कसक तेरे प्यार की सीजन टू (भाग 55)
अब तक आपने पढ़ा वसीम का सीमा से रिश्ता पक्का हो जाता है और शादी की डेट भी फिक्स हो जाती है अब आगे, 👉
सीमा के घर से फो़न आता है और अगले हफ़्ते शादी की डेट फिक्स हो जाती है,,,, वसीम और घर के सभी लोग बेहद ख़ुश हैं क्योंकि सभी सीमा को बहुत पसंद करते थे
वसीम के अब्बू वसीम से कहते हैं तुम्हारे इस फैसले पर मुझे फ़ख्र है,,,।"
" तुमने आज मेरा सर ऊंचा कर दिया,,,!"
"वसीम भी अपनी किस्मत पर हैरत करता है,, !"
"उसे यक़ीन ही नहीं आता सीमा उसको इस तरह मिल जाएगी और वह उसके इश्क में इतना खो जाएगा,,!"
" जैसे खु़दा ने सीमा को उसके लिए ही बनाया था,,,!"
"तभी सीमा का फ़ोन आता है,,।"
" और वसीम कहता है बहुत-बहुत शुक्रिया सीमा तुमने इस रिश्ते के लिए हां करके मेरी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है,,,,।"
मैं हमेशा तुम्हारा ख़्याल करूंगा तुम मेरी जान हो ज़िंदगी हो,,,, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता,,,,।"
सीमा ,,,,,, अरे अरे क्या इरादा है अभी तक सोए नहीं तुम।"
" तुम भी तो नहीं सोई,,,,।"
"बहुत अच्छा मौसम हो रहा है मैं बालकनी से खड़ी होकर रात का खूबसूरत नज़ारा देख रही हूं,,,!"
"और तुम,,,!"
" मैं तो बस तुम्हारी यादों में खो गया हूं,,,!"
"खुदा का शुक्र अदा कर रहा हूं जिसने तुम जैसी लड़की को मेरी जिंदगी में भेज दिया,,,!"
" और नदीम बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ में सीमा को गाना सुनाता है,,,"
ये हवा यह रात यह चांदनी
तेरी एक अदा पर निसार है
मुझे क्यों ना हो तेरी आरज़ू,
तेरी जुस्तजू में बहार है
ये हवा ये रात,,,
तुझे क्या ख़बर है ओ बे ख़बर
तेरी एक नज़र में है क्या असर
जो गजब में आए तो क़हर है
जो हो मेंहरबां तो क़रार है,,
मुझे क्यों ना हो तेरी आरज़ू
तेरी जुस्तजू में बाहर है,,,
तेरी बात बात है दिल नशीं
कोई तुझसे बढ़के नहीं हंसीं
है कली कली में जो मस्तियां
तेरी आंख का यह ख़ुमार है,
मुझे क्यों ना हो तेरी आरज़ू
तेरी जुस्तजू में बहार है,,
सीमा वसीम के गाने में बुरी तरहं से खो जाती है,,,,।" गाना ख़त्म होते ही नदीम से कहती है,,,," तुम तो बहुत अच्छा गाते हो यार,,,!"
"इतना रोमांटिक गीत तुमने मेरे लिए गया है दिल कर रहा है तुम्हारे पास दौड़ी चली आऊं,,,, !"
"अब तुम भी कुछ सुनाओ ना,,, मेरी खातिर बस दो लाइने नहीं नहीं अभी नहीं यह वादा रहा जिस दिन आऊंगी उस दिन ज़रूर सुनाऊंगी,,,,,,।
" अभी तो मैं तुम्हारे ही गीत में खोई हूं,,,,!"
सीमा फोन रख कर अपने दिल में सोचती है यह प्यार भी ना क्या अजीब शैय है,,।"
" अब नदीम के दिल को भी अच्छी तरहं से समझ कर उसे माफ़ कर देती है,, ।"
और सोचती है वाक़ई उसको सच्चा प्यार था जे़बा से चलो अच्छा हुआ कि उसको भी उसका प्यार मिल गया,,,।
और मुझे भी ख़ुदा ने वसीम के प्यार से नवाज़ दिया,,
आज मैं सोचती हूं मैं बहुत खुशनसीब हूं जो मुझे वसीम का प्यार मिला,,,
नदीम का क्या होता है यह जानने के लिए पढ़ते रहे कसम तेरे प्यार की सीजन टू
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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