़ा था।
उसकी इस स्थिति को देखकर नव्या मन ही मन खुश हुए जा रही थी, निलेश के चले जाने के बाद सौरभ की सेक्रेटरी मीनल कहती है, सर ऑफिस का टाइम ओवर हो गया, कहिए तो घर चले ,अर्ली मॉर्निंग आकर प्रोजेक्ट वर्क शुरू कर देंगे,
सौरभ कहता है ,मिस मीनल आप जाइए , मेरा थोड़ा काम बचा है, उसे पूरा करके निकलता हूं ,मीनल चली जाती है। नव्या अभी भी अपनी फाइलों में नजरें गड़ाए रहती है ।
वह ध्यान ही नहीं देती कि ऑफिस में सौरभ और उसके सिवा कोई नहीं था ,क्योंकि मिस्टर अमन को तो उसने पहले ही भेज दिया था। लेकिन जल्दी वापस आने को बोला था पता नहीं क्यों अभी तक मिस्टर अमन आए भी नहीं नव्या अपना काम कर रही थी,
सौरभ थोड़ी देर बाद उठा और नव्या की सीट के पास जाकर खड़े होकर , उससे पूछने लगा, नीलेश से यह क्यों कहा कि तुम मुझे नहीं जानती तुम मुझसे पहली बार इसी प्रोजेक्ट पर मिली हो तुमने ऐसा क्यों कहा ?
नव्या चुपचाप अपना काम करती रही सौरभ ने यही बात फिर से दोहराई नव्या ने कोई उत्तर नहीं दिया, तब सौरभ ने नव्या का हाथ पकड़ा और खींच कर दीवार के पास उसको खड़ा कर दिया और सामने खुद खड़ा हो गया नव्या ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो उसने एक तरफ दीवार पर अपना हाथ रख दिया और दूसरे हाथ को उसने अपने हाथों में पकड़ लिया,
नव्या ने पूरा जोर लगा दिया लेकिन वह उसकी पकड़ से छूट नहीं पा रही थी वह जितनी कोशिश करती सौरभ उतनी तेज पकड़ लेता, नव्या के हाथों में बहुत तेज दर्द होने लगा और वह पूरी ताकत से धक्का देती हुई वहां से बाहर आ जाती है ।
और दौड़ती हुई अपनी कार की तरफ जाती है सौरभ पीछे-पीछे आता है कहता नव्या सुनो नव्या चुपचाप कार में बैठती है। और ड्राइवर से कहती घर चलो, ड्राइवर घर की ओर कार मोड़ता है, ऑफिस से नव्या का घर बहुत अधिक दूरी पर ना था ड्राइवर नव्या कहती है, गाड़ी और तेज चलाओ ,,,,
ड्राइवर बोला मैडम कोई मीटिंग है। नहीं बस ऐसे ही सौरभ नव्या के पीछे पीछे ही बाहर आता है। और अपनी कार में बैठकर नव्या की कार के पीछे पीछे चलते हुए उसके घर तक पहुंच जाता है। फिर सोचता है नव्या के घर जाऊं या ना जाऊं जैसे ही गाड़ी रूकती है नव्या एकदम बदहवास सी गाड़ी के बाहर निकलती है ।
और तेज कदमों से घर के अंदर घुस जाती है ।सौरभ भी नव्या के पीछे पीछे उसके घर आ जाता है नव्या पीछे ध्यान ही नहीं देती जाने क्या उसके दिमाग में चल रहा था। नव्या ऊपर अपने कमरे में चली जाती है।
।।उसे पता नहीं था कि उसके पीछे मिस्टर सौरभ सिंघानिया आ रहे हैं ।सौरभ को ड्राइंग रूम में बैठे पांच मिनट से ज्यादा हो गए लेकिन कोई ड्राइंग रूम की तरफ नहीं आया गाड़ी की आवाज सुनकर दोनों बहने तथा मां नीचे ड्राइंग रूम में आई सौरभ ने मां को देखते ही पैर छुए और पूछा मांझी आपने हमें पहचाना
नव्या की मां ने उसका चेहरा ध्यान से देखा और बोली इतने साल बाद तो लोग अच्छे अच्छों को भूल जाते हैं। इंसान उसको कभी नहीं भूलता जिसने उसके साथ इतना बड़ा धोखा किया हो ।
यह कहकर नव्या की मां सौरभ को बैठने के लिए कहती है, सौरभ थोड़ा शर्मिंदगी महसूस करता है किंतु मां के कहने पर बैठ जाता है।
वह अपनी स्थिति के बारे में नव्या की मां को बताना चाहता है किंतु तभी नव्या की दोनों बहने ड्राइंग रूम में आ जाती हैं मैं सौरव को देखकर भयभीत हो जाती है।
सौरव बोलता है मांजी मैं अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हूं मैं अपनी गलती सुधारना चाहता हूं ,इसके लिए नव्या मुझे जो सजा दे मैं वह भुगतने को तैयार हूं किंतु नव्या मुझे क्यों माफ करेगी,,,
अब आप ही उसे समझा सकती हैं नव्या की मां कुछ बोलती उसके पहले नव्या की दोनों बहने अपनी मां से कहती हैं ।मां यह यहां क्यों आए हैं ?किसी तरह तो हम लोगों की जिंदगी शांत हई थी ,अब क्या फिर से उसे बिखेरने आए हैं।
कितनी मुश्किलों के बाद तो दीदी सभली है ।कितनी रातें दीदी अधेरे बंद कमरों में पड़ी रही, तब कहां थे ये कितने दिनों तक दीदी ने खाना नहीं खाया तब कहां थे?
ये, कितने लोगों के तानों को हम लोगों ने सहा तब यह कहां थे?, कितनी मुसीबतों को हमने झेला तब ये कहां थे, ?कितनी रातें दीदी ने बिना सोए काटी तब यह कहां थे?
अब जब सब कुछ हम लोगों के साथ थोड़ा ठीक होने लगा तब अचानक से इनको अपने किए पर पछतावा होने लगा ,अभी तक इनको अपने किए पर पछतावा क्यों, नहीं हुआ। सौरभ नजर नीचे करके सब चुपचाप सुनता रहा।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिये तड़प तेरे प्यार की कहानी आपको कैसी लगी , 🙏🙏🙏 क्रमशः