जाने क्यों नव्या को आज एक अलग तरह का एहसास होता है जिसे वह महसूस तो कर सकती थी लेकिन किसी के सामने व्यक्त नहीं कर सकती थी ,
अलमारी खुल जाने पर भी नव्या को यह ध्यान ही नहीं रहता कि उसे सौरभ के कपड़े निकाल कर देने हैं वह सौरभ की उस छुअन से जाने क्यों एक अजीब सा कंपन महसूस करती है।
और चुपचाप पत्थर सी खड़ी रहती है सौरभ उसको इस तरह का खड़े देखकर बोला नव्या जी मेरी कपड़े दे दीजिए नव्या घबराकर पीछे अलमारी की ओर देखती है ।
सौरभ उसके ठीक पीछे खड़ा रहता है नव्यां ने deep neck का ब्लाउज पहन रखा था जिसमें उसकी गोरी पीठ साफ स्पष्ट दिखाई दे रही थी, सौरभ उसी ओर देख रहा था नव्या सामने अलमारी से एक टी-शर्ट निकाल कर सौरभ को देने के लिए जैसे ही पलट ती है ,,,,,
सौरभ उसके एकदम सामने खड़ा रहता है सौरभ को इस तरह शर्ट उतार कर सामने खड़े देख नव्या अपनी नजरें नीचे कर लेती है। और सौरभ से कहती है जब आपको खुद ही लेना था तो मुझसे निकालने के लिए क्यों कहा ???
आप खुद ही ले लेते सौरभ ने कहा नव्या जी आपने ही मुझे बुलाया नव्या बोली मैंने क्यों मैंने कब बुलाया आपको जी आप ही ने कहा कि मुझसे यह अलमारी खुल नहीं रही है तो मैं यह अलमारी खोलने आया था, नव्या कुछ झेंपते हुए बगल हटने लगती है तो सौरभ नव्या से कहता है वैसे तुमने आज ब्लाउज बहुत अच्छा पहन रखा है नव्या सौरभ की ओर देखते हुए उसको आंख घूरती है सौरभ बोला क्या मैंने ब्लाउज की तारीफ की है गुस्सा आप क्यों हो रही है अभी तक नव्या के पूरे शरीर में सौरभ की छुअन करंट की तरह दौड़ रही थी, वह चुपचाप आकर बेड पर बैठ जाती है सौरभ भी अपनी टीशर्ट लेकर पहनने लगता है नव्या को तो कुछ समझ ही नहीं आता कि आखिर यह सब हो क्या रहा है। और उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है उसने आज तक किसी के साथ ऐसा महसूस नहीं किया था सौरभ को भी नव्या के पास रहना बहुत अच्छा लगता कपड़े पहनने के बाद सौरभ से नव्या ने पूछा मिस्टर सिंघानिया ऑफिस से तो आप आज दोपहर में ही निकल गए थे इतनी देर आपके कहां सौरभ नव्या की ओर देखते हुए कहता है क्यों यह प्रश्न दो एक पत्नी अपने पति से पूछ सकती है अगर इसका जवाब चाहिए तो आपको यह मानना पड़ेगा कि अब आप ।एक पत्नी की तरह मुझ पर अपना अधिकार जाताने लगी है।
नव्या ने कहा ओह हेलो मैं कोई अधिकार नहीं जाता रही हूं वह तो मैंने इसलिए पूछा क्योंकि आप बीच में ऑफिस छोड़कर चले गए थे सौरभ ने कहा अगर आपको पता ना हो तो कल जाकर आप मिस्टर हर्ष वर्धन इसे पूछ लीजिएगा कि मैं उनको बताकर गया था या फिर बिना बताए जब कोई ऑफिस नहीं रहेगा तभी तो उसे पता चलेगा कि कौन व्यक्ति कहां जा रहा है यहां तो ऑफिस टाइम में लोग कॉफी पीने चले जाते हैं सौरभ की इस बात से नव्या बहुत तेज चिढ़ जाती है, वह गुस्से से सौरभ को देखते हुए कहती है,
