कसक तेरे प्यार की (भाग 45)
अब तक आपने पढ़ा आतिफ़ और आयशा की मंगनी हो गई है,,,, उधर नदीम जे़बा की शादी से वापस आ गया है बहुत दुखी और उदास है,,,
अब आगे 👉
नदीम की समझ में नहीं आ रहा की वह जिंदा रहे या मर जाए,,, और मां है कि बार-बार अपने बेटे की खुशी के लिए,,, जेबा से उसकी शादी का ज़िक्र कर रही है,,,।
नदीम की समझ में नहीं आता कि वह क्या करें आज उसने मां को समझा दिया,,, आप वसीम की शादी की तैयारियां शुरू कर ले,,, ।
ज़ेबा के यहां शादी में अभी थोड़ा टाइम है वह जॉब करती है जब छुट्टियां होंगी शादी भी तभी होगी आप बेफिक्र रहें,,,।
मां कहती है ठीक है जैसा तुम मुनासिब समझो सही वक़्त देखकर हमें बता देना,,,।
उधर सीमा भी अपने ग़म को भुला कर,, भाई की शादी की तैयारियों में लगी हुई है,,, ।
कॉलेज में उसके बहुत से दोस्त बन गए हैं,,, जिनके साथ उसका अच्छा समय बीत जाता है,, ।
पर वह जैसे ही अकेली होती है उसको नदीम की बेवफाई और उसके घर की यादें सताने लगती है,,, वह ख़ुद से बार-बार पूछती है ,,,।
क्या बिगाड़ा था मैंने किसी का क्या करूं मैं,,, एक बुरा सपना देखा था ऐसा ही महसूस होता है पर यह सपना मेरी जिंदगी पर इतना गहरा असर डालेगा यह मैंने सोचा भी ना था,,,।
ससुराल में सब लोग कितना प्यार करते थे मुझे,, ख़ैर जो होता है अच्छे के लिए होता है,, अब देखो मेरी कितनी बढ़िया कॉलेज में नौकरी लगी है कितनी इज्जत है,,, यह भी तो मैंने नहीं सोचा था,, ।
इन्हें ख़्यालों में गुम वह जिंदगी के ताने-बाने बुन रही थी,,, और उसने फैसला किया आज से मैं सब कुछ अच्छा अच्छा ही सोचूंगी,,,,,, अच्छा सोचेंगे तभी अच्छा होगा,,,।
तभी नानी की आवाज़ आती है,,, सीमा मेकअप का सामान तो अभी आया ही नहीं,,, ।
"जी नानी कल ले लेते हैं वह भी,,,!"
" और हां शादी की तारीख भी इसी महीने की तय कर लेते हैं जितनी जल्दी बहू घर आ जाए उतना अच्छा है,,!" "यह आतिफ का बच्चा रात रात भर उससे बातें करता रहता है,,,,"!
" जल्दी यह क़िस्सा खत्म हो और वह घर में आ जाए,,!" "फिर करो दिल भर के बातें,, !"
"और सीमा नानी की बातों पर हंसने लगती है!"
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उधर नदीम की उदासियां बढ़ती जा रही है वह बिल्कुल अकेला हो गया है जब तक जे़बा की शादी नहीं हुई थी वह उससे फोन पर बात करती रहती थी जब से शादी हुई है नदीम उससे भी बात नहीं कर पाता,,,।
और सोचता है,, बीती यादों के सहारे ही मैं अपनी पूरी जिंदगी काट दूंगा,,,,।"
"ग़लती मेरी थी सजा भी मुझे ही मिलनी है,,,।"
फिर सोचता है सीमा के बारे में,, कितनी जल्दी कि मैंने उसे तलाक़ देने में,, कम से कम मां की पसंद की ही सही बीवी थी वो मेरी,,, वह भी होती अगर आज तुम्हें इस तरह मजबूर बेबस और तन्हा-तो ना होता,,,,,,,।
पर,,,अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत,,,
बस अपने कमरे में बैठा यह ग़ज़ल बार-बार सुनता रहता है,,, और ख़ुद को कोसता रहता है,,,
तूने जो ना कहा मैं वह सुनता रहा
ख़ामखां बेवजह ख़्वाब बुनता रहा
जाने किसकी हमें लग गई है नज़र
इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा
दूर चाहत से मैं अपनी चलता रहा
खामखां बेवजह ख़्वाब बुनता रहा,,
उधर नदीम की अम्मी बेफिक्र हो जाती हैं जब चाहेगा नदीम जे़बा से शादी कर लेगा,,।
और जब नदीम घर पर देर से आता है तो वह यही सोचती हैं,,, नदीम ज़ेबा के साथ ही होगा,,, ।
तभी कुछ ऐसा होता है के नदीम की अम्मी ख़ुश हो जाती हैं,,,
जानने के लिए देखते रहें,,,,
कसक तेरे प्यार की सीज़न टू ,,,,
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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