कसक तेरे प्यार की सीज़न टू,,,(भाग48)
अब तक आपने पढ़ा वसीम की अम्मी वसीम की शादी करना चाहती हैं और कहती हैं कोई लड़की पसंद करके बता दे,,, अब आगे,, 👉
अम्मी से बात करने के बाद वसीम अपने कमरे में चला जाता है,,, जैसे ही वह अम्मी की बात पर ग़ौर करता है उसकी आंखों के सामने सीमा का मासूम चेहरा आ जाता है,,,,,,।
एक ठंडी सांस भरकर अपने दिल में सोचता है काश सीमा जैसी कोई लड़की मेरी जिंदगी में होती,,, तन भी खूबसूरत और मन भी,,।
फिर उसे सीमा के साथ गुजारे हुए चंद पल याद आ जाते हैं,,,वह सोचता है अगर सीमा चाहती तो कल मुझसे बात करने से मना कर सकती थी आख़िर मेरे भाई ने धोखा दिया है उसे,,,,,, जिंदगी बर्बाद करके रख दी उसकी,,,।
मगर यह उसकी शालीनता ही थी जो नदीम का बदला मुझसे से नहीं लिया उसने,,, लेमन कलर के सूट में उसकी सुंदरता बहुत निखर रही थी,,, न जाने क्यों उसकी भोली सूरत पर वसीम को रह-रहकर प्यार आ रहा था,,,।
शायद तलाक़ के बाद आज वह पहली बार उसके सामने आई थी,,,, हर रिश्ते से आजाद एक दोस्त की तरहां,,,।
सच में एक दोस्त की तरह ही वह मुझसे मिली,,,।
वसीम भी भावज होने के नाते उसकी बड़ी इज्जत करता था और उसने भी पूरी दोस्ती निभाई थी वक़्त,,,,,,,।
उसने नदीम को बहुत समझाया था कि वह सीमा को तंग ना करें अच्छा सलूक करें उसके साथ,,,, वह मन ही मन उसके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहा था,,,,।
और उधर सीमा वसीम के बारे में ही सोच रही थी कितना फ़र्क था दोनों भाइयों में,,, कितना समझाता था वह अपने भाई को,,, ।
कितनी हिम्मत बंधाता था मेरी ,,,,,एक दिन सब ठीक हो जाएगा भाभी भैया बहुत अच्छे हैं वह जल्दी ही आपके हो जाएंगे,,, अभी सेवा का भूत उनके सर पर चढ़कर बोल रहा है,,, ठोकर खाएंगे तो अक़ल आ जाएगी,,,,,अब उनकी शादी हो चुकी है और यही सच है,,,,
हर हर बात पर एक दोस्त की तरह मेरा ध्यान रखता था,,, यही वजह थी कि आज मैं चाह कर भी उसके साथ जाने को मना ना कर सकी,,,,,,,।
एक इंसान के कर्मों की सज़ा घर के हर आदमी को तो नहीं दी जा सकती ना,,, सारे लोग तो बहुत अच्छे थे और अभी तक नदीम के किए पर शर्मिंदा है,,।
पर क्या किया जा सकता है यहीं आकर लगता है क़िस्मत भी कोई चीज़ होती है,,, ।
तभी सीमा की अम्मीजान,, सीमा के अब्बू से कहती हैं,,, आप जल्दी ही सीमा के लिए भी कोई अच्छा लड़का देखना शुरू कीजिए मैं चाहती हूं उसकी दूसरी शादी हो जाए,,,,,,,,,।
सीमा के अब्बू कहते हैं तुम भी ना कैसी बातें करती हो,, बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को संभाल रही है,, और फिर यह सोचो हमारी लड़की में कोई कमी नहीं,,,।
अब वह कॉलेज में भी प्रोफेसर है ना जाने कितने लड़के आएंगे इसका हाथ मांगने के लिए,,, लेकिन मैं चाहता हूं कि इस बार शादी सीमा की पसंद की हो,,,,,,,।
थोड़ा इंतज़ार करो बेगम सब ठीक हो जाएगा,,, सब्र का फल मीठा होता है देखना हमारी सीमा जहां भी जाएगी अब बहुत खुश रहेगी,,,, उसको एक मौक़ा दो अपना हमसफर चुन ने के लिए,,,।
अभी हमारा सारा फोकस आतिफ की शादी पर होना चाहिए,,,, सीमा की दोस्त दुल्हन बन कर घर जा रहे हैं इसलिए सीमा की खुशियां और ज्यादा बढ़ गई हैं कैसे एक एक चीज खुश होकर पसंद कर रही है आयशा के लिए बड़ा अच्छा लगता है यह सब देख कर,,,
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहे,,,,
कसक तेरे प्यार की सीजन 2
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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