नव्यां को सौरभ का इस तरह से ignore करना बहुत ही खराब लगता है। वह अपने मन में सोचती है कि इसीलिए मैं इतनी जल्दी फार्म हाउस रहने के लिए नहीं आना चाहती थी।
क्योंकि मुझे तो इस नकचढ़े रईसजादे के बारे में सब पहले से ही पता है पूरे दो साल मै इसकी secretary रह चुकी हूं , कोई कितना भी बदल जाए लेकिन उसका स्वभाव कभी नहीं बदलता पता नहीं क्यों आजकल कई दिनों से मैं देख रही हूं सौरभ सिंघानिया जो अपने बदलने का नाटक कर रहे थे वह आज मुझे समझ में आने लगा है।
क्योंकि इनका स्वभाव तो वही है गुस्सैल attitude दिखाने वाला फिर वह कैसे बदल सकता है। सौरभ नव्या को ignore करते हुए तैयार होकर ड्राइंग रूम में सबके बीच आकर सबको उनके मन मुताबिक कमरों की ओर ले जाते हैं ।
सब अपने अपने पसंद के कमरे choose करने लगते हैं। सब लोग सौरभ के इस व्यवहार से बहुत ही खुश होते हैं सौरव बहुत ही ज्यादा respectfull होकर सबसे कहता है।
कि यहां पर किसी चीज की कोई कमी नहीं है इसे आप सब लोग अपना घर समझकर ही रहिए क्योंकि मैं भी आपके बेटे की ही तरह हूं इसलिए,,,,
नव्या की मां और विहान की मॉम से कहता है आंटी जी अगर किसी प्रकार की कोई भी दिक्कत हो या कुछ भी काम हो आप निसंकोच मुझसे कहिए, उसके बाद सौरभ ऑफिस के लिए निकलने लगता है तभी नव्या की मां बोली बेटा नव्या को भी ऑफिस जाना है सौरव चुपचाप खड़ा हो जाता है और कहता है जी आंटी नव्या सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए सौरभ की ओर देखती रहती है और मन में सोचती है इसके साथ में बिल्कुल ऑफिस नहीं जाऊंगी मेरे पास अपनी खुद की गाड़ी है मैं उससे ही जाऊंगी नव्या नीचे आती है उसके पहले ही सौरव अपनी गाड़ी में बैठ कर चले जाते हैं ।
सौरभ की यह हरकत देखकर नव्या गुस्से से अपनी गाड़ी में बैठती है और अपने मन में सोचती है कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो अचानक से सौरभ जी मुझे इस तरह ignore करने लगे।
बार-बार उसके मन में कई ख्याल आने लगे लेकिन उसको कुछ समझ ही नहीं आ रहा था फिर वह अपने मन में सोचती है कि कहीं kidnapping वाली बात कहीं किसी के माध्यम से सौरव जी को पता तो नहीं चल गई ????
