प्रत्येक व्यक्ति के मन में हर किसी के लिए अलग-अलग भाव होता है।
उस भाव का अनुभव उसके दिमाग में बनी हुई उसकी छवि के आधार पर होता है, जिस व्यक्ति की छवि दिमाग में जैसी बन जाती है, उसके प्रति व्यक्ति का भाव भी वैसा हो जाता है।
और जैसा भाव बनता है वैसे ही उसकी भावना होती है। ठकुराइन ने अवनी के दिमाग में रेहान की छवि एक पाश्चात्य रंग में रंगे युवक की कर दी थी,
अवनी ने भी यह सोच कर की शुरू से विदेशों में रहा है, उसे ज्यादा अपनी संस्कृति का पता नहीं है । वह उसकी छोटी बड़ी गलतियों को नजरअंदाज कर देती,
जिससे रेहान उसकी मौन सहमत समझकर, अपने मन को और बढ़ाता जा रहा था, दूसरे दिन रूद्र अपने कालेज जाने की तैयारियां कर लेता है।
और वह हॉस्टल की ओर निकल पड़ता है, इधर राजीव भी बगीचे के लिए लखन चाचा को सहेज कर कॉलेज चला जाता है।
राजीव को यह बात पता नहीं थी ,की अवनी कॉलेज नहीं आएगी, इधर अवनी बार-बार अपनी मां का चेहरा देखती, कि शायद उन्हें आराम मिल जाए और वह भी कॉलेज जा सके
, किंतु ठकुराइन उसको देखते ही ऐसा मुंह बना लेती मानो उनको बहुत तेज पीड़ा हो रही हो , अवनी चाहकर भी कुछ बोल ना पाती,
बस मन मसोसकर रह जाती कि, किसी तरह हफ्ता पूरा हो और मैं कॉलेज जाऊं कहीं जाऊं, वह इसी सब उलझन में रात भर सो न सकी,
सुबह उठी तो उसकी आंखें काफी लाल थी, जैसे ही वह अपने कमरे से बाहर आई सामने से आता हुआ रेहान उसकी ओर देखता है।
और पूछता है तुम्हारी आंखें लाल क्यों है? अवनी बोली वह ठीक से नींद नहीं आई इसलिए रेहान हंसकर कहता है ।॓
ओह माय गॉड ॔नींद नहीं आई तो मुझे बुला लिया होता यह सुनकर अवनी गुस्से से उसकी ओर देखती है ,और वहां से चली जाती है।
मन ही मन बड़बड़ाती है। पागल कहीं का, सब लोग डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने आते हैं, रेहान नाश्ता करने डाइनिंग टेबल पर नहीं आता,,,
, ठाकुर साहब बोले आज रेहान डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने क्यों नहीं आया?, इस पर ठकुराइन खुद उठकर जाती हैं, और रेहान से पूछती हैं ।
बेटा नाश्ता करने डाइनिंग टेबल पर क्यों नहीं आए ?,रेहान बोला आंटी मेरा नाश्ता यही भिजवा दीजिए मैं वहां नाश्ता नहीं करूंगा, इस हवेली के नौकरों को सर्व करने की तमीज नहीं है।
ठकुराइन कहती हैं। मैं अवनी से तुम्हारा नाश्ता भेजती हूं, और बाहर चली आती है, बाहर आकर अवनी से कहती है, बेटा रेहान का नाश्ता तू उसके कमरे में लेकर चली जा,
अवनी बोली गोपाल भैया से भेज दीजिए नहीं तो किसी और से भेज दीजिए, मैं किसी के कमरे में नाश्ता ले कर नहीं जाऊंगी, इस पर ठकुराइन गुस्सा कर कहती हैं।
मेरी तो कोई बात सुनता ही नहीं मैं ही ले कर जाऊंगी बीमार हूं तब भी, यह देखकर अवनी मुंह बना कर उठती है ।और कहती है नाश्ता लगवाओ मैं लेकर जाती हूं, नवाबजादे के लिए,,
ठकुराइन ने कई तरह के इटालियन, चाइनीस और भी कई तरह के नाश्ते का प्रबंध किया था ,गोपाल सारे नाश्ते को एक टेबल पर लगा देता है ।
अवनी नाश्ते टेबल को लेकर रेहान के कमरे के पास पहुंचती है ,रेहान -रेहान आवाज देती है, कोई उत्तर नहीं आता तब वह उसके कमरे में अंदर जाती है,
देखती है सामने रेहान लैपटॉप पर कुछ काम करता रहता है ।वह कहती है नाश्ता आ गया है, कर लीजिए , रेहान वहीं से बोलता है मैं ऐसे नाश्ता नहीं करता,,
