बहुत सारे लोग ब्लॉग चलाते हैं, लिखते हैं. पर्सनल ब्लॉग्स होते हैं. बहुत सारे मुद्दों के बारे में उनमें लिखा होता है. लेकिन ‘फिजिक्स ब्लॉग’ इनमें सबमें काफी अलग है. ये सबरीना गोंजालेज के बारे में है. वो 23 साल की हैं और उनको फिजिक्स मतलब भौतिकी के सब्जेक्ट का बहुत पैशन है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही सबरीना को फिजिक्स का इतना नॉलेज है कि उसे आने वाले ज़माने अल्बर्ट आइंस्टीन माना जा रहा है. आखिर उनमें इतनी संभावनाएं क्यों देखी जा रही हैं और क्या है उनकी कहानी ? जानते हैं.
1. एयरोप्लेन बना दिया था जब 14 साल की थीं
सबरीना ने 14 की उम्र में अपना पहला विमान बना लिया था. वो भी बिना किसी के मदद के. सिर्फ बनाया ही नहीं उसे अमेरिका में मिशिगन लेक के ऊपर उड़ा भी दिया था. इसके साथ ही वो इतिहास में ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की इंसान भी बन गई हैं. सबरीना खुद को पब्लिक स्कूलों में पढ़ी क्यूबन-अमरीकी पीढ़ी का बताती हैं. साल 1993 में अमेरिका के शिकागो में पैदा हुईं सबरीना का एडमिशन 1998 में एडिसन रीजनल गिफ्टेड सेंटर में करवा दिया गया. 2010 में सबरीना ‘इलीनॉय मैथमेटिक्स एंड साइंस एकेडमी’ से ग्रेजुएट हुईं.
2. इसलिए माना जाता है इन्हें दूसरा आइंस्टीन
सबरीना ने अपने फिजिक्स के ज्ञान से सबको हैरान कर दिया. खासकर अपने टीचर्स को. उन्होंने फिजिक्स में क्वांटम फिजिक्स और ब्लैक होल्स की पढ़ाई की है. ये वही विषय हैं जिन पर मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन ने रिसर्च की थी. अपने रिसर्च से सबरीना ने स्टीफन हॉकिंग जैसे साइंटिस्ट तक को इम्प्रेस कर दिया है. हॉकिंग ने अपने लिखे रिसर्च पेपर्स में सबरीना के लिखे नोट्स को भी कोट किया है.
3. काम देखकर मिला मशहूर MIT में एडमिशन
मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) इसका नाम एक बार इंजीनियरिंग कर रहे लड़कों से पूछ कर देखिए. यहां पढ़ने के सिर्फ सपने ही लिए जा सकते हैं. कोई-कोई विरला ही जा पाता है. इस कॉलेज ने सबरीना को खुद बुलाकर एडमिशन दिया.
हुआ ऐसे कि सबरीना का नाम एडमिशन के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था. लेकिन तब तक सलेक्शन कमिटी वालों ने सबरीना का वो वीडियो देख लिया था जिसमें वो अपने बनाए एयरक्राफ्ट में बैठकर मिशिगन लेक के ऊपर उड़ान भर रही थी. इसके बाद सबरीना को 14 की उम्र में ही MIT में एडमिशन मिल गया. जहां से उन्होंने 5 में से 5 के परफेक्ट स्कोर से ग्रेजुएशन पूरा किया. ग्रेजुएशन के तुरंत बाद उन्होंने हार्वर्ड में पीएचडी के लिए अप्लाई किया और सलेक्ट हो गईं.
उनके रिसर्च के लिए उन्हें तरह-तरह के ग्रांट्स यानी पैसे दिए जाने लगे हैं ताकि उन्हें आगे रिसर्च करने में कोई दिक्कत न आए. फिलहाल सबरीना एंड्रयू स्ट्रॉमिंगर की देख-रेख में ब्लैक होल पर रिसर्च कर रही हैं. एंड्रयू भी सबरीना से खासे प्रभावित हैं और उन्हें उनके सफल होने के पूरे आसार नज़र आ रहे हैं.
4. ब्लैक होल्स को कैसे जाना
ब्लैक होल अंतरिक्ष में ऐसी जगहें होती हैं जहां गुरुत्वाकर्षण बल अपने चरम पर होता है. और इतना ज़्यादा होता है कि वो अंधेरे छेद रौशनी तक को बाहर नहीं आने देते. जब तारे टूटते हैं तब वो टूटे हुए छोटे टुकड़े तक को अपने अंदर खींच लेते हैं. नंगी आंखों से भी उन्हें नहीं देखा जा सकता. देखने के लिए ख़ास तरह के टेलिस्कोप की जरूरत पड़ती है.
