कसक तेरे प्यार की भाग 33
अब तक आपने पढ़ा जेबा नदीम से शादी करने के लिए इंकार कर देती है,,, अपने शादी का कार्ड नदीम के हाथ में देकर कहती है,,, मेरी शादी में जरूर आना,,, अब आगे 👉
नदीम बहुत ही दुखी और उदास है वह ज़ेबा की शादी का कार्ड लेकर वह घर पहुंचता है ,,,और अपने कमरे में कार्ड को खोल कर देखता है,,,।
जे़बा के साथ अलीम का नाम लिखा देखकर बार-बार दिल में सोचता है अलीम की जगह नदीम लिखा होता तो कितना अच्छा था,,,।
और रह-रहकर उसका दिल तड़प उठता है,,, किसी शायर की यह पंक्तियां पढ़कर अपना दिल हल्का कर रहा है,,, और उम्मीद कर रहा है किसी चमत्कार के होने कि,,,
दिल तड़प तड़प के कह रहा है, आ भी जा आ भी जा
यूं ना हमसे आंखें चुरा तुझे कसम है प्यार की आभी जा
तू नहीं तो यह बहार भी क्या बहार है गुल नहीं खिले
के तेरा इंतज़ार है तेरा इंतजार है तुझे क़सम है प्यार की
आ भी जा,,, दिल तड़प तड़प के,,,
और ऐसे ही शेर पढ़ते पढ़ते, अपने नसीब को कोसते हुए सुबह हो जाती है,,,।
जब वह नाश्ते पर नहीं आता तो अम्मा जान आकर कहती है,,,!
" क्या हुआ नदीम आज इतनी देर हो गई तुम नाश्ते के लिए नहीं आए,,।"
"नदीम कहता है कुछ नहीं अम्मी थोड़ी तबीयत सुस्त है,,!"
" यह कहकर नाश्ते के लिए फ्रेश होकर पहुंच जाता है,,,।"
"इधर उसकी अम्मी दिल में सोचती है चलो अब कम से कम नदीम की शादी ज़ेबा से हो जाएगी तो इसका अकेलापन और उदासी अपने आप खत्म हो जाएगी,,"
"नदिया के ऑफिस जाने के बाद अम्मा जान सोचती है कितनी अच्छी बहु लाई थी,,, !"
" क्या पता था सबको अपना बना कर यूं बेगानी हो जाएगी,,!
" किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है,,!"
" आज मैं सीमा के घर ज़रूर जाऊंगी उस लड़की से मिलने के लिए,, कम से कम हमें इसको हिम्मत तो बंधानी ही पड़ेगी,,!"
"और यह सोच कर वह नदीम के अब्बू से कहती हैं आज शाम हमें सीमा के घर जाना है हम इस तरह मुंह नहीं मोड़ सकते,,,!"
"कम से कम इंसानियत के नाते ही सही हमें वहां जाना चाहिए,, !"
अपने बेटे की करतूतों के लिए माफ़ी मांगने जाना ज़रूरी है,,।
"आपकी क्या राय है बिल्कुल ठीक है बेगम आज शाम को ही दोनों चलते हैं,, !"
शाम को वह दोनों सीमा के घर पहुंच जाते हैं सीमा के घर के लोग भी बहुत शरीफ़ लोग हैं वह कहते हैं इसमें आप लोगों की क्या ग़लती सारी ग़ल़ती नदीम की है फिर क़िस्मत का लिखा कौन टाल सकता है,,।
यह बात अलग है कि इस सदमे ने सब को तोड़ कर रख दिया है,,, ।
इसकी दादी तो बिल्कुल गुमसुम हो गई है,,,।
यह रिश्ता उनकी पसंद का था,,, ।
उन्हें यकीन ही नहीं आता कि नदीम ऐसा कर सकता है,,,।"
सीमा भी कॉलेज में प्रोफेसर हो गई है कम से कम इस बात की बेफिक्री है कि अब वह अपने पैरों पर खड़ी है किसी की मोहताज नहीं वक्त सबसे बड़ा मरहम है,,।
" एक न एक दिन वह भी इस सदमे से बाहर निकल आएगी,,,।"
" नदीम के अब्बू जान कहते हैं बिल्कुल ठीक किया आपने हम तो हमेशा ही उसकी खुशी के लिए ख़ुदा से दुआ करते हैं उसको जिंदगी में इतनी खुशियां मिले कि वह इस ग़म को भूल जाए,,।
सीमा सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आती है उसका मुरझाया हुआ चेहरा देखकर सब को बड़ी तकलीफ होती है,,, ।
फिर भी बहुत ही अच्छी लड़की है ना कोई शिकवा ना कोई शिकायत,, मुस्कुराने की भरपूर कोशिश करती हुई वह उन लोगों के पास बैठी रही,,,।
नदीम के मां बाप सीमा से माफ़ी मांगते हुए अपने घर वापस लौट आए,, उसका मासूम चेहरा बार-बार उनकी आंखों के सामने घूमता रहा,,,।
आगे कहानी क्या मोड़ लेती है यह जानने के लिए पढ़ते रहे धारावाहिक कसक उसकी,,,
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मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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