जब व्यक्ति किसी को सच्चे मन से चाहने लगता है तो उसको उसकी सारी गलतियां सही लगने लगती हैं ।वह उसके प्रेम में इतना अंधा हो जाता है कि उसे उसकी गलतियां या तो नजर नहीं आती है ।
या फिर वह जानबूझकर उन्हें नजरअंदाज कर देता है। ऐसा ही कुछ अखंड प्रताप और अवनी के बीच रिश्ता था, बड़े भाई होने के नाते वह अखंड प्रताप अवनी को बहुत ज्यादा चाहते थे ,
वह अवनी की सारी गलतियों को लगातार एक पे एक माफ करते जा रहे थे ,किंतु रूद्र ऐसा नहीं था उसे अवनी के ऊपर बहुत अधिक गुस्सा आता है।
उससे भी ज्यादा वह राजीव की हिम्मत देखकर हैरान था, रुद्र इस समय अवनी से बात भी करना नहीं चाह रहा था गाड़ी में सब लोग शांत बैठे रहते हैं,
अखंड प्रताप सबकी चुप्पी तोड़ते हुए कहते हैं सब लोग इतना शांत क्यों है ?, कोई कुछ नहीं बोलता तो अखंड प्रताप अवनी से कहते हैं।
तुम्हारी और रुद्र की लड़ाई हुई है क्या ॽतुम दोनों आपस में बात क्यों नहीं कर रहे हो? अवनी बोली ऐसा तो नहीं है ,भैया रूद्र प्रताप कुछ नहीं बोलते,,
तभी नीलम बोली मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है। अखंड प्रताप रुद्र से कहते हैं क्यों क्या हो गया ?रूद्र प्रताप बोले कुछ तो नहीं ?अखंड प्रताप बोले तो फिर अवनी से बात क्यों नहीं कर रहे हो ?रुद्र ने कहा ऐसा कुछ नहीं है भैया ,सब एकदम फिर से शांत हो जाते हैं,
शाम के समय गाड़ी हवेली पर पहुंचती है ,आज पता नहीं क्यों पहले जैसी ना हवेली में चहक थी, न अवनी के चेहरे पर वह चमक जो हवेली आने पर आ जाती थी,
सब कुछ एकदम बुझा बुझा सा शांत सा था अवनी चुपचाप गाड़ी से उतर कर हवेली में अंदर जाती है, सामने ठाकुर साहब बैठे रहते हैं, अवनी की नजर उन पर पड़ती है ठाकुर साहब मुस्कुराते हुए कहते हैं ।
आ गई,,, अवनी इसका जवाब देती है हां बाबा,,,, इसके बाद ठाकुर साहब कुछ नहीं बोलते अवनी चुपचाप अंदर चली जाती है ।
अंदर मां के पास बैठ जाती है थोड़ी देर में नीलम भी उसके पास आ जाती है, ज्यादातर नीलम ही बोलती रहती है अवनी तो मानो चुप ही हो गई थी, वह ज्यादा किसी से बात नहीं करती अखंड प्रताप और रुद्र प्रताप ठाकुर साहब के पास बैठ जाते हैं और कल की पूजा की तैयारी के विषय में पूछने लगते हैं।
बड़े-बड़े शामियाने ट्रक पर लदकर कर आते हैं यह सब देख कर अखंड प्रताप और रुद्र प्रताप कहते हैं बाबा कैसी पूजा है? कोई बड़े पैमाने पर पूजा है क्या ?जो इतने बड़े बड़े शामियाने और इतनी सारी कुर्सियों का प्रबंध आप कर रहे हैं ??
,ठाकुर साहब ऐसा ही कुछ समझो ट्रक की आवाज सुनकर ठकुराइन और अवनी नीलम के साथ बाहर आती हैं बाहर का नजारा देख कर अवनी पूछती है मां कितनी बड़ी पूजा है??
जो इतनी ढेर सारी कुर्सियां और शामियाने आए हुए हैं।बाहर निकल कर ठकुराइन देखते हुए कहती हैं इतनी बड़ी पूजा के लिए तो ठाकुर साहब ने नहीं कहा था,
उन्होंने तो कहा था बस एक छोटी सी ग्रह शांति की पूजा है यहां तो लग रहा है जैसे बहुत बड़े किसी आयोजन की तैयारी चल रही हो और ठाकुर साहब की ओर देखते हुए कहती हैं आपने इतनी बड़ी पूजा तो नहीं बताई??
