स्वभाव एक ऐसी मानसिक प्रवृत्ति है जो कभी बदलती नहीं हां कुछ क्षण कुछ कुछ पल या फिर कुछ दिनों तक व्यक्ति इसको बदलने की कोशिश कर सकता है।
किंतु व्यक्ति का स्वभाव कहीं ना कहीं सबके समक्ष प्रकट हो ही जाता है, कितना भी व्यक्ति बनावटी हो लेकिन जब उसको क्रोध आता है ।
तो उसका स्वाभाविक गुण दिखाई पड़ ही जाता है स्वाभाविक गुणों का विकास ही तो स्वभाव है,।
जो व्यक्ति को कभी कभी विरासत में और कभी कभी खुद से ही इसका विकास होता है।
अवनी के थप्पड़ से रेहान को दिन में तारे नजर आने लगे, आज तक उसके गाल पर किसी ने इतनी जोर का चाटा नहीं मारा था, वह गुस्से से आगबबूला हो जाता है ।
और पीछे पलट कर अवनी का हाथ पकड़ कर मोड़ देता है। अवनी दर्द से कराह उठती है, नीलम खड़ी रोती रहती है, अवनी से जब दर्द बर्दाश्त बाहर होता है ।
तो वह थोड़ा पीछे होकर दूसरे हाथ से रेहान को कस के ढकेल देती है, रेहान अवनी से थोड़ा दूर जाता है ।तभी अवनी अंदर की ओर भागती है।
, नीलम भी उसके पीछे-पीछे तेज कदमों से जाती है। उन को इस तरह जाते देख रेहान गुस्से से चीख कर कहता है, तुम अपने आप को समझती क्या हो ??
तुम्हारी जैसी लड़कियों को तो मैं रोज अपने आजू बाजू रखता हूं, किंतु दोनों में से किसी ने रेहान की कोई बात नहीं सुनी और सीधे दोनों अवनी के कमरे में चली जाती हैं ।
,कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेती हैं ,और चुपचाप बैठ जाती है अवनी गुस्से से कांप रही ही थी, उसे जैसे कुछ समझ ही ना आ रहा हो,
नीलम अवनी से कहती है, सब कुछ मेरी वजह से हुआ अगर मैं तेरे घर ना आती तो यह सब ना होता अवनी बोली कुछ तेरी वजह से नहीं हुआ अच्छा हुआ जो तू आ गई ,,,
कम से कम रेहान की हकीकत और रेहान का असली चेहरा सब घर वालों के सामने तो आ गया, नीलम बोली घर वालों को क्या पताॽ
अवनी बोली नहीं पता तो मैं बताऊंगी ना, कि उसे तेरे साथ किस तरह बदतमीजी की और मेरे साथ कैसी हरकत की अभी तो हमारा उसका रिश्ता हुआ नहीं है,
और वह ऐसे व्यवहार कर रहा था जैसे मैं उसकी पत्नी हूं नीलम बोली तेरी मां की तबीयत अभी नहीं ठीक है, तू यह सब उन्हें कैसे बताएगी ??
अवनी बोली अम्मा की तबीयत नहीं ठीक तो क्या हुआ ॽअखंड भैया और बाबा तो है, यह कहकर अवनी ने गुस्से से अपने कमरे का दरवाजा खोला,
और तेज कदमों से बैठक की ओर जाने लगी तभी उसे सामने रेहान खड़ा मिला अवनी गुस्से से उसकी ओर देखते हुए अब क्या है ॽ
अवनी को देखकर रेहान ने कहा क्या बताओगी तुम अपने बाबा और भैया से यही की नीलम ने मुझे जबरदस्ती उकसाया जबरदस्ती अपने पास बुलाया क्या सबूत है ।
,तुम्हारे पास कि मैंने ऐसा सब कुछ किया और एक व्यंग हंसी उसके चेहरे पर आ जाती है, यह देखकर अवनी और क्रोधित हो जाती है,
लेकिन अगले ही पल वह सोचती है कि कहीं बाबा और मां ने रेहान की बात सच मान तो नीलम को बहुत बुरा लगेगा अवनी कुछ देर गुस्से से उसकी ओर देखती रहती है।
रेहान एक व्यंग सी हंसी के साथ उसको देखता हुआ अपने कमरे की ओर चला जाता है कमरे में अंदर घुसने के पहले रेहान उसको फ्लाइंग किस करता है,
अवनी गुस्से से अपने कमरे की ओर पलट आती है। अवनी के इस तरह गुस्से से वापस आने पर नीलम पूछती है ।क्या हुआॽ
