कसक तेरे प्यार की (भाग 24)
अब तक आपने पढ़ा,,,,
नदीम को सब लोग समझाते हैं तो नदीम को और भी अधिक गुस्सा आ जाता है,,, अब आगे 👉
"और वह लगभग चीखते हुए कहता है,,,!"
"इसी की वजह से मैं अपने प्यार को तरस रहा हूं,,"
" जब भी यह मेरे सामने आती है मुझे गुस्सा आता है इसको देखकर,,,,!"
" इससे कह दो इसी वक़्त मेरे घर से चली जाए।"
अम्मी जान कहती हैं ,,,शादी करके लाए हो कोई मज़ाक थोड़ी है,,,,,,।
संभाल अपने आप को यह बीवी है तेरी शादी हुई है तेरी इससे अब यही हकीकत है यही सच्चाई है,,!
नदीम को और ज़्यादा गुस्सा आ जाता है और वह गुस्से में सीमा की तरफ बढ़ते हुए कहता है मैं तुम्हें इस रिश्ते से अभी और इसी वक्त आज़ाद करता हूं,,,,।
नदीम वैसे मेरा इरादा तलाक़ देने का नहीं था लेकिन तुम लोगों ने मुझे मजबूर किया है तुम मेरे रास्ते की रुकावट हो जब तक तुम यहां रहोगी,,, मै ज़ेबा को हासिल नहीं कर पाऊंगा,,,,।
"जाओ इसी वक़्त अपने घर चली जाओ मैं तुम्हें तलाक़ देता हूं,,,, तलाक़ देता हूं,,,, तलाक़ देता हूं,,, ।"
सब लोग हक्का-बक्का होकर नदीम को देखते रह जाते हैं
नदीम के अब्बू उसे समझाने की कोशिश करते हैं,,,वह कुछ कहते,,, इससे पहले ही तलाक़ हो जाती है,,,,,, ।
अब किसी के बस में कुछ नहीं तलाक़ हो चुकी है सबके सामने और अब समझाने का भी कोई फायदा नहीं,,,,। "अम्मी सीमा को गले लगाकर बुरी तरहां से रोती हैं।"
अम्मी"ये क्या कर डाला नदीम तूने यह क्या कर डाला,,, हमारे खा़नदान में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है,,,!"
" तूने सोसाइटी में हमारी नाक कटा दी,,,।"
"शोर सुनकर वसीम भाग कर आता है,,!"
" वजह पता चलने पर नदीम से पूछता है ।"
वसीम यह क्या किया आपने,,,!"
" गुस्से में आकर आपने इतना बड़ा कदम उठा लिया,,,!"
"किसी की जिंदगी तबाह कर दी क्यों किया आपने ऐसा,,,।"
"आप बहुत पछताएंगे भाई जान यह आपने अच्छा नहीं किया,,,।"
अब्बू कहते हैं,,, अब समझने समझाने का वक़्त गुज़र गया तुम अपने कमरे में जाओ,,,।"
"और नदीम को उसके हाल पर छोड़ दो,,,।"
और सीमा,,,, वह तो जैसे पत्थर हो गई है उसकी आंख से एक भी आंसू नहीं टपका,,,, वह जहां की तहां खामोश बैठी रह जाती है,,,,।
उसकी आंखें शून्य में घूर रही है,,,। बेबस और मजबूर पहले दिन से ही यह शादी उस पर कहर ढा रही थी फिर भी जैसे तैसे वह इस शादी को संभालने की कोशिश कर रही थी,,,,,।
तक़दीर का फसाना जाकर किसे सुनाएं इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएं,,,,,,।
और नदीम एक सांस में अपनी बात पूरी करके घर से बाहर निकल जाता है,,,,।
और सीमा ,,,,वह तो जैसे ख़ामोश रह कर,,, भगवान से शिकायत कर रही हो,,,,,
क्या मिल गया भगवान तुझे मुझको सता के अरमानों की नगरी में मेरी आग लगा कर,,, क्या मिल गया भगवान,,,,।
इसके बाद कहानी क्या जबरदस्त मोड़ लेती है ,,,, जानने
के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक,,,,,,
कसक तेरे प्यार की,,,,।
👉👉👉👉👉👉👉👉👉 क्रमशः
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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