कसक तेरे प्यार की सीज़न टू (भाग58)
अब तक आपने पढ़ा वसीम की शादी सीमा से हो चुकी है और आज रिसेप्शन की तैयारी चल रही है,,,,,।
सीमा और वसीम दोनों एक दूसरे को पाकर बेहद खुश हैं उधर अम्मी जान भी बार-बार दुल्हन पर अपना प्यार बरसा रही हैं,,,
बार-बार दुल्हन की नजर उतार कर सदके के रुपए गरीबों को दे रही हैं,,,,।
और दुआ कर रही हैं मेरे नदीम की शादी भी अब जल्दी से जल्दी जेबा के साथ हो जाए,,,।
और नदीम दिल में हंस रहा है,,, बेचारी मां तुम भी कितनी भोली हो वह दुआ मांग रही हो जिसके कबूल होने के कोई चांस नहीं,,,,।
पर नदीम की मां हर बात से बेख़बर,,, बार-बार नदीम की शादी का जिक्र कर रही है,,,,,।
और नदीम के अब्बू से कहती है सुनो अब जल्दी से जल्दी हम नदीम की दुल्हन को घर में लाना चाहते हैं,,,,,,।
अब्बू हां बिल्कुल आप उससे पूछिए कब कर रहा है शादी हम तो तैयार बैठे हैं बारात लेकर जाने के लिए,,,,।
वसीम और उसकी दुल्हन को ख़ुश देखकर नदीम के अब्बू भी बहुत खुश होते हैं और दोनों को ख़ुश देख कर उन्होंने भी ख़ुदा का शुक्र अदा किया,,,,।
उधर सीमा के मैं मायके वाले बहुत फिक्र में हैं और खुदा से दुआ मांग रहे हैं सीमा को अब कोई तकलीफ ना उठानी पड़े,,,,।
तभी नानी जान फ़ोन करके सीमा से खै़रियत पता करती हैं ,,, और सीमा से कहती हैं सब कुछ सच-सच बता दे,,,,,,।
सब कुछ ठीक है ना सीमा कहती है बिल्कुल फिक्र ना करें नानी वसीम बहुत अच्छे हैं,,,, उन्होंने मुझे मुंह दिखाई में हीरे की अंगूठी भी दी है,,,,,।
हम लोग जल्दी ही हनीमून पर जाएंगे,,, नदीम के पापा ने हनीमून पैकेज भी हमारे लिए बुक कर दिया है,,,
घर के लोग भी बहुत ख़्याल रख रहे हैं मेरा,, पहले जैसी कोई बात नहीं आप बिल्कुल परेशान ना हो और अब मैं बहुत खुश हूं,,, ।
आपके और अपने फैसले पर मुझे गर्व है,,,, हमारा फैसला सही निकला,,,,।
नानी जान फोन रखती हैं,,, वसीम की अम्मी सीमा से कहती हैं बाहर आ जाओ दुल्हन नाश्ता तैयार है,,,।
वसीम सीमा को साथ लेकर नाश्ते के लिए आता है सामने नदीम को देख कर,, आवाज देता है भाई जान आप भी साथ में ही नाश्ता करें,,,,,।
नदीम की कुछ समझ में नहीं,,,, मैं सीमा के सामने जाए या नजरे चुरा ले,,,, फिर वह चुपचाप सामने बैठ जाता है,,, सीमा नदीम को सामने देखकर अदब से सलाम करती है,,,।
अब नदीम उसका जेठ है और वह नदीम की भाभी है ,,,,,,, इस नाते वह नदीम का एहतराम करती है,,,।
सीमा के चेहरे पर बड़ा सुकून और खुशी थी यह सब देख कर नदीम को थोड़ा को भी सुकून मिला,,,,।
वसीम सीमा को अपने हाथों से खिलाता है,,, नदीम थोड़ी देर में उठकर बाहर निकल आता है,,,,।
वह अपने दिल में बहुत परेशान है,,, पर सीमा को ख़ुश देख कर उसको सुकून मिलता है चलो वह जिस ख़ुशी की हक़दार थी वह सब उसको मिल गया,,,,,।
वसीम दिल का बहुत अच्छा है वह सीमा को हमेशा ख़ुश रखेगा,,, और मुझे तो अपने किए की सज़ा मिलनी ही थी,,,।
जेबा से शादी ना होने का उसको बेहद अफ़सोस है,,, वह आज भी जे़बा से बहुत प्यार करता है और उस प्यार की ख़ूबसूरत यादों के सहारे अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार देना चाहता है,,, ।
जे़बा अगर उसको हिम्मत ना बंधाती तो वह कब का अपने आप को खत्म कर चुका होता,,,,।
आगे जाने के लिए पढ़ते रहे धारावाहिक कसक तेरे प्यार की सीजन टू,,
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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