कसक तेरे प्यार की,,, (भाग -18)
अब तक आपने पढ़ा सीमा घरवालों की खुशी के लिए यह सोचकर चुप हो जाती है कि शायद कुछ महीनों में सब कुछ ठीक हो जाएगा,,अब आगे 👉
और इसी तरहं झूठी मुस्कान लिए और ख़ुश होने का नाटक करते हुए दोनों लोगों ने एक दिन काट दिया चौथी की रस्म के बाद सीमा फिर ससुराल पहुंच गई,,,।
नदीम की अम्मी जान सीमा का बहुत ख़्याल रखती थीं और रज़िया भी,,,,,।
रज़िया की शादी ख़ाला जान के घर हुई थी,,,,,।
ख़ाला की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए वह शादी में नहीं आईं,,,।
चौथी के बाद सारे करीबी रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए थे,,, बस रजिया अभी रुकी थी,, अमेजॉन ने रोक रखा था भाभी के साथ कुछ दिन रह ले बच्चों के साथ कहां आना होता है इतनी जल्दी जल्दी,,।
कल खाना जान का फोन आया था अम्मी जान से कह रही थीं अगर तुम ठीक समझो तो अब रज़िया को भेज दो और तुम भी साथ में आ जाना बड़ा दिल कर रहा है मिलने का,,,,, मैं शादी में नहीं आ सकी इसका अफसोस है,,,।
अम्मी जान ने कहा ठीक है मैं रजि़या के साथ आ जाती हूं अब तो बहू आ गई है घर में,,,, बहुत प्यारी लड़की है कुछ ही दिनों में उसने सबका दिल जीत लिया है,,,।
मेरा भी बहुत ध्यान रखती है,,, वसीम भी हर वक़्त उसके आगे पीछे घूमता रहता है,,,,।
और सुनो खाना भी बहुत अच्छा बनाती है रोज़ रोज़ नई डिशेज खाने को मिल रहीं है,,,।
तुम फिकर ना करो दो-चार दिन में मैं और रसिया दोनों लखनऊ पहुंच जाएंगे,,,।
मैं नदीम से कह कर आज ही रिज़र्वेशन कराएं लेती हूं,,, आपा बस तुम अपना ख़्याल रखो,,,।
अम्मी जान का रिज़र्वेशन हो जाता है,,, वह जाने की तैयारी करती हैं कल उन्हें रज़िया के साथ जाना है,,,।
जाते हुए वह सीमा से कहती हैं,,,
तुम परेशान ना होना मैं जल्दी आजाऊंगी घर में बहुत लोग हैं काम करने वाले बस तुम उनसे सब काम करवाती रहना,,,,,।
ऐसा ना हो कि सारा काम तुम खुद ही करती रहो और यह लोग निकम्मे हो जाएं,,,।
सीमा हंसते हुए कहती है,,, आप परेशान ना हो अम्मी जान मैं सब देख लूंगी,,,।
अम्मी जान के जाते ही नदीम ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया कम से कम अम्मी जान के सामने तो वह उसके साथ अच्छे से पेश आता था ।
खाना और नाश्ता भी साथ बैठकर करता था अम्मी के जाते के साथ ही उसने घर देर से आना शुरु कर दिया,,,, अब वह बात बात पर चीख़ता चिल्लाता और सीमा को परेशान करता रहता था,,, ।
सीमा उसकी पसंद की चीज़ें तैयार करती लेकिन वह उनमें कोई ना कोई ऐब डाल कर खाना छोड़ देता था,,,।
आज सुबह भी नदीम नाश्ता करके नहीं गया सीमा बहुत दुखी हुई,,,,अब वह बहुत मेंहनत करके उसके लिए खाना बना रही है उसकी पसंद की हर वह चीज जो अम्मी जान बनाती थीं आज उसने बनाई है,,,,,,।
लेकिन इंतज़ार करते-करते रात हो गई और नदीम घर नहीं आया 12:00 बजे के आसपास है घर में घुसा,,, सीमा उसका इंतजार कर रही थी बोली आप फ्रेश होकर जल्दी खाना खा ले,,,,, ।
मैंने बहुत चीजें आपकी पसंद की बनाई है,,, नदीम गुस्से से कहता है मुझे पता है तुमने क्या बनाया होगा,,,मैं खाना बाहर से खा कर आया हूं,,,,।
अपना बनाया खाना तुम खुद ही खा लो और मेरा इंतज़ार मत किया करो,,, मैं तुम्हारी इन बातों में आने वाला नहीं,,,,।
सीमा उसकी बात को अनसुना करके,,, फिर कहती है खाना बहुत अच्छा है आप खा कर तो देखें,,,।
नदीम गुस्से से चिल्ला उठता है अगर अब एक बार भी तुमने मुझसे खाने के लिए कहा तो मैं सब चीज़ें उठा कर फेंक दूंगा,,,,।
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए धारावाहिक कसक तेरे प्यार की,,
👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉👉 क्रमशः
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
---------------🌹🌹🌹---------------