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पछतावे के आंसू (लघु कथा)

7 अक्टूबर 2022

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प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसे क्षण अवष्य आते हैं जब उसे लगता कि उसे उस समय वह कार्य नहीं करना चाहिए था और व्यक्ति का मन एक दुःख और निराषा से भर उठता है। इसी प्रकार की एक घटना याद आती है जब एक व्यक्ति इस प्रकार की स्थिति से गुजरता है, तब उसका मन किस प्रकार व्यथित हो उठता है। ऐसा बहुत से लोगों का मानना है कि जीवन में हम बहुत सी वस्तुएं धन से खरीद सकते हैं किन्तु फिर भी कई ऐसी चीजें भी हैं जो धन से खरीदी नहीं जा सकती और न ही उन्हें किसी प्रकार से उत्पन्न किया जा सकता है और वह है जीवन। जीवन अमूल्य है, इसकी कीमत हम उसी से पूछ सकते हैं जो व्यक्ति मृत्युषय्या पर पड़ा अपने जीवन की अन्तिम सांसे गिन रहा हो। कुछ वर्शों पहले एक परिचित मुकेष जो समृद्ध परिवार से था। बचपन से ही किसी वस्तु की कमी न होने कारण बड़ी आसानी से जीवन चल रहा था। पढ़ाई-लिखाई अच्छे प्राईवेट इंगलिष स्कूल से हुई थी, जिसके पष्चात अच्छे वेतन की नौकरी भी मिल गई। धन, परिवार, पढ़ाई, नौकरी, सेहतमंद षरीर यह सब कुछ होने पर कई लोगों को अहंकार आ ही जाता है। जिसमें मुकेष भी कुछ हद तक आ चुका था। अच्छे से जीवन बीत रहे थे, अचानक उन्हें फोन आता है कि उसकी मौसी जो किसी दूसरे षहर में थी, अचानक किसी बीमारी से ग्रसित हो गई थी, जिसके कारण उनका आपरेषन किया जाना था। यह सुनते ही उसकी माता-पिताजी और वह व्यक्ति तुरन्त मौसी को देखने रवाना हो गये। मुकेष का बिल्कुल भी कहीं बाहर अस्पताल जैसी जगह जाने का बिल्कुल भी मन न था लेकिन मजबूरन उसे भी जाना पड़ा क्योंकि माता-पिताजी कार से जा रहे थे जिसमें मुकेष को ही कार ड्राईव करनी थी। ऊपर से मां का अपनी बहन के प्रति प्रेम के कारण वह भी उस पर दबाव डाल रही थी कि लोग क्या कहेंगे, तुम्हें भी चलना होगा। इन सब बातों के कारण मन मसोज कर मुकेष भी चला गया।

अस्पताल पहुंचते ही वहां पता चला की उसकी मौसी की हालत कुछ अधिक ही खराब थी, उनका एक बेटा रोहन जो नौकरी के लिए ऑस्ट्रेलिया गया हुआ था, वो जल्दी छुट्टी न मिलने कारण उस समय मौजूद नहीं था लेकिन कुछ दिन बाद वह भी भारत आ रहा था। मौसा जी जो ब्लड षुगर के मरीज थे, उनकी हालत अपनी पत्नी को देखकर बिगड़ी सी मालूम होती थी। ऐसे में डॉक्टर्स ने कहा कि उनकी मौसी को सर्जरी के दौरान खून की आवष्यकता हो सकती है। इसलिए आप सभी तैयार रहिए क्योंकि उनका जो ब्लड गु्रप था, वह आसानी से उपलब्ध नहीं था। मुकेष समझ गया कि अब उसे अपना खून ही देना पड़ेगा क्योंकि उसका ब्लड गु्रप वही था, जो उसकी मौसी का था। मौसा जी षुगर के मरीज के कारण खून नहीं दे सकते थे और उनका ब्लड गु्रप भी अलग था। उसकी मां पहले से ही खून की कमी से जूझ रही थी और पिता जी का खून भी मैच नहीं हो रहा था। जिसके कारण मुकेष अब फंस गया था। इतना पता चलते ही मुकेष कमजोरी के कारण चक्कर आने का बहाना करते हुए बेहोष हो गया। जिसके कारण सभी घबरा गये कि ऐसे समय में इसे क्या हो गया। बड़ी भागदौड़ करने के बाद किसी ब्लड बैंक से उस ग्रुप का खून मिल गया और उसकी मौसी का ऑपरेषन सफलतापूर्वक हो गया। सभी खुष थे कि मौसी भी सही हो गयी और मुकेष की हालत भी अब सही है। यहां सभी यह सोच रहे थे कि मौसी की चिंता में मुकेष कुछ न खाने पीने के कारण बेहोष हुआ है लेकिन सच्चाई तो मुकेष ही जानता था।

