कसक तेरे प्यार की,,, (भाग 12)
अब तक आपने पढ़ा दादी जान सीमा से मुंह दिखाई के बारे में पूछती हैं,,, और जब वह यह कहती हैं कि यह कंगन तुम्हें नदीम ने बनाए हैं,, तो सीमा की आंखें आंसुओं से भर जाती हैं,,अब आगे 👉
सीमा का दिल चाहता है कि वह अभी के अभी दादी जान को सब कुछ बता कर अपने घर भाग जाए,, ।
फिर भी वह ख़ामोश हो जाती है आंसुओं को धीरे से ही घूंघट की आड़ में पोंछ लेती है और किसी को अपने आंसुओं की भनक तक नहीं लगने देती,,।
या खुदा कितना इम्तेहान लेगा मेरा दिल रो रहा है नदीम की बदतमीजी पर और लोगों को मुस्कुरा कर दिखाना है,,,
तभी दादी जान कहती हैं अब महफ़िल ख़त्म करो भाई थोड़ा आराम कर लेना चाहिए,,,।
शाम को मैरिज हॉल पहुंचता है वलीमे के रिसेप्शन के लिए,, दुल्हन के घर के लोग भी जल्दी आ जाएंगे उससे पहले सब लोगों को तैयार होकर पहुंच जाना है।
दुल्हन से कहो वह भी आराम करें ब्यूटीशियन यहीं पर आएगी,,,, आजकल तो उसमें भी कई घंटे लगते हैं,,,।
यह कहकर दादी जान अपने कमरे में चली जाती हैं और नदीम से बोलती हैं कि जा तू भी सीमा को ले जा आराम कर,,, ।
नदीम कहता है जी दादी जान और सीमा यह कहकर कमरे में सीमा के साथ जाता है,, और सोफे़ पर लंबी सांस खींचते हुए बैठता है,,,, ।
सीमा नदीम की तरफ़ सवालिया नजरों से देख रही होती है नदीम कहता है क्या हुआ,,,,,,, एक बार का कहा समझ नहीं आता क्या,,,,,,।
"मैं सोफे़ पर ही आराम करूंगा किसी तरहं की कोई उम्मीद मुझसे ना रखना,,,,,।"
"तुम्हारे साथ एक एक मिनट काटना मुझे बहुत भारी हो रहा है,,!"
"यह तो वह नाटक था जो मैं दादी जान को दिखाने के लिए कर रहा था,,,,,,!"
"सीमा कहती है सबको सच बता क्यों नहीं देते,,!"
"नदीम कहता है बस कुछ दिनों की बात है!"
"तुम भी बस इसी तरहं नाटक करती चली जाओ,, !
"एक दो दिन में सभी मेहमान अपने अपने घर चले जाएंगे,,।"
"और सीमा बेड पर तकिए पर सर रख कर लेट जाती है,,!"
"और सोचती है तू इसी का़बिल है के सोफे पर पढ़ा रहे,,,।"
" बस कुछ घंटों की बात और है मेरे घर के लोग आ जाएंगे मैं उनको सब कुछ बता दूंगी,,, !"
"मैं क्यों करूं ड्रामा मैंने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा मुझे तो घर जाते ही एक एक बात बता देनी है,,,।"
"यह कहकर सीमा आराम करने की कोशिश करती है,,!"
आगे की कहानी जानने के लिए पर तेरा यह धारावाहिक कसम तेरे प्यार की,,,,
👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉 क्रमशः
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,,, ✍️
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