अवनी कहती है ,रेहान मुझे धमकी दे रहा था, कि अगर मैंने बाबा या मां को कुछ भी सच्चाई बताई तो वह कहेगा कि नीलम ने ही उसे उकसाया था, यह सब करने के लिए
, यह सुनकर नीलम गुस्से से कहती है किस टाइप का घटिया लड़का है । तुम तो मुझे बचपन से जानती हो क्या मैं ऐसी लड़की हूं ॽ
अवनी बोली मुझे तुझ पर अपने आप से भी ज्यादा भरोसा है, तुम रोओ मत चुप हो जाओ, यह कहकर अवनी नीलम को सांत्वना देने लगती है,
तभी कलावती उन दोनों के कमरे में आती है और नीलम की आंखें देख कर पूछती है क्या हुआ आप रो क्यों रही हैंॽ नीलम तुरंत आसू पोछते हुए कहती है ।
कुछ नहीं भाभी आंख में कुछ चला गया था, फिर कलावती अवनी की ओर देखती है ,उसका भी चेहरा कुछ रोया सा दिखता है ।
कलावती कहती है ,कोई बात तो जरूर है जो आप दोनों मुझसे छिपा रही हैं। मुझे बताइए कोई समस्या होगी तो मैं आपके भैया से कह कर उसका समाधान करवाऊंगी।
कलावती की बातों में विश्वास देखकर अवनी बोली भाभी मैं आपको सब बात सच ॒ सच बताती हूं ,और पूरी बात उसने कलावती को बता दी।
उन दोनों की बातें सुनकर कलावती बोली मुझे तो पहले दिन से ही रेहान के तौर तरीके पसंद नहीं थे ,किंतु माजी के कारण मैं चुप रही।
मैं आज ही तुम्हारे भैया को सब बात बता दूंगी वह कुछ ना कुछ निर्णय जरूर लेंगे, यह कहकर कलावती अवनी के कमरे से निकलक, रसोई घर में चली जाती है, ।
और खाना लगवाने लगती है सभी लोग डाइनिंग टेबल पर आते हैं ।अवनी और नीलम भी डाइनिंग टेबल पर आती है, तभी ठकुराइन की आवाज आती है ।
अवनी बेटा रेहान का खाना उसके कमरे में लेती जा और हां किसी चीज की कमी ना रहे सब चीज अच्छे से पूछ लेना मेरी तबीयत ठीक होती तो मैं खुद ही पूछ लेती,
अवनी दांत पीसते हुए बोली, इस समय भी क्या वह खाना खाने यहां नहीं आएंगे, कलावती बोली रेहान हमारे घर का मेहमान है चुपचाप जाकर खाना खिला कर आओ ठकुराइन तेज आवाज में कहती है ,
ृअवनी कुछ बोलती उसके पहले कलावती बोली मांजी अवनी दीदी खाना खा रही हैं, मैं ही रेहान जी को खाना परोस कर आती हूं,
ठकुराइन बोली ठीक है, खाना खाते समय ठाकुर साहब की नजर नीलम और अवनी के चेहरे पर जाती है ठाकुर साहब बोले तुम लोग परेशान मत हो
एक-दो दिन के बाद मैं ठकुराइन को समझा-बुझाकर तुम दोनों को हॉस्टल भेज दूंगा अवनी समझ गई कि बाबा सोच रहे हैं , कि कॉलेज ना जाने के कारण हम लोग उदास है ,
किंतु कारण तो कुछ और ही है। उधर कलावती रेहान के कमरे में खाना लेकर जाती है रेहान बोला मुझे भूख नहीं है , और आप कमरे से जाइए
कलावती बड़े प्यार से कहती है, रेहान जी इस हवेली में जो भी मेहमान आता है वह भूखा नहीं रहता यह हमारी परंपरा है। हम उसे पेट भर भोजन जरूर कर आते हैं,
अगर आपको यह खाना पसंद नहीं तो आपको जो खाना हो आप वह बताइए हम बनवा देंगे रेहान गुस्से से पलटता है, और कहता है ,आप होती कौन है यह सब ज्ञान मुझे देने वाली, कलावती बोली मैं इस घर की बहू हूं, हमारे घर में बहुओं का सम्मान जमाई से भी ज्यादा होता है ,और खाना रख कर चली जाती है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽ 🙏 क्रमशः