ऐसे ही समय बीतता गया, 20 वर्श कैसे बीत गये पता ही न चला। अब मुकेष की एक बेटी थी जो कॉलेज में पढ़ रही थी। मुकेष भी नौकरी छोड़कर अपना एक व्यापार चला रहा था जो बहुत ही अच्छा चल रहा था। वो कहते हैं न कि व्यक्ति के किए गये कर्म कभी-कभी सामने आ ही जाते हैं। एक दिन अचानक उसकी मां जो बहुत बूढ़ी हो चुकी थी, अचानक तेज दर्द से कराहने लगी। आनन-फानन में षहर के सबसे बड़े अस्पताल में ले जाया गया तो पता चला कि उनके गुर्दे में पथरी है, जिसका ऑपरेषन करना होगा और उन्हें खून की आवष्यकता पड़ेगी। क्योंकि मुकेष की मां, मौसी और उसका खून एक ही गु्रप का था। मौसी का देहावसान कुछ ही समय पूर्व हो चुका था। मुकेष, डॉक्टर के पास गया और अपना खून मां को देने के लिए कहने लगा। लेकिन डॉक्टर ने उसका खून लेने से इंकार कर दिया क्योंकि मुकेष काफी से बहुत अधिक षराब के सेवन के कारण लीवर की किसी परेषानी से जूझ रहा था, जिस कारण वह अपनी मां को खून नहीं दे सकता था। ऐसी स्थिति में उसने षहर के सभी बड़े ब्लड बैंक छान मारे लेकिन उस गु्रप का खून न मिला। उसकी मां की बीमारी की खबर सभी जगह फैल चुकी थी। रिष्तेदारों का आना षुरू हो गया था लेकिन खून देने के मामले में सभी पीछे हट रहे थे। मुकेष बहुत परेषान था कि अब क्या होगा। क्या उसकी मां बिना खून के कारण मर जायेगी। ऐसी बातें उसका कलेजा फाड़ देने के लिए काफी थी। तभी उसके कंधे में हाथ रखते हुए उसकी मौसी का लड़का रोहन बोला, भाई तू चिन्ता न कर। मेरा ब्लड गु्रप और मौसी का ब्लड गु्रप एक ही है और वह सिर्फ तेरी ही नहीं मेरी भी तो मां है। तूने, हमारे बुरे समय में हमारी कितनी मदद की है, वह मैं कभी नहीं भूल सकता। जब मैं बाहर विदेष में था तब तुम ही लोगों ने मेरी मां की देखभाल की, तब यही खून की समस्या आई तब तुम लोगों ने कैसे वह समस्या सुलझाई। आज मेरा समय है और जितना खून चाहिए मैं दूंगा, यह कहकर वह डॉक्टर के पास गया और रक्त दान करने को कहने लगा, खून का सैम्पल ठीक आने पर रोहन का खून, मुकेष की मां को चढ़ाया गया। ऑपरेषन की सही हो गया। मुकेष अपनी मां को अस्पताल के बैड पर लेटा देख रहा था जिन्हें खून की बूंदे टिप-टिप करके उनके षरीर में जा रही थी और मुकेष की आंखों से पछतावें के आंसू उन्हीं खून की बूंदों के माफिक बह रहे थे।

भारती

भारती

बहुत ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है आपने कहानी में 👌👌

7 अक्टूबर 2022

कविता रावत

कविता रावत

बड़ी मर्मस्पर्षी प्रस्तुति है। बात जब अपने पर आकर रुकती है तो तब दूसरे का दर्द समझ आता है।

7 अक्टूबर 2022

अमर सिंह

अमर सिंह

7 अक्टूबर 2022

Bilkul sahi baat....

