कसक तेरे प्यार की
(भाग10)
अब तक आपने पढ़ा सीमा और नदीम नाश्ता कर रहे होते हैं तभी उन का छोटा भाई वसीम कमरे में आता है और कहता है अरे वाह हम तो बहुत अच्छे वक्त पर आए नाश्ता बिल्कुल तैयार है और शरारत भरी मुस्कान बिखेरते हुए
"अपनी भाभी को सलाम करता है!"
" कहता है वाह भाभी आज तो मैं भी आपके साथ नाश्ता करूंगा,,, !"
और सीमा को हंसाने की कोशिश करता है
"अरे भाभी आपने तो कुछ लिया ही नहीं!"
" भैया आप भी ना,,,,लगता है भाभी का ख़्याल मुझे ही करना पड़ेगा,,!"
"वह मिठाई सीमा को अपने हाथ से खिलाता है,,,!"
" और उसकी प्लेट खाली देखकर उसमें नाश्ता रखते हुए कहता है,,"
" वाह भैया अपनी प्लेट में सब कुछ और भाभी की प्लेट खाली,,,!"
" फिर ख़ुद ही अपने सर पर हाथ मार कर कहता है अरे मैं भी कितना बुद्धू हूं आज तो एक ही प्लेट में काम चलेगा,,,!"
" और नदीम भी उसके साथ साथ हंसने लगता है,, !"
"सीमा भी दिखावटी मुस्कान के साथ उसकी तरफ़ देखती है,,, !"
"तभी नदीम की अम्मी जान आकर कहती हैं नाश्ते के बाद थोड़ी देर के लिए बाहर आकर बैठ जाना तुम लोग भी घर के लोग तुमसे मिलना चाहते हैं,,!"
थोड़ी देर में रज़िया आकर भाभी को अपने साथ बाहर ले जाती है और जैसे ही नदीम और सीमा सोफे़ पर आकर बैठते हैं ,,,, वहां पर जमा लड़कियां हंसी मज़ाक करती हैं
और कहती हैं वाह भाई क्या शानदार जोड़ी है।
तभी कुलसूम सबको पान पेश करती है नदीम की दादी जान भी पान चबाकर संभलते हुए लड़कियों के बीच में आकर बैठती हैं और कहती हैं कुछ गाना वाना हो जाए
बड़ी फीकी महफ़िल कर रखी है,,, तुम लोगों ने,, मुआ ये वसीम दिखाई नहीं दे रहा ,,, रात उसने बड़ी महफ़िल जमा रखी थी बुलाओ इसे अब भाभी के सामने आ कर गए,,,, ।
आख़िर देवर है धमाल मचाना तो बनता है ना उसका,,, तभी लड़कियां ढोलक की आवाज के साथ हंसते हुए गाना शुरू करती हैं,,,
शहाना दुल्हा शहानी दुल्हन
सुहानी महफिल सजाई जाएगी,,,।
अभी लड़कियों का गाना चल ही रहा था कि एक बहुत लम्बी और तगड़ी सी औरत लड़कियों के बीच में आकर,, अपने लम्बे से घूंघट में मुखड़ा छिपाए, दुल्हन के कान में कुछ कहती है,,, तभी सीमा हंसते हुए उसे धक्का देकर कहती हैं,,,,,
आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक कसक तेरे प्यार की,,,
👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉 क्रमशः
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,, ✍️
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