25 अगस्त, 2017 को पंचकुला की एक अदालत रेप के एक मामले में आरोप तय करके फैसला सुनाएगी. पंजाब और हरियाणा में प्रशासन ने इस फैसले के ‘नतीजों’ से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की है. क्योंकि इस मामले में आरोपी हैं डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह. दोनों राज्यों की सरकारों को डर है कि फैसला राम रहीम के खिलाफ आया तो उनके ‘प्रेमी’ कानून अपने हाथ में ले सकते हैं. राम रहीम का भौकाल इन दो राज्यों में है ही ऐसा, जिसके लिए नेता तक तरसते हैं.
राम रहीम पर लगे रेप के आरोप की पूरी कहानी का वीडियो
सिरसा में दबी ज़बान में कही जाने वाली एक कहानी
इस केस के बारे में सिरसा वालों से पूछें, तो वो एक कहानी सुनाते हैं. उनके मुताबिक एक लड़की डेरा में अपने साथ होने वाले यौन शोषण को लेकर परेशान थी. उसने अपने भाई को ये बात बताई, जो डेरा में ही मैनेजर था. भाई राम रहीम का भक्त था. उसका दिल टूट गया. उसने डेरा की अपनी नौकरी छोड़ी और अपनी बहन को लेकर वापस चला गया.
इस बात पर तब ज़्यादा लोगों का ध्यान नहीं गया. डेरा के अंदर कहीं कुछ तो गड़बड़ है, ऐसा सबको लगता था. लेकिन डर के मारे कोई कुछ कहता नहीं था. फिर 13 मई, 2002 को देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक खत लिखा गया. इस गुमनाम खत में एक लड़की ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा में गुरु राम रहीम के हाथों अपने यौन शोषण का वाकया बयान किया थाः
”मैं पंजाब की रहने वाली हूं और अब पांच साल से डेरा सच्चा सौदा सिरसा (हरियाणा, धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा) में साधु लड़की के रूप में कार्य कर रही हूं. सैकड़ों लड़कियां भी डेरे में 16 से 18 घंटे सेवा करती हैं. हमारा यहां शारीरिक शोषण किया जा रहा है. साथ में डेरे के महाराज गुरमीत सिंह द्वारा योनिक शोषण (बलात्कार) किया जा रहा है. मैं बीए पास लड़की हूं. मेरे परिवार के सदस्य महाराज के अंध श्रद्धालु हैं, जिनकी प्रेरणा से मैं डेरे में साधु बनी थी.
साधु बनने के दो साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत की प्रमाशया साधु गुरजोत ने रात के 10 बजे मुझे बताया कि महाराज ने गुफा (महाराज के रहने के स्थान) में बुलाया है. मैं क्योंकि पहली बार वहां जा रही थी, मैं बहुत खुश थी. यह जानकर कि आज खुद परमात्मा ने मुझे बुलाया है. गुफा में ऊपर जाकर जब मैंने देखा महाराज बेड पर बैठे हैं. हाथ में रिमोट है, सामने टीवी पर ब्लू फिल्म चल रही है. बेड पर सिरहाने की ओर रिवॉल्वर रखा हुआ है. मैं ये सब देख कर हैरान रह गई… मेरे पांव के नीचे की ज़मीन खिसक गई. यह क्या हो रहा है. महाराज ऐसे होंगे, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. महाराज ने टीवी बंद किया व मुझे साथ बिठाकर पानी पिलाया और कहा कि मैंने तुम्हें अपनी खास प्यारी समझकर बुलाया है. मेरा ये पहला दिन था. महाराज ने मेरे को बांहों में लेते हुए कहा कि हम तुझे दिल से चाहते हैं. तुम्हारे साथ प्यार करना चाहते हैं क्योंकि तुमने हमारे साथ साधु बनते वक्त तन मन धन सतगुरु को अर्पण करने को कहा था. सो अब ये तन मन हमारा है.