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

शिक्षाप्रद कहानी👌👌👌👌👌

7 अक्टूबर 2022

अमर सिंह

अमर सिंह

7 अक्टूबर 2022

सादर धन्यवाद

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रचनाएँ
अमर सिंह की दैनिक डायरी
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इस पुस्तक में शब्द-इन द्वारा दिए गए दैनिक लेखन प्रतियोगिता के टैग से सम्बंधित लेख लिखे गए है.
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शिव कहां हो तुम? - दैनन्दिनी

13 सितम्बर 2022
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जितना भी शिव को जानों वो कम ही होगा। यह कहानी है एक ऐसे आदमी की जो जानना चाहता है, देखना चाहता है और सत्य को महसूस करना चाहता है। पुरानी चल रही धारणाओं का पक्षधर भी है और विरोधी भी। पक्षधर इसलिए क

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भूत-प्रेत, जादू-टोना की अनोखी दुनियां कितना सच या सिर्फ कपोल कल्पना

14 सितम्बर 2022
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भूत प्रेत, जादू टोना, तंत्र मंत्र, परालौकिक शक्तियां कुछ ऐसे विषय हैं जिनके लिए अक्सर लोगों के मन में उत्सुकता बनी रहती है। एक ऐसी अज्ञात दुनियां का रहस्य जो भय और लालच की नींव पर खड़ी है। इसकी वास्तव

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जिंदगी इबादत - दैनन्दिनी

16 सितम्बर 2022
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साँसों के सुरो में, धड़कनो के तालबद्ध, बजते संगीत में, बन जाती है जिंदगी इबादत, जिसे सजदा करू बस जीकर, गाकर-खाकर और पीकर जाम शराब के ऐसे, जो उतरे नहीं कभी, नित दिन बस चढ़ती ही जाए, और भर दे ऐसे

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क्या आप खुष हैं? - दैनन्दिनी

17 सितम्बर 2022
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प्रत्येक मनुष्य का अपने जीवन में मात्र एक लक्ष्य होता है, जीवन को पूर्ण रूप से सुखमय बनाना। यह प्राकृतिक भी है। जन्म लेने के साथ ही प्राकृतिक रूप से मनुष्य सुख की आकांषा को लेकर ही जन्म लेता है। मां क

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असीम शून्य - दैनदिनी

18 सितम्बर 2022
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जमाने से बहुत मिलेंगे तुझ को धोखे,मगर तुम फिर भी प्यार करना….तोड़ देंगे कई बार दिल वो तेरा,मगर तुम न कभी आह करना….जख्मी दिल से रिसता लहू देख अपने,तुम न कभी परवाह करना….देखते रहना घावों को अपने,संगीत व

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परोपकारी जीवन ही सार्थक - दैनन्दिनी

20 सितम्बर 2022
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मनुष्य को यदि अपने जीवन की सार्थकता को खोजना और सुखी रहना है तो उसे दूसरों के दूख दर्द का ख्याल राते हुए अपनी सामथ्र्य के अनुसार उसकी सहायता करनी होगी। संसार में उसी कार्य अथवा परिश्रम को सार्थक माना

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नारी शक्ति का दुरूपयोग

20 सितम्बर 2022
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समाज में प्रत्येक वर्ग को आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। नारी सषक्तिकरण महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आज जहां सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु दुनियां भर में महिलाओं को दोयम दर्जा प्राप्त है। कई

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चींटी के पग 🐜🐜🐜🐜🐜

21 सितम्बर 2022
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🐜बरसात का मौसम था, एक नन्ही ही चींटी न जाने कहां से जमीन पर चलती दिखी। इधर-उधर अकेली दौड़ती न जाने क्या ढूंढ रही थी। षायद अन्य चीटिंयों की उस पंक्ति से बिछड़ गई थी। जो सीधे कतारबद्ध अपने पूरे साजो-सा

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जीवन लक्ष्य - दैनन्दिनी

21 सितम्बर 2022
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जीवन का क्या लक्ष्य है, यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है। मनुष्य शरीर की जीवन यात्रा माता के गर्भ से प्रारम्भ होती है और दुनियां में आंखे खोलने के पश्चात पढ़ाई-लिखाई, नौकरी-व्यापार, घर-गृहस्थी, धन-दौलत के

