कसक तेरे प्यार की (भाग 3)
अब तक आपने पड़ा आयशा आतिफ को देखकर बुरी तरहं से हंसने लगती है,, और आतिफ़ भी आशा को देख कर अपनी हंसी नहीं रोक पाता अब आगे,,, 👉
आतिफ ने हंसते हंसते आयशा से कहा,,,," आज तो पूरी गब्बर सिंह लग रही हो,,,"
" क्या गज़ब की मूछें दाढ़ी बनी है तुम्हारे,,,,,!"
आयशा को नानी की बात याद आ गई,, और जब उसने आतिफ को बताया,,,!
" अपना मुंह देखा है तुमने"
वह आतिफ को खींचते हुए शीशे के सामने ले गई,,,!
इतने में और लोग भी सो कर उठ चुके थे सभी का यह हाल बना हुआ था,,,
जब आतिफ ने शीशे में अपना मुंह देखा तो देखता ही रह गया,,,!
" किसने किया यह हाल"
और"आयशा के मुंह से हंसी की फुलझड़ी छूट पड़ी,,,,!" और वह आतिफ से बोली,,,,!
" वाह क्या छमिया लग रहे हो,,,,, !"
आतिफ उसके पीछे भागा,,,!
" मैं बताता हूं तुझे "
" गब्बर सिंह कहीं की,,,,,,,,,!"
लड़कों के लिपस्टिक और बिंदी और लड़कियों के मूंछ दाढ़ी,,,,!
सब एक दूसरे को देख कर हंसते हंसते लोटपोट हो रहे थे,, दादी जान और नानी दोनों बच्चों को चिढ़ाते हुए बोली "और सो जाओ जाकर "
तुम्हें पहले ही बताया था,,,!"
जो भी सो कर उठ रहा था सब का यही हाल था,,,।
अब तो सारा घर ठहाकों से गूंज उठा था,, इस तरहां सारे मेहमान एक दूसरे के साथ अच्छी तरहं से घुल मिल गए थे
अब कोई किसी के लिए अपरिचित ना बचा था,,,!
सब में अच्छी खा़सी दोस्ती हो गई थी,,,।
सब लोग नहा धोकर नाश्ते के लिए तैयार हुए फिर अपनी-अपनी तैयारी में लग गए शाम को बरात आने वाली थी,,, स्वागत की तैयारियां चल रही थी,,, सीमा के मेहंदी तो कल ही लग चुकी थी आज उसे ब्यूटी पार्लर जाना था,,,।
आतिफ ने गाड़ी निकाली आयशा और उसकी दो तीन सहेलियां आयशा के साथ ब्यूटी पार्लर के लिए रवाना हो गई,,,
गाड़ी चलाते हुए आतिफ बार-बार शीशे में आयशा को ही देख रहा था,, और आयशा भी नज़र बचाकर आतिफ को देखने में मसरुफ थी,,, तभी कुसुम ने हंसते हुए,,,
" कहा गाड़ी में हम भी बैठे हैं,,,।"
" और कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना हमें खूब समझ आ रहा है,,।"
कुसुम की बात पर सीमा भी हंसने लगती है और आतिफ से कहती है,,,,!
" जरा संभल के अब तुम्हारा ही नंबर है,,,,!"
"लगता है तुमने हमारा काम आसान कर दिया,,,,!"
"ठीक है भाई शादी तो पसंद की ही होनी चाहिए,,!"
तभी ब्यूटी पार्लर आ गया और आति़फ उन लोगों को वहां छोड़कर,,, वापस लौट आया,,,।
पूरा दिन इन्हीं तैयारियों में निकल गया और अब सब के सब मैरिज हॉल में पहुंच चुके थे कुछ ही देर में बरात भी आने वाली थी,,, बारात के स्वागत के लिए फूलों के हार और हाथों में गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से भरी हुई खूबसूरत थालियां लिए करीबी रिश्तेदारों के लड़के और लड़कियां खड़ी हुई थी,,,,।
सीमा के अब्बा जान ताए मियां ,चाचा जान ,दादा जान, और नाना जान, सबसे आगे मौजूद थे,, नानी और दादी जान लड़कियों के साथ खड़ी हुई थीं सजी-धजी लड़कियां अप्सराओं से कम नहीं लग रही थीं,,,।
तभी उनके बीच से निकलता हुआ आति़फ बरात के इस्तकबाल के लिए अपने दोस्तों के साथ वहां से गुज़रा जैसे ही उसने आयशा को देखा,, बस देखता ही रह गया गहरे हरे रंग के लहंगे के सूट में गज़ब ढा रही थी खुले हुए बाल और मैचिंग ज्वेलरी मे उसका रूप बहुत निखर रहा था,,,,,।
आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक कसक तेरे प्यार की,,,!
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मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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