नई दिल्ली
क्या केंद्र सरकार चुपचाप एक बार फिर से नोटबंदी करने की तैयारी में जुटी है?
बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि सरकार 2,000 रुपये के नोटों को बंद कर देगी। अब यह चर्चा संसद तक जा पहुंची है। विपक्षी दलों ने राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा, लेकिन वह चुप्पी ही साधे रहे। पिछले कई सप्ताह से 2,000 रुपये के नोटों की कमी दिख रही है, माना जा रहा है कि इसकी वजह जमाखोरी है। नकदी के रूप में कालेधन को 2,000 रुपये के नोटों के तौर पर आसानी से जमा किया जा सकता है। इसकी तुलना में छोटे नोटों में ऐसा करना कठिन है।
इसके अलावा अधिकतर लोगों को मानना है कि 2,000 रुपये का नोट लेकर मार्केट में जाने पर खुल्ले की समस्या से जूझना पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2,000 रुपये के नोटों की छपाई कम कर दी गई है। माना जा रहा है कि सरकार इन नोटों की सप्लाइ को सीमित करने की योजना पर काम कर रही है। पिछले साल नवंबर में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद किए जाने के बाद आरबीआई ने 2,000 रुपये के नोटों की छपाई तेजी से की थी। लेकिन, अब शायद इन नोटों की संख्या ऐसे स्तर पर पहुंच गई है, जिससे केंद्रीय बैंक असहज है। शायद इसी वजह से इन बड़े नोटों की छपाई को कम करने की रणनीति बन रही है और कम कीमत वाले नोटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
ऐसी खबरें हैं कि रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है और मौजूदा वित्त वर्ष में नए नोट नहीं लाए जाएंगे। इसी के चलते अब अफवाहें हैं कि सरकार 200 रुपये के नए नोटों को लॉन्च करने वाली है। कहा जा रहा है कि सरकार 200 और 500 रुपये के नोटों की संख्या बढ़ने के बाद सरकार 2,000 रुपये के नोटों को बैन कर सकती है। इससे आम आदमी पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। इस बैन से सरकार 2,000 रुपये के नोटों को एकत्र करने वाले लोगों पर प्रहार करेगी।