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जैविक खेती

21 सितम्बर 2022
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अब ऐसा समय आ गया है जहां देखो हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है। जिसमें हदयरोग, मधुमेह, ब्लडप्रेषर, आंख, नाक, कान, गले व फेफड़े संबंधी रोग, किडनी संबंधी, त्वचा संबंधी और ऐसी न जाने कितनी ऐसी बी

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मृत्यु ही जीवन का अंतिम सत्य - दैनन्दिनी

22 सितम्बर 2022
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सूर्य का उदय होना जितना निष्चित है, उतना ही यह भी निष्चित है कि मध्याह्न के उपरांत वह ढलेगा और धीरे-धीरे अस्ताचल की गोद में पहुंचकर मुंह छिपा लेगा। जीवन-प्रक्रिया के संबंध में भी यही बात है। षिषुरूप्

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मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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जीवन में पुस्तकों का अत्यन्त महत्व है। यदि जीवन की प्रथम पुस्तक की बात करें तो रंगीन चित्रों की उस पुस्तक को पहली पुस्तक कह सकते हैं जिसे सर्वप्रथम हमने विद्यालय में कदम रखने से पहले देखा था। हिन्दी औ

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शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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आज समाज में जहां एक ओर इंसान के अच्छे कामों की चंद मिसालें हैं तो वहीं दूसरी ओर इंसानियत को शर्मसार करने वाले ऐसे अनेकों कारनामें देखने को मिल जाते हैं जिससे लगता है कि वाकई आज के इंसान इंसानियत की पर

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अंतरिक्ष की रहस्यमयी दुनियां

24 सितम्बर 2022
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अंतरिक्ष का नाम सुनते ही एक ऐसी जगह का प्रतिबिम्ब मस्तिश्क में उभरता है जहां गहन अंधकार और मौन के मध्य भार रहित होकर उड़ते अनेकों ग्रह, उपग्रह और विभिन्न तारामण्डल का समूह जो अनवरत बनता और बिगड़ता रहता

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सत्याचरण अपनाएं - दैनन्दिनी

24 सितम्बर 2022
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सत्य भारतीय संस्कृति का सार है। इसमें सत्य को धर्म से भी पहले स्थान दिया गया है। हम सदैव सत्य का ही आचरण करें। भीतर और बाहर की एकता, जिसे सत्य के नाम से पुकारा जाता है, मनुष्यता का सर्वप्रथम गुण है। ह

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वास्तविक शक्ति उपासना

26 सितम्बर 2022
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माँ जगदम्बा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। जिनकी उपासना हिन्दू समाज में प्राचीन काल से ही की जाती रही है। जीवन में शक्ति का होना जितना आवश्यक है उसके साथ-साथ उस शक्ति पर नियंत्रण रखने का गुण भी निता

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इंटरनेट के बिना एक दिन

27 सितम्बर 2022
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वर्तमान समय में हम सभी तकनीकी के इतने आदी हो चुके हैं कि उसके बिना एक दिन की कल्पना करना भी किसी को बेचैन कर देने के लिए काफी है। आज की सदी में तकनीकी का पूर्णतः उपभोग कर पाने में इंटरनेट का योगदान सर

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मूर्ख का ज्ञान, करें नुकसान

27 सितम्बर 2022
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प्राचीन काल की बात है। भस्मासुर नामक एक आसुर जाति का एक व्यक्ति था। एक बार उसने सोचा कि उसे विष्व का सबसे षक्तिषाली व्यक्ति होना चाहिए लेकिन इस समस्या का समाधान उसके पास न था। वह वन-वन भटकने लगा की को

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प्राकृतिक आपदा

29 सितम्बर 2022
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प्रायः प्राकृतिक आपदाओं का सामना प्रत्येक देष को करना पड़ता है। जैसे विष्व में कई देष ऐसे हैं जो अत्यधिक ठंडे हैं जहां बारह महीने बर्फ की मोटी चादर के साथ-साथ वहां का तापमाप षून्य से बहुत नीचे तक रहता

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ऑनलाईन गेमिंग

30 सितम्बर 2022
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वैष्विक बाजार इंटरनेट के माध्यम से तेजी से प्रसार कर रहा है। धीरे-धीरे व्यापार के पुराने माध्यमों का स्थान नये माध्यम पकड़ रहे हैं जिसमें ऑनलाईन षॉपिंग, रिटेल मार्केट, फैषन, फिल्म-संगीत, एनिमेषन, स्वास

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गांधी जी और हम...!

