कहते हैं न मेहनत इतनी ख़ामोशी से करनी चाहिए कि सफलता शोर मचा दे। जिन्हें सपने देखने का शौक होता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिन्हें सपना पूरा करना पसंद होता है उनके लिए दिन छोटा पड़ता है। एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते हैं. कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, मायने रखता है तो इंसान का नजरिया। इस बात का उदाहरण है उर्वशी यादव।आपको ये जानकार हैरानी होगी कि उर्वशी का खुद का तीन करोड़ का बंगला और दो एसयूवी कारें है। लेकिन फिर भी वो सड़क किनारे ठेला लगाकर छोले-कुलचे बेचती है। आईये जानते हैं कि इतनी संपन्नता होने के बावजूद वह यह काम क्यों कर रही हैं। बता दें कि उर्वशी गुरुग्राम की रहने वाली हैं कुछ समय पहले उनके पति का एक एक्सीडेंट हो गया जिसके चलते उनके पति को काफी चोट आयी और ये एक्सीडेंट इतना गंभीर था की उनके पति के कूल्हे बदलने होंगे।पति की ऐसे हालत को ठीक करने और परिवार की जिम्मेदारियों में हाथ बटाने के लिए उन्होंने कुछ बिजनेस करने की सोची। उर्वशी ने पहले एक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया पर उन्होंने पाया कि स्कूल में ज्यादा कमाई नहीं हो पा रही तो उसके बाद उन्होंने छोले- कुल्चे का ठेला लगाने की सोची। उर्वशी को खाना बनाने का बेहद शौक है जिसके चलते उन्होंने अपने शौक़ को अपना प्रोफेशन बना लिया।हालाँकि उर्वशी की आर्थिक स्थिति ख़राब नहीं है पर उन्होंने भविष्य में कोई परेशानी न आये इसका ध्यान रखते हुए अपना काम शुरू किया है। तपती धुप हो या तेज़ बारिश पर उर्वशी अपना काम पूरी ईमानदारी और शिद्दत से कर रही हैं। ठेला लगाते हुए उन्हें कुछ दिन ही बीते हैं पर उनके स्वाद की चर्चा अभी से होने लगी है। उर्वशी दिन का रोज़ 2500 से 3000 तक कमा लेती हैं, और लोग उनके छोले-कुल्चों को काफी पसंद भी करने लगे हैं। हालाँकि ये काम शुरू करना उर्वशी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। उनके इस काम से उनके परिवार वाले काफ़ी नाखुश थे और कहीं न कहीं वो भी असमंजस्य में थी पर जैसे जैसे उन्होंने काम आगे बढ़ाया लोगों के द्वारा अच्छा रिस्पॉन्स मिला उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया और अब वे इसी काम को पूरी मेहनत के साथ कर रहीं हैं, और आगे चलकर वो अपने स्वाद को और बिखेरने के लिए भविष्य में वे एक रेस्टोरेंट भी खोलना चाहती हैं।