धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर का नाम सुनकर अब मन में बस एक बात ही कौंध उठती है, दहशतगर्दी. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि पिछले कुछ सालों से घाटी में एक बार फिर आतंकवाद ने कहर मचा रखा है. लेकिन इस स्याह पहलु से अलग जम्मू-कश्मीर की कुछ बातें ऐसी भी हैं जो दिल जीत लेती हैं. एक ऐसी ही दिलखुश खबर आपको रूवैदा सलाम को जानने के बाद मिलेगी. रूवैदा फिलहाल IAS ऑफिसर हैं, इनके इरादों के बारे में पढ़कर हर एक महिला को प्रेरणा जरूर मिल सकती है.
पहले डॉक्टर फिर प्रशासनिक अधिकारी बनीं रूवैदा सलाम
आप सोचिए कि उन गोलियों की आवाजों के बीच पढ़ाई पर फोकस करना कितना मुश्किल होता होगा. घाटी की दहशतगर्दी पर जीत हासिल करते हुए रूवैदा ने न सिर्फ MBBS का एग्जाम पास किया. साथ ही कुछ सालों बाद ही IAS की परीक्षा पास कर प्रशासनिक अधिकारी भी बनीं. इस परीक्षा में उनकी रैंक 820वीं रही. रूवैदा ऐसी पहली कश्मीरी मुस्लिम लड़की हैं जिन्होंने इन दोनों मुकामों को हासिल किया है.
आतंक के साए में रहने वाले जिले की हैं रूवैदा सलाम
कुपवाड़ा का नाम आपने हाल फिलहाल जरूर किसी आतंकी मुठभेड़ या गोलीबारी को लेकर सुना होगा. इसी जिले की रहने वाली हैं रूवैदा सलाम. उन्होंने साल 2013 में IAS की परीक्षा पास की थी. वो ऐसा करने वाली पहली कश्मीरी महिला थी.
बता दें कि साल 2010 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के ही शाह फैसल ने इस परीक्षा को टॉप किया था, बहुत सारे लोगों के लिए फैसल एक मिसाल बन गए. रूवैदा सलाम को भी शाह फैसल से प्रेरणा जरूर मिली होगी.
डॉक्टर बनने के बाद घर वाले शादी कराना चाहते थे
इस सपने को साकार करने के लिए रूवैदा को तमाम तरह की दूसरी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा था. साल 2009 में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने वाली रूवैदा ने श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से डिग्री हासिल की थी. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जब से उन्होंने MBBS की परीक्षा पास की थी, तो उनके रिश्तेदार, माता-पिता बहुत खुश थे, लेकिन उनपर लगातार शादी के लिए दबाव बनाए जाने लगा.
लेकिन अपने सपने को पंख देने के लिए बेताब रूवैदा ने हार नहीं मानी, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और आखिर में IAS ऑफिसर बनकर ही रहीं. अभी रूवैदा Ministry of Finance, Government of India जम्मू में Assistant Commissioner के पद पर तैनात हैं.
चुनौतियां इंसान को मजबूत बनाती हैं
रूवैदा ने जिन हालात में देश के दो सबसे बड़ी परीक्षाओं को निकाला है, ये एक बड़ी उपलब्धि है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में जारी रूवैदा के इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि ये जो बार-बार आने वाली चुनौतियां होती हैं ये इंसान को और भी बहुत मजबूत बनाती हैं. कर्फ़्यू, अख़बारों पर पाबंदी और अध्ययन सामग्री उपलब्ध न होने, जैसी दिक्क़तों से एक मनोवै ज्ञान िक प्रभाव पड़ता है. इनसे ऊबरने में परिवार और खुद का मनोबल सबसे कारगर हथियार है. रूवैदा को ये दोनों हथियार बखूबी हासिल हुए और आज वो अपने सपनों की जिंदगी जी रही है.