1 अक्टूबर 2022
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भारत की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जिस प्रकार गांधी जी ने देष के एक बहुत बड़े वर्ग को एक सूत्र में पिरोये रखा और उनके समर्थन में भारत की आबादी की एक बहुत बड़ा हिस्सा उनके साथ था,

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कला चिकित्सा

3 अक्टूबर 2022
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कला चिकित्सा क्या है?  व्यक्तित्व के निर्माण और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में इस चिकित्सा की भूमिका के कारण, इसे अभिव्यंजक चिकित्सा भी कहा जाता है। इस थेरेपी में, मास्टर और प्रतिभागी, दोनों समा

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मैं ही हूं सबसे बुद्धिमान...!

4 अक्टूबर 2022
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व्यक्ति अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीख सकता है और सबसे बुद्धिमान वह होता है जो दूसरों की गलतियों को देखकर उनसे भी सीख लेता है लेकिन वास्तविक जीवन में ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो दूसरों की गलतियों को देखकर

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बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व- दशहरा

5 अक्टूबर 2022
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दषहरा के पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। बुराई चाहे कितनी भी षक्तिषाली क्यो न हों और अच्छाई का साथ देने वाले लोग कितने ही दुर्बल स्थिति में क्यों न हो, धर्म और सच्चाई की षक्ति अंत मे बुराई

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कर्म और भाग्य - वैज्ञानिक दृष्टिकोण

6 अक्टूबर 2022
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प्रबलः कर्मसिद्धान्तः उक्ति जीवन में कर्म के सिद्धान्त को दर्षाती है कि जीव जगत में कर्म का सिद्धान्त अत्यन्त ही प्रबल है। आज हम इस सिद्धान्त को वास्तविक धरा से जुड़ी वैज्ञानिक दृश्टि से समझेंगे कि किस

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पछतावे के आंसू (लघु कथा)

7 अक्टूबर 2022
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प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसे क्षण अवष्य आते हैं जब उसे लगता कि उसे उस समय वह कार्य नहीं करना चाहिए था और व्यक्ति का मन एक दुःख और निराषा से भर उठता है। इसी प्रकार की एक घटना याद आती है जब एक व्यक्

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आखिर क्या है डिजिटिलाईजेशन?

8 अक्टूबर 2022
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बीसवीं सदी सूचना-संचार, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, चिकित्सा व अनेकों वैज्ञानिक क्षेत्रों का स्वर्णिम काल रहा है। इस समय अंतराल में हमने अनेकों ऐसी वस्तुएं प्राप्त की हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। टैल

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नारी का सम्मान करो

10 अक्टूबर 2022
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नारी, यह कोई समान्य शब्द नहीं बल्कि एक ऐसा सम्मान हैं जिसे देवत्व प्राप्त हैं। नारियों का स्थान वैदिक काल से ही देव तुल्य हैं इसलिए नारियों की तुलना देवी देवताओं और भगवान से की जाती हैं। जब भी घर में

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क्या हम इंसान नहीं.....! (थर्ड जेंडर)

11 अक्टूबर 2022
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आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जिस पर लोग बहुत कम बात करना उचित समझते हैं लेकिन फिर भी उनका हमारे समाज का एक हिस्सा होने के कारण उनके विषय पर ध्यान देना अति आवष्यक है। वह कोई और नहीं बल्कि थर्ड जेंडर

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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।

12 अक्टूबर 2022
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जिसे जीवित रहने के लिए समाज की आवश्यकता पड़ती है। किसी भी व्यक्ति का परिवार इस सामाजिक व्यवस्था का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण और प्रारम्भिक चरण है। जिस घर में व्यक्ति जन्म लेता

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औरत क्या चाहती है? करवाचौथ स्पेशल