मेरे विरोध करने पर उन्होंने कहा कि कोई शक नहीं, हम ही खुदा हैं. जब मैंने पूछा कि क्या यह खुदा का काम है, तो उन्होंने कहाः
1. श्री कृष्ण भगवान थे, उनके यहां 360 गोपियां थीं. जिनसे वह हर रोज़ प्रेम लीला करते थे. फिर भी लोग उन्हें परमात्मा मानते हैं. यह कोई नई बात नहीं है.
2. यह कि हम चाहें तो इस रिवॉल्वर से तुम्हारे प्राण पखेरू उड़ाकर दाह संस्कार कर सकते हैं. तु्म्हारे घर वाले हर प्रकार से हमारे पर विश्वास करते हैं व हमारे गुलाम हैं. वह हमारे से बाहर जा नहीं सकते, यह बात आपको अच्छी तरह पता है.
3. यह कि हमारी सरकार में बहुत चलती है. हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री हमारे चरण छूते हैं. नेता हमसे समर्थन लेते हैं, पैसा लेते हैं और हमारे खिलाफ कभी नहीं जाएंगे. हम तुम्हारे परिवार से नौकरी लगे सदस्यों को बर्खास्त करवा देंगे. सभी सदस्यों को मरवा देंगे और सबूत भी नहीं छोड़ेंगे, ये तुझे अच्छी तरह पता है कि हमने पहले भी डेरे के प्रबंधक को खत्म करवा दिया था, जिनका आज तक अता-पता ना है. ना ही कोई सबूत बकाया है. जो कि पैसे के बल पर हम राजनीति क व पुलिस और न्याय को खरीद लेंगे. इस तरह मेरे साथ मुंह काला किया और पिछले तीन माह में 20-30 दिन बाद किया जा रहा है.
आज मुझको पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं, उन सबके साथ मुंह काला किया है. डेरे में मौजूद 35 से 40 साधु लड़की 35-40 वर्ष की उम्र से अधिक है, जो शादी की उम्र से निकल चुकी हैं. उन्होंने परिस्थितियों से समझौता कर लिया है, इनमें ज़्यादा लड़कियां बीए, एमए, बीएड पास हैं. घरवालों के कट्टर अन्धविश्वासी होने के कारण नरक का जीवन जी रही हैं.
हमें सफेद कपड़े पहनना, सिर पर चुन्नी रखना, किसी आदमी की तरफ आंख ना उठाकर देखना, आदमी से पांच-दस फुट की दूरी पर रहना महाराज का आदेश है. हम दिखाने में देवी हैं, मगर हमारी हालत वेश्या जैसी है.
मैंने एक बार अपने परिवार वालों को बताया कि यहां डेरे में सब कुछ ठीक नहीं है तो मेरे घर वाले गुस्से में कहने लगे कि अगर भगवान के पास रहते हुए ठीक नहीं है, तो ठीक कहां है. तेरे मन में बुरे विचार आने लग गए हैं. सतगुरु का सिमरन किया कर. मैं मजबूर हूं. यहां सतगुरु का आदेश मानना पड़ता है. यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकती, घर वालों को टेलीफोन मिलाकर बात नहीं कर सकती….
…पिछले दिनों जब बठिण्डा की लड़की साधु ने जब महाराज की काली करतूतों का सभी लड़कियों के सामने खुलासा किया तो कई साधु लड़कियों ने मिलकर उसे पीटा…
…एक कुरुक्षेत्र जिले की एक साधु लड़की जो घर आ गई है, उसने घर वालों को सब कुछ सच बता दिया है. उसका भाई बड़ा सेवादार था. जो कि सेवा छोड़कर डेरे से नाता तोड़ चुका है. संगरूर जिले की एक लड़की जिसने घर आ कर पड़ोसियों को डेरे की काली करतूतों के बारे में बताया तो डेरे के सेवादार गुंडे बंदूकों से लैस लड़की के घर आ गए. घर के अंदर कुण्डी लगाकर धमकी दी….
