भाग-9)
"तभी नदीम की मम्मी यानी सासू मां कमरे में आती हैं" "सीमा के सर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं !"
"खुदा लंबी उम्र करें और तमाम खुशियां अता फरमाए,,,!"आमीन
"फिर रज़िया से कहती हैं भाभी को नाश्ता करा दे बाहर बहुत लोग इंतज़ार में बैठे हुए हैं,,, !"
"और रज़िया कहती है भाभी आप तैयार हो जाएं मैं अभी नाश्ता लगाए देती हूं,,,।"
थोड़ी देर में रज़िया भाभी के लिए नाश्ता कमरे में ही लगा देती है फिर नदीम को बुला कर लाती है नाश्ते के लिए,,। नदीम भी नाश्ता करने रूम में आता है ।
"आप लोग नाश्ता करें मैं अभी आती हूं!"
" कहकर रज़िया रूम का पर्दा लगा कर बाहर चली जाती है,, !"
"सीमा कप में चाय निकालती है!"
" और नदीम के लिए प्लेट में नाश्ता निकालकर जैसे ही नदीम को देती है !"
"नदीम गुस्से से कहता है !"
"इन चोंचलों की कोई ज़रूरत नहीं,,।"
"बाहर बहुत मेहमान है!"
" मैं कोई तमाशा खड़ा करना नहीं चाहता !"
"यह बीवी होने का ड्रामा तुम दूसरों के सामने ही करना,,,।"
"मैं तुम्हें बीवी नहीं मानता बस जब तक मेहमान घर में है मैं किसी को पता लगने नहीं दूंगा,,,!"
"वैसे मैं इस ड्रामे को भी जल्द ही ख़त्म कर दूंगा"
" मैं तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं करता,,,, !
"सीमा: फिर आपने मुझसे शादी क्यों की,,,,,
नदीम : "कहा ना घरवालों की ज़िद के आगे मुझे घुटने टेकने पड़े,,,।"
सीमा: आपने घरवालों से कहा क्यों नहीं,,, आप किसी और को प्यार करते हैं,,,!
"कैसे कहता मम्मी को तुम जो इस क़दर पसंद आ गई थीं
"फिर आपको मैं इतनी बुरी कैसे लगी,,,!"
"बात पसंद या नापसंद की नहीं है बात है मैं किसी और को चाहता हूं,, इसीलिए तुम मुझे ना पसंद हो,,,।"
नदीम ,सीमा के सवालों से बैखला जाता है उसको उम्मीद नहीं थी कि सीमा उससे इस तरहां बहस करेगी वह बात को ख़त्म करते हुए कहता है,,,।
"बस तुम्हारे साथ रहना मेरी मजबूरी है,,,,। "
"सीमा खून का घूंट पीकर चुप रह जाती है,,,!"
" उसका दिल करता है चाय नदीम के मुंह पर फेंक दे,,,!"
"पर वह चुप रहने में ही बेहतरी समझती है,,,!
"तभी नदीम का छोटा भाई कमरे में आता है!"
" और शरारत भरी नज़रों से भाई की तरफ़ देखता है
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक
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कसक तेरे प्यार की,,, क्रमश:
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,, ✍️
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