13 अक्टूबर 2022
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यह एक मशहूर कहावत है कि औरत क्या चाहती है, ये तो उसको बनाने वाला ब्रह्मा भी नहीं जान पाये यदि देखा जाये तो यह मात्र स्त्री की निंदा करने वालों की अतिष्योक्ति भर है। कुछ अंधविश्वासों व आडम्बरों को हटा

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डिजिटल ज्ञान की आवश्यकता

14 अक्टूबर 2022
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आज का दौर डिजिटल हो गया। अधिकतर कार्य कम्प्यूटरीकृत हो चुके हैं। जिसका ज्ञान होना आज के समय में अति आवष्यक है। एक छोटा सा स्मार्टफोन इतने बड़े-बड़े कार्य कर देता है जिसे देखकर आष्चर्य होता है। जिस कार्य

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कलाम को सलाम

15 अक्टूबर 2022
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मिसाईल मैन के नाम से प्रसिद्ध भारत के 11वें राष्ट्रपति ए०पी०जे० अब्दुल कलाम जिनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाबदीन कलाम था। इनका जन्म आज ही के दिन 15 अक्टूबर, 1931 को रामेष्वरम में हुआ था। अब्दुल कलाम का

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मेरा पहला कार्य दिवस - स्व: अनुभव

17 अक्टूबर 2022
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कार्य करते हुए इतने वर्ष व्यतीत हो गये कि अब तो ऐसा लगता है मानों हम इन सब चीजों के आदी हो गये हैं। किस कार्य को करने में कितना समय लगेगा, क्या समस्यायें आयेंगी, ऐसी अनेकों बातें जो अक्सर पूर्वनियोजित

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“सबका साथ, सबका विकास”

18 अक्टूबर 2022
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जहाँ  शॉपिंग ऑनलाईन की जाये या ऑफलाईन दोनों की अपने-अपने स्थान पर लाभ और हानियां हैं। आज के तकनीकी युग में हर एक व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन, इंटरनेट, लैपटॉप और हाईस्पीड इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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त्यौहारों का मजा

21 अक्टूबर 2022
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त्यौहार ही तो हैं जो बेरंग जिन्दगी को रंगों से सराबोर कर देते हैं। यन्त्रवत् कार्य करते-करते मनुश्य के मस्तिश्क को ताजगी और ऊर्जा भर देने के लिए त्यौहार ही हैं। फिर चाहे वो कोई भी त्यौहार हो, सबका उद्

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दूरस्थ शिक्षा का महत्व

22 अक्टूबर 2022
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जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा का अत्यन्त ही महत्व है। पुरातन काल से लेकर वर्तमान समय तक जो सफलताएं शिक्षित व्यक्ति ने प्राप्त की हैं उतनी शायद ही किसी अषिक्षित ने की हों और यही क्रम सदैव च

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कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना

28 अक्टूबर 2022
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जब तक व्यक्ति के अंदर कुछ नया करने का जज्बा नहीं उठता, उसकी बाहरी और आंतरिक उन्नति संभव नहीं है। कुछ नया करना अर्थात् वह कार्य करना जो आपका मन कहता है, उसके बारे में लोग क्या कहते हैं, उससे उसे कोई अं

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भ्रामक खबरें : झूठ का मनोविज्ञान

29 अक्टूबर 2022
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जिस प्रकार आज समाज का वैष्वीकरण हो रहा है और समाज में सूचनाओं का आदान-प्रदान अब पहले की भांति नहीं रह गया है, जहां खबरें मात्र समाचार पत्रों और टेलीविजन के माध्यम से प्रसारित हुआ करती थी। इंटरनेट के इ

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5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
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5 जी टैक्नॉलोजी आने वाले समय के लिए कम्प्यूटर जगत के लिए एक क्रान्ति होगी। जो सूचनाएं आकार में बड़ी होने कारण इंटरनेट की स्पीड कम होने के कारण सरलता से नहीं भेजी जा सकती। 5जी आने के बाद यह समस्या का नि

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देखन आयो जगत तमासा – गुरु नानक जयंती

