कसक तेरे प्यार की सीज़न टू (भाग 56)
अब तक आपने पढ़ा वसीम और सीमा की शादी होने वाली है अब आगे 👉
दो-तीन दिन में वसीम की शादी होने वाली है बिना किसी शोर-शराबे के बरात में घर के लोग जाकर सीमा को निकाह करके घर ले आएंगे,,, रिसेप्शन पार्टी वसीम के यहां ज़ोरदार होगी,,,
उधर नदीम को जब पता चलता है के वसीम की शादी एक-दो दिन में होने वाली है तो उसको कुछ नहीं सूझता क्या करें,,,
वह तो अपने दिल की सारी बातें ज़ेबा से ही करता था
वो कहते हैं ना कि दिल से दिल को राहत होती है,,,,।
तभी जे़बा का मैसेज आता है शादी क्या हुई दोस्त तुम तो हमें भूल ही गए,,,।
नदीम का दिल उसके बस में नहीं रहता ज़ेबा का मैसेज देख कर उसकी आंखें भर आती हैं,,, वह जवाब में लिखता है क्या मैं तुमसे बात कर सकता हूं जेबा जवाब में एक प्रसिद्ध गाने की यह पंक्तियां लिखकर भेजती है,,,,,
जुदा हम हो गए माना
मगर यह जान लो जाना
कभी भी याद आए तो
चले आना,, चले आना
तुम्हें मैं भूल जाऊंगी
यह बातें दिल में ना लाना
कभी मैं याद आऊं तो चले आना,,
"नदीम सीमा का यह मैसेज पढ़कर बहुत रोने लगता है और सीमा से पूछता है क्या मैं तुम्हें फ़ोन कर सकता हूं,,,,??"
" हां हां तुम दोस्त हो मेरे,,,,, बिल्कुल फोन कर सकते हो!"
" तुम कहां हो ,,,!"
"मैं अम्मी के घर हूं,, !"
"नदीम की फोन पर आवाज सुनकर सीमा परेशान हो जाती है ,,,!"
"क्या हुआ तुम बहुत परेशान लगते हो ,,,।"
"नदीम,,, मैं लुट गया,,, बर्बाद हो गया,,,, इस भरी दुनिया में मेरा कोई नहीं जो मेरे दिल का हाल जान सके,,,,,!"
"जेबा अरे अरे क्या हुआ किसी ने कुछ कहा क्या,,,, तुम ठीक तो हो ना,,,,,!
" हां अभी तक तो ठीक हूं ,,,!"
"सब मुझको ही गुनहगार समझते हैं कोई मेरे दिल को नहीं समझता,,,,,!"
तुम भी मेरे लिए कोई सजा तय कर लो मैं तुम्हारा भी गुनहगार हूं,,,,।
अरे आज कैसी बातें कर रहे हो बताओ ना क्या हुआ मैं दोस्त हूं तुम्हारी तुम्हें दोस्ती का वास्ता मुझे सब कुछ बता दो,,,,,।
" मैंने सीमा को इसलिए तलाक़ दिया जिससे कि वह अपनी जिंदगी में खुश रह सके,,,,,,,,,,,, मैं उसके साथ नाइंसाफी नहीं करना चाहता था,,,, जब मैं उससे प्यार ही नहीं करता था तो उसको अपने निकाह में रख कर क्या करता,,,।"
"इसलिए मैंने उसे आज़ाद किया आखि़र उसकी भी जिंदगी है मेरे साथ अधूरी जिंदगी जी कर वह दुखी होती अब आजाद है कुछ भी कर सकती है मेरी नियत बुरी नहीं थी मेरा तरीका़ बुरा हो गया,,,,,,।"
तुमने भी मुझे बेवफ़ा समझा और कसूरवार समझा,,, जबकि मैंने दिल में सोचा था कि तुम यह जानकर बहुत ख़ुश हो जाओगे कि मैं तुमसे शादी करने के लिए अब आजाद हूं,,,, ।
पर तुमने भी ठीक ही कहा,,, तलाक़ का इल्ज़ाम तुम अपने सर ले कर नहीं जीना चाहती थी,,,,, सब में मेरी ही ग़लती है,,,।
अब सीमा की शादी वसीम से हो रही है वह मेरी आंखों के सामने रहेगी,,,,,, मैं किस तरहं देख पाऊंगा,,,,,।
किसी ने मेरे दिल का नहीं सोचा सबको बस सीमा की पड़ी थी,,,,,,।
उधर अम्मा जान समझती हैं कि मेरी शादी तुमसे होने वाली है मैं तुम्हारे साथ ख़ुश रहूंगा,,,,, और सीमा की तरफ़ मेरा ध्यान जाएगा ही नहीं,,,,।
आगे जाने के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक कसक तेरे प्यार की सीज़न टू ,,,,
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
---------------🌹🌹🌹-------