करीबीयन देश डोमिनिकन रिपब्लिक में एक छोटा सा गांव है, नाम है ला सेलिनास. यहां के बच्चे एक अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रहे हैं. एक बीमारी जो महज बीमारी नहीं, यहां के युवाओं की पहचान का सवाल बन चुकी है.
इस गांव में हर 90 बच्चों में एक बच्चा ऐसा है जो पैदा तो ‘लड़की’ के रूप में हुआ, मगर 12 की उम्र तक आते-आते वो लड़का बन गया. यानी युवावस्था में कदम रखते ही इनके लिंग और अंडकोश विकसित होने लगते हैं.
इन बच्चों को यहां ‘ग्वेदोचे’ कहकर पुकारते हैं, जो एक अच्छा शब्द नहीं, बल्कि हिकारत के साथ प्रयोग किया जाता है. बल्कि इसका शाब्दिक अर्थ ही ’12 साल की उम्र में लिंग’ है. बायोलॉजिकल तौर पर इन्हें ‘सूडोहर्माफ्रडाइट’ कहते हैं. बता दें कि हर्माफ्रडाइट उन्हें कहते हैं जिन्हें इंडिया में हम आम भाषा में हिजड़े बुलाते हैं. यानी जिनके गुप्तांग उस तरह से विकसित नहीं होते जिस तरह आम ‘पुरुष’ के होते हैं.
इन बच्चों के बारे में हमें बीबीसी की डाक्यूमेंट्री ‘काउंटडाउन टू लाइफ: द एक्स्ट्राऑर्डिनरी’ मेकिंग ऑफ़ यू से पता चला.
डाक्यूमेंट्री में हमारा परिचय जॉनी से करवाया जाता है, जो लड़की के रूप में पैदा हुआ था. उसका नाम रखा गया था फेलिसिता. जब वो पैदा हुआ, उसके शरीर में लिंग नहीं था. उसे एक लड़की की तरह बड़ा किया गया. मगर 7 साल की उम्र से उसके शरीर में वो बदलाव आने शुरू हुए जो पैदाइश के समय से होने चाहिए थे. आज जॉनी की उम्र 24 है और वो किसी भी 24 साल के पुरुष की तरह है.
जॉनी कहता है, ‘उन्हें पता ही नहीं था मेरा लिंग क्या था. मैं तो लड़कियों की तरह बड़ा हुआ. घर में फ्रॉक पहनता था. स्कूल भी जाता था तो स्कर्ट पहनकर. मगर मुझे स्कर्ट पहनना कभी अच्छा नहीं लगा. बचपन में मुझे लड़कियों के साथ खेल ने भेजा जाता था मगर मुझे अच्छा ही नहीं लगता. मैं बस मौका देखकर लड़कियों के साथ खेलना चाहता था.’
क्यों होती है ये बीमारी
जब बच्चा मां के पेट में होता है, चाले स्त्रीलिंग हो या पुलिंग, उसकी टांगों के बीच में एक उभार सा होता है. इसे ट्यूबर्कल कहते हैं. जब भ्रूण 8 हफ्ते का हो जाता है, ये उभार लड़कों में लिंग का आकार लेने लगता है और लड़कियों में क्लिटरिस का. मगर कुछ बच्चों में उस एंजाइम की कमी होती है जो ये हॉर्मोन बनने में मदद करता है. नतीजतन, वो बिना सेक्स ऑर्गन के पैदा होते हैं. और उनके प्राइवेट पार्ट का आकार बिलकुल वजाइना की तरह लगता है.
मगर प्यूबर्टी के समय शरीर में हॉर्मोन निकलते हैं. इन हॉर्मोन से इनका लिंग विकसित होना शुरू हो जाता है, जो पहले नहीं हुआ था. आम लड़कों की तरह इनकी आवाज भी भारी हो जाती है. और 10 साल देर से ये पुरुष बनते हैं.
बदलती पहचान के साथ ये लोग यूं ही रह रहे हैं, जी रहे हैं.
जैसे हमारे देश में हिजड़ों को अपमान और हिकारत की निगाहों से से देखा जाता है, इन बच्चों का भी यही हाल है. फ्रॉक पहनकर गुड़ियों से खेलते बच्चों को अचानक एक दिन लिंग विकसित होता हुआ महसूस होने लगता है.
साभार: द लल्लनटॉप