जिसके कारण वह मुझे बार-बर ignore रहे हैं, नव्या पूरी रास्ते यही सब सोचते हुए ऑफिस पहुंच जाती है ऑफिस में भी सौरभ मीनल से काम के बारे में डिस्कस करते रहते है।
जैसे ही नव्या ऑफिस पहुंचती है नीलेश नव्या के पास आकर कहता है मिसेज सिंघानिया आज तो आप सबसे ज्यादा लेट हो गई नव्या बोली नीलेश जी रास्ते में ट्रैफिक था इस कारण मैं थोड़ा लेट हो गई।
नव्या की नजरें तभी सौरभ की ओर ही रहती हैं नव्या ने देखा सौरभ ने ना तो कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की ना तो वह नव्या और नीलेश की तरफ देखावह मीनल को, देख रहा था।
ज्यादातर नीलेश नव्से बात करता था तो सौरभ की निगाह बराबर उन दोनों पर रहती थी किंतु यह देखकर नव्या को आश्चर्य हुआ कि आज सौरभ ने ऐसी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की अब तो यकीन होने लगा की जरूर कहीं ना कहीं से सौरव जी को यह बात पता चल गई की मैंने ही उनकी किडनैपिंग कराई है ।
और तो कोई reason मुझे समझ में नहीं आ रहा है। इधर नव्या के घर पर सब लोग सामान शिफ्ट करने लगते हैं निवि बहुत खुश रहती है ।
क्योंकि सौरभ निधि को उसके मन मुताबिक कमरा दे देते हैं हनी भी निधि के साथ उसी कमरे में रहती है विहान सौरभ से कहता है कि मुझे भी हनी और निधि के बगल वाला कमरा चाहिए सौरभ को समझाते हुए कहता है ।
कि बस एक हफ्ते की बात है उसके बाद तुम्हारे और हनी के बीच की सारी दूरी मिट जाएगी लेकिन एक हफ्ते मेहमानों और घरवालों के बीच तुम लोग दूर-दूर ही रहो तो ज्यादा अच्छा है।
नहीं क्यों??? ऐसा बोलते हुए सौरभ लगातार फाइलें देखता रहता है नव्या सोचती है अच्छा तो आज मिस्टर सिंघानिया आज सारा काम खत्म करके ही रहेंगे सौरभ किसी भी तरफ ध्यान नहीं देता नव्या से रहा नहीं जाता वह उठकर सौरभ की सीट के पास आकर मीनल से कहती हैं।
मिस मिनल मेरी भी फाइलों को मेरा चेक कर लीजिएगा तभी सौरभ नव्या की तरफ नहीं देखता नव्या गुस्से से जानबूझकर फायले उठाकर सौरभ की सीट पर पटक कर चली जाती है।
सौरभ मन ही मन मुस्कुराता है उसे नव्या की यह हरकत पता नहीं क्यों अच्छी लगती है वह जानबूझकर नव्या को बार-बर इग्नोर करता है जितना वह नव्या को इग्नोर करता है नव्या उतना ही ज्यादा परेशान होती है ।
सौरव को आज बहुत मजा आ रही थी क्योंकि रोज-रोज वह नव्या के पीछे पीछे घूमता रहता था नव्या उस पर ध्यान ही नहीं देती थी आज ऐसा पहला मौका था जब नव्या उसके पीछे पीछे घूम रही थी और वह उसको जानबूझकर इग्नोर कर रहा था।
नव्या अंदर से खींझ उठती है और मन में सोचती है मैं क्यों उसके पीछे पीछे घूम रही हूं और यह जबरदस्ती भाव खा रहा है ।
नव्या कर अपनी सीट पर बैठ जाती है फिर भी जाने क्यों नव्या की नजर बार-बार सौरभ की ओर ही जाती है सौरभ अच्छे से जानता था कि नव्या उसी को देख रही है इसलिए वह एक बार भी अपना सिर उधर नव्यां की ओर उठाकर देखता ही नहीं इधर फार्महाउस में ग्रैनी सब का स्वागत करने में इतनी खुश हो जाती है उन्हें लगता है जैसे विहान कि नहीं सौरभ की ही शादी हो वह अपने सारे पुराने गम भूला कर शादी की तैयारियों की चर्चा विहान की मामं और नव्या की मां से सुनकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी बीच-बीच में अपनी राय अवश्य देती रहती उसे लगता है मानो वह सौरभ की बारात लेकर जाने की तैयारी में हो अपनी सारी सिल्क की साड़ियों को खोल खोल कर देखती है कि मैं किस फंक्शन में कौन सी साड़ी पहनूंगी उसके अंदर वह उत्साह जागृत हो जाता है जो शायद बहुत पहले कहीं खो गया था। उसे यह महसूस ही नहीं होता कि सौरभ कि नहीं विहान की शादी है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे तड़प तेरे प्यार की और हमें समीक्षा करके जरूर बताएं कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगी प्लीज लाइक भी करते रहिए 🙏🙏👍 क्रमशः