, अवनी गुस्से से उसकी ओर देखती है ।और पूछती है तो कैसे नाश्ता करते हैं !वह बोला प्लेट में निकाल के मेरे पास लेकर आइए ।
अवनी बोली आपको जो खाना है ,आप खुद ही निकाल लीजिए इस पर रेहान गुस्से से कहता है। मुझे नाश्ता नहीं करना अवनी बोली "बड़े अजीब है"
रुकिए मैं लगा कर देती हूं, और नाश्ता लगाने लगती है रेहान उसको ध्यान से देखता रहता है ।उसके इस प्रकार देखने पर अवनी थोड़ा मुंह बना लेती
, उसका इस तरह देखना अवनी को बिल्कुल पसंद नहीं था, किंतु मां के कारण वह उससे कुछ नहीं कहती । अवनी नाश्ते की प्लेट लेकर उसके पास जाती है।
वह प्लेट को पकड़ता ही नहीं , उसके सामने दो बार अवनी प्लेट आगे करती है ,वह चुपचाप अवनी को देखता और मुस्कराता रहता है,
अवनी पूछती है अब क्या है ॽ रेहान बोला इतनी खूबसूरत लड़की मेरे सामने खड़ी है तो मैं ऐसे कैसे खा लूं ,अवनी गुस्सा कर कहती है ।
खाना हो तो खाओ ना खाना हो तो मत खाओ कहकर नाश्ते की प्लेट उसके पास पर रख देती है। और जाने के लिए जैसे ही पलट ती है।
, रेहान पीछे से पकड़ कर उसका हाथ खींच लेता है वह सीधे बेड पर गिर जाती है ।उसकी इस हरकत से अवनी गुस्सा कर उससे कहती है तुम्हें तमीज नहीं है।
,रेहान बोला हां मैं बदतमीज हूं और अवनी से कहता है बिना मुझे नाश्ता कराये तुम बाहर नहीं जा सकती , अवनी बोली कोई जबरदस्ती है क्या???
, हां जबरदस्ती है क्योंकि मैं इस हवेली का होने वाला जमाई हूं ,और यहां जमाई का स्वागत इस तरह से होता है ॽ अवनी उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है ।
वह और कस के पकड़ लेता है अवनी गुस्से से एकदम लाल हो जाती है, लेकिन उसके गुस्साए चेहरे को देखकर अवनी कुछ नहीं करती बस चुपचाप कहती है
,प्लीज हमें छोड़ दीजिए हमें जाने दीजिए, रेहान कहता है ,छोड़ दूंगा पहले मुझे,नाश्ता करा दीजिए, अवनी बोली नाश्ता है तो आपके सामने करिए क्या हाथ से खिलाऊॽ
रेहान बोला समझदार तो बहुत हैं लेकिन थोड़ा देर से समझती हैं, अवनी रेहान की तरफ देखती है और गुस्से से प्लेट को उठाती है। एक चम्मच में खूब ज्यादा सा भर कर उसके सामने कर देती है रेहान अवनी का हाथ पकड़कर चम्मच अपने मुंह में डाल देता है,
अवनी अपना मुंह घुमा लेती, है दो-तीन चम्मच खिलाने के बाद अवनी चम्मच रखती है, और तेज कदमों से उसके कमरे से बाहर आ जाती है, पीछे से रेहान कहता है, अभी मेरा पेट तो भरा ही नहीं ,
अवनी मन में सोचती है इसके साथ शादी तो मैं कभी नहीं करूंगी, अवनी अपने कमरे में आकर नीलम को फोन करती है कई बार घंटी बजने पर भी नीलम फोन नहीं उठाती,
अखंड को भी मां का इस तरह से अवनी से नाश्ता भेजना पसंद नहीं आता किंतु वह चुप रहते हैं, प्लेट में रखा हुआ नाश्ता रेहान नहीं करता थोड़ी देर बाद गोपाल रेहान के कमरे में जाता है ,
और नाश्ते की टेबल हटाने लगता है, रेहान बोलता है यह प्लेट भी लेते जाओ , गोपाल डरते डरते पूछता है कि साहब आपने कुछ खाया नहीं रेहान कुछ नहीं बोलता ,,,
गोपाल चुपचाप प्लेट लेकर चला जाता है, ठकुराइन नाश्ते की प्लेट भरी हुई देखकर गोपाल से पूछती है ।रेहान ने नाश्ता नहीं किया क्याॽ