अतः आप से अनुरोध है कि इन सब लड़कियों के साथ-साथ मुझे भी मेरे परिवार के साथ मार दिया जाएगा, अगर मैं इसमें अपना नाम लिखूंगी….हमारा डॉक्टरी मुआयना किया जाए ताकि हमारे अभिभावकों को व आपको पता चल जाएगा कि हम कुमारी देवी साधू हैं या नहीं. अगर नहीं तो किसके द्वारा बर्बाद हुई हैं.”
प्रधानमंत्री के अलावा इस खत की एक-एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, हरियाणा सीएम, हरियाणा पुलिस के डायरेक्टर जनरल, सिरसा के एसपी और कुछ अखबारों को भी भेजी गई थी. कुछ छिट-पुट खबरें भी चलीं.
पूरी बात ऐसे बाहर आई
लेकिन बात अंदर ही रही. 30 मई, 2002 को सिरसा से शाम को निकलने वाले एक दैनिक अखबार ‘पूरा सच’ ने इस खत में लिखी बातों के आधार पर पूरे ब्योरे के साथ एक खबर छाप दी. चंडीगढ़ से छपने वाले एक पंजाबी अखबार ‘देशसेवक’ ने भी डेरा के अंदर यौन शोषण पर खबरें छापीं. ये पहली बार था कि डेरा के बारे में जो ‘बातें’ होती थीं, उन्हें खबर की संज्ञा मिली. इन्हीं दिनों उस लड़की के गुमनाम खत की प्रतियां सिरसा में बंटीं.
एक स्थानीय पत्रकार अंशुल छत्रपति ने ‘दी लल्लनटॉप’ को बताया कि इसी दौरान हाई कोर्ट ने खत का सं ज्ञान लेते हुए सिरसा के सेशन्स जज एमएस सुल्लर को आदेश दिए कि वो डेरा जाकर मामले की जांच करें. सुल्लर ने हाई कोर्ट को दिए अपने जवाब में कहा कि डेरा के अंदर चल रही गतिविधियां यकीनन संदिग्ध हैं और उनकी जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से करवाना ठीक रहेगा.
फिर डेरा के मैनेजर का मर्डर हो गया
10 जुलाई, 2002 को खबर आई कि डेरा में प्रबंधक रहे रंजीत सिंह की हत्या हो गई है. रंजीत अपनी मौत से कुछ ही दिन पहले परिवार सहित डेरा छोड़कर अपने घर कुरुक्षेत्र चले गए थे. आरोप लगा कि रंजीत की हत्या डेरा सच्चा सौदा के लोगों ने कराई क्योंकि उनका मानना था कि रंजीत की बहन ने ही वो गुमनाम खत लिखा था. रंजीत की बहन भी डेरा में साधु थीं. रंजीत की हत्या का केस आज भी चल रहा है, जिसमें गुरु राम रहीम पर मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है. लेकिन ये तय नहीं है कि खत उन्हीं की बहन ने लिखा था.
सीबीआई जांच में सात लड़कियों ने माना कि शोषण हुआ था
24 सितंबर, 2002 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान ले लेकर सीबीआई को इस मामले की जांच करने को कहा. सीबीआई की पूछताछ में डेरा में रह रही 7 लड़कियों ने कबूल किया कि गुरु राम रहीम ने उनका यौन शोषण किया है. पत्रकार अंशुल छत्रपति के मुताबिक इनमें से 5 लड़कियों ने केस से दूर रहने का फैसला किया. सीबीआई ने अपने केस में दो लड़कियों के बयान को ही आधार बनाया, जो आखिर तक डटी रहीं.
अखबार ‘पूरा सच’ चलाने वाले रामचंद्र छत्रपति की हत्या का इल्ज़ाम राम रहीम पर लगा था
फिर एक पत्रकार की हत्या हो गई
24 अक्टूबर, 2002 को ‘पूरा सच’ चलाने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति (अंशुल छत्रपति के पिता) की भी हत्या हो गई. छत्रपति को लगातार डेरा के खिलाफ लिखने की वजह से धमकाया जा रहा था. उनकी हत्या करने वाले दो आरोपी शूटर डेरा के ही साधु थे. छत्रपति की हत्या के केस में गुरमीत राम रहीम सिंह का नाम मुख्य साजिशकर्ता के रूप में दर्ज है. ये केस फिलहाल सीबीआई की पंचकुला कोर्ट में चल रहा है.