ठाकुर साहब कहते हैं बस आप देखती जाइए कल की भव्य तैयारी ताकि आप में से कोई यह न कह सके कि पूजा में कुछ कमी रह गई,
ट्रक से सामान उतरने लगता है अखंड प्रताप और रुद्र प्रताप जाकर सारी व्यवस्था देखने में व्यस्त हो जाते हैं, ठकुराइन घर के नौकर से कहती हैं जाकर अखंड भैया और रुद्र भैया को बुला कर लाओ उनसे कहो की मां ने तुरंत बुलाया है।
नौकर जाता है और ठकुराइन का संदेश देता है अखंड प्रताप रूद्र प्रताप दोनों ठाकुर साहब की बैठक की ओर जाते हैं जहां ठकुराइन सोफे पर बैठी रहती हैं ।
अखंड और रूद्र ने उनको प्रणाम करके कहा कि आपने क्यों बुलाया?? ठकुराइन रुद्र प्रताप की तरफ देखकर बोली इतने दिनों बाद आया और मां से बिना मिले पूजा की व्यवस्था देखने में लग गए कम से कम मुझसे मिलने तो आना चाहिए???
रुद्र बोला मैं आया था किंतु आपके पास उस समय अवनी बैठी थी इसलिए मैं बाहर चला गया, ठकुराइन ने रूद्र प्रताप की ओर देखते हुए कहा कैसी बातें करते हो
अवनी तुम्हारी बहन है हो सकता है भावावेश मे उससे कुछ गलतियां हुई है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम उससे बोलना छोड़ दो?
उसके आसपास जाना छोड़ दो मैं यह नहीं कहती कि तुम उसकी गलतियों को नजर अंदाज करो लेकिन मैं यह भी नहीं कहती कि अगर कोई अपनी भूल सुधारना चाहता है तो उसे सुधारने का मौका ना दिया जाए?
हम सब लोग मिलकर अवनी को प्यार से समझाएंगे तो मुझे विश्वास है कि वह जरूर समझ जाएगी रूद्र गुस्से से बोला आप नहीं समझ रही हैं अगर अवनी को समझना होता तो बाबा की दी हुई शर्त वह कब की मान लेती ??
लेकिन उसने तो बाबा के मुंह पर कालिख पोतने का ही निर्णय कर लिया है जिसके कारण हम लोग भी सिर उठाकर नहीं जी सकते ठकुराइन रुद्र की जब देखती है और कहती हैं ।
मैं अवनी से बात करूंगी रुद्र प्रताप कुछ नहीं बोलते और उठकर बाहर चले जाते हैं अखंड प्रताप मां से कहते हैं पूरी रास्ते रूद्र ने अवनी से बात नहीं की ना ही अवनी ने रूद्र से बात की मां-आप इन दोनों को समझाइए वरना कल पूजा में साथ कैसे बैठेंगे??
वहां भी यह दोनों एक दूसरे को देखकर ऐसे ही लड़ते रहेंगे ठकुराइन ने कहा ऐसा कुछ नहीं होगा मैं अवनी से बात करूंगी थोड़ी देर बैठने के बाद अखंड प्रताप भी बाहर चले जाते हैं।
अवनी अपने कमरे में नीलम के साथ कल की पूजा के लिए मां ने जो जो काम कहे थे उसकी तैयारियों में लग जाती है। रात को डिनर करते समय सब लोग डाइनिंग टेबल पर आते हैं,
लेकिन सब बहुत शांत शांत रहते हैं तभी ठाकुर साहब बोले क्या बात है इतनी चुप्पी क्यों है??तब भी कोई कुछ नहीं बोलता तो ठाकुर साहब अवनी की ओर देख कर कहते हैं।
कि अपनी पसंद का खाना अपनी मां को बता देना कल पूजा के बाद का पूरा खाना तुम्हारी पसंद का बनेगा जो जो तुमको पसंद हो वह सब बनेगा।
ठाकुर साहब के इस तरह के व्यवहार कि ना तो अवनी ने कल्पना की थी ना ठकुराइन ने और ना ही रुद्र प्रताप और अखंड प्रताप ने सबको ठाकुर साहब की इस बात से बड़ा आश्चर्य होता है किंतु कोई कुछ बोलता नहीं सब चुपचाप खाना खाने लगते हैं।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउत्तर ॽ 🙏 क्रमशः।।।।।।