कसक तेरे प्यार की (भाग 8)
अब तक आपने पढ़ा नदीम सीमा से कहता है यह शादी उसकी मर्जी से नहीं हुई वह किसी और को पसंद करता है यह सुनकर सीमा बहुत परेशान हो जाती है मेरे अरमानों को मिट्टी में मिला कर इन लोगों को क्या मिला यह सब सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला,,, अब आगे 👉
सुबह के वक़्त दरवाजे पर किसी ने हल्की दस्तक दी तो वह घबराकर उठ बैठी,,, बाहर से हंसने की आवाज़ आ रहीं थीं,,,, नदीम ने दरवाजा खोला,,, और फिर चुपचाप आहिस्ता से बाहर चला गया,,।
"नदीम की चाची जान और नदीम की बहन दरवाजे में खड़ी हंस रही थी,,!"
" नदीम को बाहर निकलते देख उन्होंने मज़ाक में कहां अरे थोड़ा तो मुस्कुरा दो,,, !"
"और नदीम खामोशी से बाहर चला गया,,, !"
"तभी उसकी चाची उसके करीब आते हुए मुस्कुरा कर बोली कैसी रही पहली रात ससुराल में,,,!"और हमारा नदीम आपको कैसा लगा,,,!"
" और यह कहकर दोनों हंसने लगी "
"सीमा का दिल चाह रहा था कि वह सब कुछ बोल दे बता दे उन्हें क़हर की रात थी,,,!"
" मेरे अरमानों को मिट्टी में मिला कर गुज़र गई,,"
"जिस रात का हर लड़की को बेसब्री से इंतज़ार रहता है वह रात उसके लिए मातम की रात बन गई"
"और रही बात नदीम की इंसान की शक्ल सूरत से ज्यादा अच्छी सीरत होनी चाहिए,,,।
क्या मिला नदीम को मेरी जिंदगी तबाह करके,,, एक सेकंड में मेरा दिल तोड़ दिया,,, यह भी ना सोचा मेरे दिल पर क्या बीतेगी,,,,,।
"चाची सीमा की बग़ल में रखे हुए कंगन को देखकर हंसती हैं,,,।
"अरे वाह यह कंगन तो बहुत खूबसूरत हैं,,,,!"
"ओहो इन्हें भी पहनने का मौक़ा नहीं मिला,,,, !"
"ऐसा भी क्या भाई कम से कम कंगन तो पहन ही लेती,,,।"
" गुस्से से सीमा का ख़ून खौल रहा था,, !"
"उसका दिल चाह रहा था कि कंगन उठाकर फर्श पर फेंक दें,,,!"
"यह भी देने की क्या ज़रूरत थी !"
ये भी उसी को दे देता जिसे दिल दे आया है,,,।
निकाह फिल्म का वह गाना रह रह कर सीमा के जेहन में बजने लगता है,,,
दिल के अरमा आंसुओं में बह गए
हम वफा करके भी तंहा रह गए,,,
आगे की कहानी जानने के लिए देखते रहिए धारावाहिक ,,, कसक तेरे प्यार की,,,
👉👉👉👉👉 👉👉👉👉👉 क्रमशः
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,, ✍️
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