7 नवम्बर 2022
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गुरू नानक साहिब के जीवन को आज हम दूसरी दृष्टि से देखेंगे, जिस पर अक्सर लोगों ने ध्यान नहीं दिया है। भारत में अनेकों महापुरूष हुए हैं जिन्होंने अलग-अलग समयकाल में उस समय की परिस्थितियों के अनुसार अनेको

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जातिवाद और धार्मिक भेदभाव - प्रार्दुभाव

10 नवम्बर 2022
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हमें अति प्राचीन पूर्वजों से बहुत कुछ सीखना होगा। एक समय ऐसा भी था जब मानव गुफाओं में बैठा पत्थरों से छोटे-मोटे औजारों का निर्माण करके ही खुष था। कोई अजनबी सा दिखने वाला चमकीला पत्थर भी उसे उत्साहित

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जनसंख्या वृद्वि - उपाय और समाधान

15 नवम्बर 2022
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वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्वि विष्व के लिए सबसे बड़ी समस्या है। यह समस्या तब और भी अधिक विकराल बन जाती है, जब किसी देष की अर्थव्यवस्था विकासषीलता की स्थिति में होती है। संसाधन कम एवं उपभोक्ता की अधिक

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जादुई दुनिया

17 नवम्बर 2022
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बचपन में सभी ने अनेकों जादुई कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन क्या वास्तविकता के धरातल पर ऐसी कोई जादुई दुनियां का अस्तित्व संभव है? अगर मैं कहूं कि यह संभव है, तो षायद आप मुझे पागल समझेंगे। भविश्य का विज्ञान

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किस्मत बदलती देखी मैं

18 नवम्बर 2022
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एक बार एक राजा के दरबार में एक खुबसूरत नाचने वाली नाच रही थी। जिसे अपनी खूबसूरती पर बहुत घमण्ड था वो बार-बार राजा की बदसूरती को देखकर मुस्कुराती है। राजा यह देखकर समझ जाता है कि वह क्यों मुस्कुराई। जि

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आखिरी इच्छा की सचाई

18 नवम्बर 2022
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मानव जीवन में इच्छाएं कभी न खत्म होने वाला एक सिलसिला है। जिसे व्यक्ति जितना चाहे खत्म करने की कोशिश कर ले, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म कर पाना लगभग नामुमकिन है। कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं के कारण अक

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बड़े मियां तो बड़े मियां

19 नवम्बर 2022
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यूं तो वरदान की परिभाषा सबके लिए अलग-अलग है। जिसकी जैसी चाहत, उसको वैसी राहत। आज हम कुछ ऐसे वरदानों की बात करेंगे जो अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन अगर यदि वो उनको मिल जाये, तो उनके ल

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आखिरी मुलाकात

21 नवम्बर 2022
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इंसान के जीवन में कभी-कभी ऐसे पल आते हैं जब वह कुछ बातों को सोचने को मजबूर हो जाता है। ऐसा ही कुछ उस्मान के साथ हुआ जिसके बाद वह अपने अतीत के पन्नों को पलटकर पीछे देखने लगा कि मुस्लिम परिवार में जन्म

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पाश्चात्य संस्कृति अभिशाप या वरदान

5 दिसम्बर 2022
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मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य उन्नति के पथ पर अग्रसर होना है। जिस पर मानव सभ्यता अपने उद्भव के साथ ही चली आ रही है। भारत की संस्कृति अति प्राचीन होने के कारण अपने उच्च मूल्यों और उत्कृष्ट सामाजिक व्यवस

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लालच बुरी बला

12 जनवरी 2023
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लालच एक ऐसी मनोस्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी प्रकार की धन-सम्पदा, पद-प्रतिश्ठा को अधिक से अधिक किसी भी प्रकार से प्राप्त करना चाहता है। उसके लिए वह अनेकों बार गलत रास्तों का चुनाव करता है। जो नैतिक और

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भारत में अंडरवॉटर रेल

15 अप्रैल 2023
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भारत में अंडरवॉटर रेल प्रोजेक्ट एक अत्यंत रोचक और उन्नत प्रोजेक्ट है। यह प्रोजेक्ट भारत की सबसे लंबी अंडरवॉटर रेल बनाने का लक्ष्य रखता है। यह रेल लाइन गुजरात के मुंबई और महाराष्ट्र के अहमदनगर के बीच ब

