कसम तेरे प्यार की (भाग 19)
अब तक आपने पढ़ा सीमा खाना खाने के लिए नदीम का इंतज़ार कर रही होती है और नदीम 12:00 बजे के आसपास घर में आता है सीमा उसे जिद करती है खाना खा लेने के लिए,,,,,,,,, अब आगे 👉
मैं नहीं खाना चाहता तुम्हारे हाथ का कुछ भी,,,मुझे नफ़रत होती है तुम्हें देखकर,,, तुम्हारी बनाई हर चीज़ खाकर मुझे उल्टी होती है,,,, नफरत करता हूं मैं तुमसे नफरत सुना तुमने,,,,,तुम्हारी वजह से मेरी ज़िंदगी तबाह हो गई,,, ।
मैं अब और अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करूंगा,,, मैं रोज़ मिलता हूं उससे,,, मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं है,,, और सुनो मैं खाना भी उसी के साथ खा कर आ रहा हूं,,, रोज़ उसी के साथ खाता हूं क्यों करती हो मेरा इंतज़ार,,,,।
यह ज़िन्दगी इसी तरहां चलती रहेगी,,, अगर बदलाव होगा तो बस इतना कि वह भी इस घर में आएगी,,,।
मैं अपनी मोहब्बत को पाकर रहूंगा,,,।
सीमा कहती है किसने रोका था,,, क्यों नहीं कर ली थी आपने उससे शादी मैं किस चीज़ की सज़ा भुगत रही हूं मैं भी आपके साथ रहना नहीं चाहती,,, ।
प्यार आपने किया है सज़ा भी आप ही भुगतें,,,गलती आप से हुई है मुझसे नहीं बस बहुत हो गया,,,,।
"कल मैं अपने मायके चली जाऊंगी,,,।"
" कहा ना तुमसे चुप नहीं रहा जाता !"
"क्यों नहीं इसी को अपना मुकद्दर मान लेती,,, !"
"सब को सब कुछ नहीं मिलता,,,।"
"तो आप क्यों नहीं मान लेते इस बात को,,, सब को सब "कुछ नहीं मिलता मुझे क्यों सुना रहे हैं,,,!"
"मैं चार शादियां कर सकता हूं,,"
"बस मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो और तुम अपनी जिंदगी यहां जीती रहो,,, ,,,,। "
दुनिया के सामने तुम्हें अपनी बीवी क़बू़ल किया है,,, रहो घर में अम्मी की चहेती बहुत बनकर,,, क्या मुसीबत है,,,।
सीमा रोते हुए कमरे में चली जाती है वसीम भी अम्मी जान के साथ गया हुआ है,,,,।
इसलिए वह बिल्कुल अकेली पड़ गई है,,, कोई उसका दर्द समझने वाला नहीं,,, इसी तरहं से रोते -रोते और परेशान होते छ महीने गुज़र गए,,,,
रज़िया अम्मीजान और अब्बू जान को आने ही नहीं दे रही थी,,, और अम्मी जान का भी दिल बहन के घर ख़ूब लग रहा था,,,।
लेकिन कल वसीम वापस आ गया,,, उसे फ़िक्र हो रही थी
अपनी फैक्ट्री की,, एक फैक्ट्री वसीम चलाता है और एक नदीम,,, और एक फैक्ट्री अब्बा जान देखते हैं,,,। वैसे तो तीनों फैक्ट्री की जिम्मेदारी अब्बा जान पर ही है,,,,।
पर भरोसे के आदमी रखे हुए हैं तो काम चल जाता है,,,।
वसीम आते ही भाभी से कहता है,,, जल्दी से चाय बना दें आपके हाथ की चाय पिए हुए बहुत दिन हो गए,,, ।
सीमा वसीम के लिए चाय बना कर लाती है,,, आज कई महीनों बाद वह किसी के साथ बैठकर चाय पी रही है,,, वसीम ने चाय पीते हुए कहा भाभी आपके हाथों में जादू है आप कितनी अच्छी चाय बनाती हैं,,,,।
सीमा मुस्कुरा कर चुप हो जाती है,, वसीम सीमा का बहुत ध्यान रखता है,,,वह अकेली बोर ना हो इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा टाइम भाभी के साथ ही बिताता है,,,।
नदीम आज भी ऑफिस से जल्दी नहीं आया जबकि वसीम शाम को ही आ गया था,,, वो सीमा से पूछता है भैया अभी तक क्यों नहीं आए फैक्ट्री से तो कभी का निकल गए थे आप उन्हें फोन करके पता करें,,,कहां रह गए मुझे तो बहुत तेज भूख लगी है,,,।
सीमा ने कहा वह आजकल रात में ही घर वापस आते हैं,,, वसीम कहता है ध्यान रखिए भाभी,,, इतनी खूबसूरत बीवी घर में होते हुए भैया बाहर किस दिल से घूम रहे होंगें
कोई ज़रुरी काम निकल आया होगा,,,।
आप बिल्कुल परेशान ना हो मैं भाई जान को समझाऊंगा अगर वह बिजी हुआ करें तो भाभी को फोन करके बता दिया करें,,,, और इस तरहां स्विच ऑफ ना रखा करें,,,।
वसीम की बात सुनकर सीमा की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह वसीम से कहती है,,,,
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहे धारावाहिक कसम तेरे प्यार की,,,
👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,, ✍️
----------🌹🌹🌹-----------