अगर ब्लैक होल दिखाई नहीं देते तो फिर सबरीना और दूसरे वैज्ञानिकों को कैसे पता चला? क्योंकि साइंटिस्ट ब्लैक होल नहीं बल्कि उसके आसपास के तारों की चीज़ों का बर्ताव देखते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण से बहुत प्रभावित होते हैं. जब भी ब्लैक होल के बारे में जानना होता है तब साइंटिस्ट तारों के बारे में स्टडी करते हैं. जब भी कभी ब्लैक होल और तारे एक-दूसरे के पास होते हैं तब बहुत ऊर्जावान रोशनी निकलती है जिसे साइंटिस्ट सैटेलाइट और या टेलिस्कोप की मदद से देख पाते हैं.
5. अब आगे क्या करेंगी सबरीना
वे ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल एमज़न के संस्थापक जेफ़ बेजोस को अपना आदर्श मानती हैं जिसकी वजह से उन्होंने क्वांटम फिजिक्स विषय चुना था. अभी कुछ ही दिनों पहले उनके आइडल ने उन्हें अपनी कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ में नौकरी की पेशकश की थी. यही नहीं अमरीकी स्पेस एजेंसी ‘नासा’ भी सबरीना को अपने साथ जोड़ना चाहती है, लेकिन सबरीना ने अभी अपना पूरा ध्यान ब्लैक होल पर लगाया हुआ है और वो भटकना नहीं चाहती हैं.
6. सबरीना की फ़िलॉसफी
सबरीना को कई तरह के इवेंट्स और सम्मेलनों में बुलाया जाता है, उन्हें फोर्ब्स मैगज़ीन ने अपने 30 Under 30 एडिशन में जगह दी है. लेकिन सभी तारीफों और बधाइयों से इतर सबरीना बस अपने काम पर लगी हुई हैं. खुद को ‘दूसरा आइंस्टीन’ कहे जाने पर उनका मानना है “ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि लोग मुझसे अब ज़्यादा उम्मीद करेंगे जिसके लिए मुझे और मेहनत करनी पड़ेगी.” लेकिन उनका लक्ष्य अपने काम को मजे के साथ करना है. बाकी लोगों और बच्चों के लिए उनका ये संदेश है कि अपना बचपन का सपना कभी नहीं छोड़ें. अगर आप उसके लिए मेहनत करेंगे तो वो एक न एक दिन ज़रूर पूरा होगा.
# और महिलाएं जो अच्छा काम कर रही हैं
सिर्फ सबरीना इकलौती लड़की नहीं हैं जिन्होंने अपनी पसंदीदा फील्ड में मनचाही सफलता पाई है. टिएरा गिन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. टिएरा ने भी MIT से पढ़ाई की है और फ़िलहाल नासा के लिए रॉकेट बनाने का काम कर रही हैं. 21 साल की टिएरा द्वारा बनाया जा रहा रॉकेट इंसानी इतिहास का सबसे बड़ा और ताकतवर रॉकेट हो सकता है. परफेक्ट 5 के स्कोर से ग्रेजुएट हुई टिएरा बोइंग के साथ रॉकेट स्ट्रक्चरल डिज़ाइन और एनालिसिस इंजिनियर के तौर पर स्पेस लॉन्च सिस्टम बनाने का काम कर रही हैं. ये वही रॉकेट है जो बोइंग नासा के लिए बना रही है.
इसके अलावा जेनिफ़र डॉडना और कैथरिन फ्रीज़ दो और महिला साइंटिस्ट हैं जिन्होंने फिजिक्स में बहुत नाम कमाया है. डोडना ने CRISPR नाम का जेनेटिक इंजीनियरिंग मेथड डेवलप किया है. इस मेथड से आप मनचाहे गुणों वाले बच्चे पैदा कर सकते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त टिएरा का ये अाविष्कार एनीमिया और एचआईवी के इलाज में ख़ासा मददगार है.
वहीं फ्रीज़ एक मॉडर्न साइंटिस्ट हैं जो ‘डार्क मैटर्स’ पर स्टडी कर रही हैं. जिसमें ‘डार्क स्टार्स’ भी शामिल हैं. डार्क स्टार्स का मतलब होता है वो तारे जिनका गुरुत्वाकर्षण बल बहुत मजबूत होता है जो रोशनी को भी बाहर नहीं निकलने देते. ये चीज़ें इंसानों द्वारा कभी भी ऑब्जर्व नहीं हो पाती हैं. फ्रीज़ स्टॉकहोम के एक थ्योरेटिकल फिजिक्स कॉलेज ‘नोर्डिता’ की डायरेक्टर हैं.
साभार: द लल्लनटॉप