कसक तेरे प्यार की,,,
(भाग 6)
अब तक आपने पढ़ा सीमा कमरे में बैठी अपने शौहर नदीम का इंतज़ार करती है वह नदीम से पहले कभी नहीं मिली है नदीम से उसकी शादी घरवालों की मर्ज़ी से हुई है,,,,अब आगे,,, 👉👉
सीमा सोचती है यह चुलबुला नटखट देवर क्या मौक़े से गाना लगा कर गया है,,, एक के बाद एक गाने चलते रहे और सीमा बैठी हुई नदीम का इंतज़ार कर रही थी।
"आधी रात गुज़र गई इसी तरहं,,,, ।"
"अब सीमा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी!"
" अब तक क्यों नहीं आए!"
" उनको जल्दी आ जाना चाहिए था"
" वह नहीं जानते क्या,,, एक लड़की दिल में हज़ारों अरमान लिए उनकी राह तक रही है,,,,,,!"
" पहले ही दिन इतना इंतज़ार ओफ्फ,,,!"
"भला हो वसीम का जो यह गाने लगा गया,,,!"
" वरना वाक़ई वह तो इंतज़ार करते करते,, बोर हो गई थी!"
" ना आंखों में नींद थी,,,, ना दिल को क़रार,,!"
" वह अपने दिल में सोच ही रही थी इनकी यह आदत ठीक करनी पड़ेगी,,,।"
"फिर दिल ही दिल मुस्कुराते हुए बोली,,!"
" अरे दोस्तों के बीच घिरे होंगे या फिर किसी काम में फंसे होंगे बड़े हैं ना,,,!"
" तभी आहिस्ता से कमरे का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई,,,।"
"सीमा संभल कर बैठ गई "
"उसने अपना घुंघट खींचकर और लंबा कर लिया,," "उसका दिल जो़र-जो़र से धड़कने लगा घबराहट में "पसीने की बूंदे माथे पर चमक आईं,,,"
" वह थोड़ा और सिमट कर बैठ गई,,,,!"
"नदीम ने उसके क़रीब आते हुए कहा इन सब की कोई ज़रूरत नहीं,,!"
" और वैसे भी तुम अब तक क्यों जाग रही हो,,,!"
"ख़ैर जाने दो यह तुम्हारे मुंह दिखाई के कंगन है,,,!"
"यह कहकर उसने कंगन का डिब्बा उसके पास रख दिया,,,,!"
" और ख़ुद सोफे़ पर जाकर बैठ गया,,,!"
" सीमा ने उसकी तरफ़ नज़र उठाकर देखा,,,!"
" सीमा की आंखों में हज़ारों सवाल तैर रहे थे,,,!"
"वह सोच रही थी कि नदीम अभी मेरे पास उठकर आएंगे और यह कंगन उसको अपने हाथों से पहनाएंगे,,,,,"
"मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,, !"
"वह सवालिया नज़रों से नदीम को देखती रही,,!" "इंतज़ार करती रही अपने क़रीब आने का,,,।"
पर नदीम उसके पास नहीं आया और सोफे पर ही सोने की तैयारी करने लगा तब बड़ी हिम्मत बांधकर सीमा ने नदीम से कहा क्या आप वहां सोने वाले हैं,,,।
"मुझसे कोई ग़लती हुई क्या,,!"
"क्या आप की तबीयत ख़राब है,,,!"
"या आप मुझसे नाराज़ हैं!"
"नदीम ने उसकी किसी बात का जवाब नहीं दिया"
"पर सीमा की समझ में कुछ नहीं आ रहा था!"
" वह रह-रहकर नदीम की तरह देखती शायद अब वह कुछ कहें,,"
"आखिर में नदीम भी संभल कर बैठ गया!"
"और सीमा से बोला बहुत जल्दी है तुम्हें सब कुछ जान लेने की,,,"
"अब जबकि तुम जानना ही चाहती हो तो सुन लो"
नदीम ने एक ही मिनट में उसके सारे सवालों का जवाब दे डाला,,,!"
" मुझसे तुम इससे ज़्यादा कोई उम्मीद ना रखना,,,!"
" मैं तुम्हें किसी धोखे में नहीं रखना चाहता,,,,,,!"
" मैं तुम्हें पसंद नहीं करता,,,,,,।"
"और ना ही तुमसे शादी करना चाहता था,,,!"
" घरवालों ने प्रेशर दिया तो यह शादी हो गई,,,!"
" मैं किसी और को चाहता हूं और एक अच्छा मौका देख कर उसी से शादी भी कर लूंगा,,,।"
"सीमा को ऐसा लगा जैसे हज़ारों पत्थर उसके सर पर एक साथ गिर गए हों,,,!
"वह दहाड़े मार कर रोना चाहती है,, !"
"पर उसकी आवाज़ गले में फंस कर रह गई,,,,।"
"घबराहट और बेचैनी की वजह से उसका दम घुटा जा रहा था,,!"
"कमरे की सजावट उसे काटने को दौड़ रही थी!"
"उसका दिल कर रहा था सारी लड़ियां तोड़ कर फेंक दे"
"आखिर यह ड्रामा किस लिए,,"
"दुनिया के सामने तुम क्या दिखाना चाहते हो,,,!"
"मेरे सामने कितनी ज़बान चल रही है"
"मासूम औरत को इस तरह मजबूर और बेबस देखकर"
"आखिर पहले क्यों नहीं अपनी ज़ुबान खोली,,,!
"जब हिम्मत नहीं थी शादी करने की,,,!"
"तो क्यों धोखा दिया प्रेमिका को भी,,,"
"यह बड़ी-बड़ी बातें उस वक़्त क्यों नहीं याद आईं तुम्हें !"
"मैं हरगिज़ भी चुप नहीं रहूंगी,,,!"
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक कसक तेरे प्यार की,,,
👉👉👉👉👉👉👉👉👉 क्रमशः
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,,, ✍️
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