‘पूछताछ करनी है तो सिरसा आओ’
सीबीआई ने राम रहीम को कई बार पूछताछ के लिए नोटिस भेजे, पर वो दिल्ली नहीं गए. आखिर में सीबीआई की टीम ही सिरसा पहुंची तब जाकर इस मामले में राम रहीम से पूछताछ हो पाई. अंशुल ने ‘दी लल्लनटॉप’ से कहा कि सीबीआई को इस मामले में काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा था और डर बना रहता था कि राम रहीम के समर्थक कोई बखेड़ा न खड़ा कर दें.
खास कोर्ट बनाया जाता था केस की सुनवाई के लिए
जब अंबाला की विशेष सीबीआई अदालत में राम रहीम के खिलाफ डेरा में लड़कियों के यौन शोषण का केस दायर हुआ तो सुनवाई के लिए खास इंतज़ाम किए जाते थे. सुनवाई की तारीख पर अंबाला की पुलिस लाइन स्थित एसपी ऑफिस में एक अस्थाई सीबीआई कोर्ट बनाया जाता, जिसमें सिर्फ राम रहीम के मामले की सुनावाई होती. हर तारीख पर अंबाला में राम रहीम के हज़ारों समर्थक जुटते और भारी पुलिस बंदोबस्त करना पड़ता. 2005 में राम रहीम के समर्थकों ने चंडीगढ़ में सीबीआई के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था.
बाद में प्रशासन ने तंग आकर राम रहीम को सुनवाई के लिए लाना ही छोड़ दिया. मामले की सुनवाई में राम रहीम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए शामिल होते. सीबीआई ने इससे राहत की सांस ली. उनका मानना था कि राम रहीम की मौजूदगी से गवाहों का हौसला टूटता है. ये बात सीबीआई ने अदालत में दायर अपनी याचिकाओं में कही थी.
गवाहों को तोड़ने की इतनी कोशिश हुई कि अंडरग्राउंड होना पड़ा
इस बीच गवाहों पर दबाव बना रहा. दोनों लड़कियों के परिवारों को हर वक्त डर लगा रहता. एक स्थानीय अखबार ने जब एक लड़की का नाम ज़ाहिर कर दिया, तो लड़की और उनके परिवार को धमकियां मिलने लगीं. उनके पति को डेरा बुला कर डेरा के पक्ष में हलफनामा लिखवाने की कोशिश हुई. लड़की और उनके परिवार को तब पुलिस सुरक्षा दी गई. पुलिस वाले उनके घर के बाहर तंबू डाल कर पूरे वक्त मौजूद रहते. एक रात उनका तंबू जला दिया गया और लड़की के परिवार को धमकी दी गई कि जैसे ये तंबू जलाया है, तुम्हें भी जला देंगे. पुलिस का टेंट जलाने के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. इसके बाद लड़की को परिवार समेत अंडरग्राउंड होना पड़ा था.
केस धीमा चलाने की लगातार कोशिश हुई
2013 में इस केस में सबूतों पर बहस पूरी हो गई थी. सुनवाई के दौरान राम रहीम की ओर से कभी सुप्रीम कोर्ट में तो कभी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका लगा दी जाती. इससे केस काफी धीमी रफ्तार से चला. मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद राम रहीम ने फैसला सुनाने पर रोक चाही थी. जून 2017 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया था. जुलाई 2017 में हाई कोर्ट ने सीबीआई की ट्रायल कोर्ट से इस मामले में सुनवाई ‘जल्द से जल्द’ पूरी करने को कहा था.
मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है. 25 अगस्त 2017 वो दिन हो सकता है जब पंचकुला की सीबीआई अदालत (अंबाला की अदालत पंचकुला शिफ्ट हो गई थी) इस मामले में आरोप तय कर के सज़ा का ऐलान कर दे.
साभार:द लल्लनटॉप