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गुप्त समाज

16 अप्रैल 2023
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एक रहस्यमय समाज था, जो लोगों के बीच अज्ञात रहता था। इस समाज में केवल चुनिंदा लोग ही शामिल हो सकते थे, जो अपनी बुद्धि और विवेक से ज्ञानी और विचारशील थे। ये लोग एक-दूसरे से मिलते थे और विभिन्न विषयों पर

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एक था ड्रैगन

21 अप्रैल 2023
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एक था ड्रैगन, बहुत बड़ा, बहुत ही ताकतवर। जमीन पर चलता था, हवा में उड़ता था, मुंह से आग उगलता था। ऐसा बताया था, एक बुजुर्ग ने। जिसकी हर बात थी, पत्थर की लकीर। पहले भी खोल चुका था, वो कई राज। आ

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विश्व नृत्य दिवस

1 मई 2023
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विश्व नृत्य दिवस वर्ष 1982 से हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन के महत्व को समझते हुए विभिन्न संस्थानों और समूहों में नृत्य कला के माध्यम से इस दिन को ध्यान में रखा जाता है। यह दिन नृत्य कला क

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एक मजदूर की कहानी

1 मई 2023
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एक गरीब मजदूर था जो अपनी दिनचर्या के लिए रोज़ाना शहर के बाहर चला जाता था। उसे रोज़ कुछ न कुछ काम मिलता था जिससे उसका पेट भरता और घर के लिए कुछ पैसे भी बचते थे। वह अपने कठिन जीवन में भी सबसे खुश था। ए

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क्रूर अंग्रेजी शिक्षिका

25 मई 2023
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एक बार की बात है, एक बहुत ही क्रूर अंग्रेजी शिक्षिका थी जो कि हमारे कक्षा में पढ़ाती थी। वह हमेशा सख्त और अन्यायपूर्ण नियमों के साथ प्रतिष्ठित रहती थी। उसकी कक्षा में पढ़ने का तरीका अनोखा था। वह हमेश

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दो जंगली फूल

23 जून 2023
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एक बहुत ही घना जंगल था। जो हजारों मीलों तक फैला हुआ था। इस जंगल में अनेकों प्रकार के जंगली जानवर और जहरीले प्राणी थे। अत्यन्त ही भयानक परिस्थतियों के कारण उस जंगल में कोई भी मानव अंदर नहीं जाना चाहता

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कुछ ख्यालात

5 सितम्बर 2023
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कुछ ख्यालात ऐसे होते हैं जो जाने-अनजाने आते जाते रहते हैं। मानों किसी नदी के किसी बहाव की तरह धीमे-धीमे ठण्डी हवा के साथ कलरव करती हुई एक मीठी सी मुस्कान के साथ। तो कभी तेज तूफानी, रेगिस्तानी गर्म हवा

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हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2023
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प्रस्तावना: हिंदी, भारत की आधिकारिक भाषा है, जिसका महत्व और मान्यता हमारे देश में अत्यधिक है। हिंदी दिवस का आयोजन 14 सितंबर को हर साल भारत में किया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व को याद करने और

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गांधीजी और हम

2 अक्टूबर 2023
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भारत की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जिस प्रकार गांधी जी ने देष के एक बहुत बड़े वर्ग को एक सूत्र में पिरोये रखा और उनके समर्थन में भारत की आबादी की एक बहुत बड़ा हिस्सा उनके साथ

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कश्मकश - गधा

30 अक्टूबर 2023
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आदमी और गधे में मात्र एक ही अंतर होता है और वो यह कि आदमी तो गधा हो सकता है लेकिन गधा कभी आदमी नहीं हो सकता। मगर इस बात का ज्ञान भी मात्र इंसान को ही है, गधे को नहीं। इसलिए तो वो गधा का गधा ही रह गया।

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प्यार के रंग हजार

19 अप्रैल 2024
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जी हां दोस्तो आज हम बात करने वाले है एक ऐसे अहसास की जिसे हम प्यार के नाम से जानते है। लेकिन इसको अनेकों रंग है जिन्हे हम अक्सर प्यार का नाम दे देते है। उन सब में भी प्यार की कुछ न कुछ मात्रा होती है

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