की देखिए सौरभ जी आप किसी के personal life में interfere नहीं कर सकते सौरभ हंसते हुए कहता है अरे वाह यह तो बहुत अच्छी बात आपने कही मतलब आप करें interfere तो ठीक और अगला व्यक्ति अगर जरा सा पूछ भर ले तो वह सब का personal matter हो जाता है अब आप ही बताइए यह कहां का न्याय है। जब आपने मुझसे पूछा कि मैं कहां गया था तो मुझे भी यह पूछने का अधिकार है कि आप कॉफी पीने के बहाने कहां गई थी इतना सुनते ही नव्या गुस्से से उठती है और कहती है कॉफी पीने के बहाने का मतलब क्या है आपका मैं कॉफी पीने गई थी जब यह बात आपको पता है तो आप जानबूझकर कॉफी पीने के बहाने यह शब्द क्यों यूज़ कर रहे हैं नहीं आप कहना क्या चाहते हैं मुझे बताइए नव्या का इस तरह गुस्साया रूप सौरभ ने पहली बार देखा था, फिर नव्यां कहती है, क्या आपने मुझे इधर-उधर टाइप की लड़की समझ रखा है क्या सौरभ बोला I am sorry मेरा वह मतलब बिल्कुल नहीं था जो आप समझ रही हैं मेरा तो बस इतना सा मतलब था कि जब आप मैंने आपके बारे में नहीं पूछा तो आप भी मेरे बारे में क्यों जाना चाह रही हैं नव्या गुस्से से कहती है हमें खूब समझ में आता है आपका क्या मतलब था सौरभ ने कहा नव्या जी आप गलत समझ रही हैं आप मेरी बात का विश्वास करिए नव्या धीरे से कहती हैं विश्वास ही तो नहीं है।
थोड़ी देर तक दोनों लोग किसी ने किसी बात पर झगड़ते रहते हैं उसके बाद ग्रैनी आवाज देती है। तो सौरभ ने नव्या से कहा चलिए डिनर का टाइम हो गया है नव्या बोली अब आपको क्या करना है मैं जाऊं या ना जाऊं यह मेरी मर्जी आपको जाना हो तो आप जाइए सौरभ ने कहा ठीक है as you wish और खुद जाने लगता है उसको ज्यादा देख नव्या को और तेज गुस्सा आती है अपने मन में सोचती है कि अपने ही फॉर्महाउस में मुझे डिनर के लिए एक बार भी नहीं कहा थोड़ी दूर जाकर सौरभ रुक जाता है और पलटकर नव्या से पूछता है आना है नव्या चुपचाप खड़ी रहती है कुछ नहीं बोलती सौरभ चला जाता है।
थोड़ी देर तक नव्या उसी अवस्था में खड़ी रहती है फिर कुछ सोचकर पैर पटकती हुई चली जाती है।
डिनर करने सामने देखती है सब लोग बैठे रहते हैं नव्या को आते देख सौरभ एक व्यंग भरी मुस्कुराहट के साथ उसकी ओर देखता है ।
नव्या उसको देखते ही मन ही मन चिढ़ जाती है, उसका वह चेहरा देखकर सौरभ अपनी हंसी नहीं रोक पाता और हंस देता है।
उसको हंसता देखकर घर के बाकी सदस्य उसकी ओर देखने लगते हैं फिर अचानक से वह serious होकर सबसे कहता है चलिए अब डिनर शुरू किया जाए अब तो सब लोग आ गए,
बिहान के डैड सौरभ से कुछ पूछने लगते हैं सौरभ उनका जवाब देता रहता है लेकिन जाने क्यों नव्या उन दोनों की बात सुन ही नहीं पाती सब लोग डिनर करने के बाद हॉल में इकट्ठा हो जाते हैं।
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