गोपाल बोला पता नहीं साहब से मैंने पूछा वह कुछ बोले नहीं ठकुराइन अवनी के कमरे में जाती हैं ,और पूछती हैं बेटा रेहान ने नाश्ता नहीं किया अवनी बोली खाया तो और कितना खाएगा ??ॽ
मां ने डांटा कहां इस तरह बात करते हैं ।और वहां से उठ कर चली आई, कई बार नीलम को फोन करने के बाद जब फोन नहीं उठा तो अवनी अपनी मां के पास उनके कमरे में चली आती है
, थोड़ी देर बाद आवाज सुनकर बाहर आती है देखती है नीलम कलावती से बातें करती रहती है, नीलम को देखकर अवनी खुश हो जाती है और पूछती है,
तुम भी कॉलेज नहीं गई क्या ॽ नीलम बोली मैं तो कल ही चली जाती लेकिन फिर मुझे पता चला कि आंटी जी की तबीयत खराब है
,कल शाम को पापा डॉक्टर साहब से मिले थे उन्होंने ही बताया तो मैंने सोचा आंटी जी को देख भी लूंगी और तेरे साथ कॉलेज भी चली जाऊंगी अवनी बोली मेरे साथ मेरे साथ जाने के लिए तुझे एक हफ्ते रुकना पड़ेगा,
नीलम आश्चर्य से क्यों ऐसा क्या हो गया आंटी को,?? अवनी बोली तू चल मेरे कमरे मैं तुझे सब बताती हूं ,और दोनों अवनी के कमरे में चली जाती है,
अवनी नीलम को सारी बात बताती है, नीलम बोली अरे वाह! रेहान से मुझे मिलाएगी नहीं अवनी बोली उससे मिलाने की जरूरत नहीं वह खुद-ब-खुद तुझ से मिल ही लेगा, चिपकू कहीं का,,,
, अवनी की आंखों में रेहान के लिए गुस्सा देखकर नीलम कहती हैं यार तेरी उससे शादी होने वाली है ।अवनी बोली शादी करें मेरी जूती ,और दोनों खिलखिला पड़ती हैं।
दोपहर का समय था ,नीलम और अवनी अपने कमरे में थी, तभी रेहान उनके कमरे में अचानक से आ जाता है । और नीलम को देखकर कहता है ।
हैलो स्वीटहार्ट नीलम सकपका जाती है, यह देख कर अवनी उसकी मनःस्थिति समझ जाती है ,किंतु कुछ बोलती नहीं रेहान नीलम के एकदम पास बैठ जाता है।
और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है ।आप अवनी कि कौन है ॽइस पर नीलम हाथ हटाते हुए कुछ खींझते हुए कहती है, अरे होने वाले जीजा जी, इतनी जल्दी क्या है ॽ
धीरे धीरे सब जान जाएंगे, और उठकर दूर बैठ जाती है, तो रेहान नीलम के एकदम करीब जाकर कहता है, कि आप तो मुझे एक बोर्ड लड़की लगती है।
, क्या नाम है आपका? नीलम बोली नीलम फिर रेहान एक हाथ से नीलम के गालों को छूता है ।और कहता है, ,"बाय "नीलम यह कहके कमरे से बाहर निकल जाता है ।
नीलम अवनी की ओर देखकर कहती है, कुछ अजीब नहीं है अवनी बोली पागल है। शाम के समय ठकुराइन अवनी को अपने कमरे में बुलाती हैं ।
और उसे रेहान के बारे में समझाने लगती हैं। नीलम बगीचे में झूले पर बैठी रहती है। तभी पीछे से रेहान आ कर अपना दोनों हाथ उसके गले में डाल देता है।
, अचानक वह चौक जाती है और कहती है ,अरे होने वाले जीजा जी आप ,और हाथ हटाने की कोशिश करती है, रिहान उसके आगे आकर क्या जीजा जी ,जीजा जी करती हो कह कर उसको डांटता है।
और दोनों हाथ से उसका हाथ पकड़ कर झूले से उठा कस कर पकड़ लेता है ।नीलम छुड़ाने की बहुत कोशिश करती है किंतु नीलम छुडा नहीं पाती* * *
वह रेहान से छोड़ने के लिए कहती है लेकिन रेहान जबरजस्ती उसके होंठ पर किस कर लेता है ,दूर खड़ी अपनी यह देख लेती है।
और पास जाकर गुस्से से रेहान को खींचकर उसके गाल पर एक थप्पड़ कसकर जड़ देती है नीलम रेहान की पकड़ से छूट कर रोने लगती है थप्पड़ खा कर रेहान बौखला जाता है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः