रेप एक जघन्य अपराध है, चाहे किसी का भी रेप हो. मगर रेप जब किसी बच्चे के साथ होता है, सबसे भरोसा उठने लगता है. लगता है सब ख़त्म हो गया. खुद पर से भी भरोसा उठने लगता है. मन में उठ रहे सवालों के जवाब नहीं मिलते. हम सोचते हैं कि आखिर क्या करें कि ये रुक जाए. मगर हम कुछ भी कर पाने में असमर्थ होते हैं. खासकर जब खुद की शह में आए व्यक्ति के ऊपर कोई अपनी सत्ता का दुरुपयोग करने पर उतारू हो. खासकर उस देश में, जहां साधु-संतों को भगवान का रूप माना जाता है, वहां कोई भिक्षु एक 12 साल की बच्ची का रेप कर दे, ये बात सोच कर ही शरीर में सिहरन हो उठती है.
कहां?
12 साल की रानी का रेप असम के तिनसुकिया जिले में एक छोटे से बौद्ध मंदिर में हुआ. हां, बौद्ध धर्म का मंदिर, वो धर्म जो दुनियावी चीजों से दूर रहकर मोक्ष की ओर जाने की सीख देता है. मगर रानी, जो अपने घर की खुशहाली के लिए भाई के साथ पूजा करने गई थी, बौद्ध भिक्षु के पहले उसकी आंखों को काले कपड़े में कैद किया, फिर उसका रेप कर दिया.
कैसे?
‘रानी’, ‘निर्भया’ की तरह एक काल्पनिक नाम है. ‘निर्भया’ की तरह ‘रानी’ नाम से भी इस बात की ओर इशारा करने की कोशिश की जा रही है कि लड़की सबकुछ सह कर भी मजबूत बनी हुई है. रानी के पिता से हमने बात की. उन्होंने बताया पूरा कांड किस तरह हुआ. परिवार के एक साथी ने उन्हें सलाह दी थी कि इस पुजारी के पास जाएंगे, तो वो उनके घर की खुशहाली और सम्पन्नता के लिए पूजा करवा देगा.
लड़की के घरवाले बौद्ध धर्म का पालन करते हैं. इस पुजारी को वे जानते नहीं थे. मगर जो गुरु अक्सर उनकी पारिवारिक पूजाएं करवाते थे, वो शहर में नहीं थे. लिहाजा उन्होंने इस पुजारी से बात की. पुजारी उनके घर आया और बताया कि बोर्गोलाई में स्थित एक बौद्ध मंदिर में पूजा करवा सकते हैं. पुजारी ने बच्चों के लिए ख़ास पूजा बताई, जिससे वो पढ़ाई और भविष्य में अच्छा काम कर पाएंगे. रानी के पिता भी हर पिता की तरह हैं. बच्चों के भविष्य के लिए पिता तो भूखे-प्यासे भी रह जाते हैं, फिर पूजा कौन सी बड़ी बात थी. उन्होंने झट से हां कह दिया. पुजारी ने ख़ास निर्देश दिए, ‘अपने बच्चों को अकेले भेजना. तुम बिलकुल मत आना.’
जब बात धर्म की हो, हा सवाल पूछना भूल जाते हैं. रानी के पिता ने भी अपने मन में कोई सवाल न आने दिया. अगले दिन, यानी 3 अगस्त को, लगभग सुबह के 8 बज रहे थे. मंदिर शहर से कुछ किलोमीटर दूर था. लेकिन जब बात पूजा, समर्पण और घर की खुशहाली की हो, तो भला कोई क्यों न सैकड़ों किलोमीटर चल लेगा? फिर ये तो उतना भी दूर नहीं था.
पुजारी ने भाई-बहन का स्वागत किया. मगर ये भी कहा कि वो पूजा की सारी सामग्री ला नहीं पाया है. जिन्हें लाने के लिए बड़े भाई को जाना पड़ेगा. पुजारी के चेले के साथ बड़े भाई को भेज दिया गया. 12 साल की मासूम पुजारी के साथ रह गई. पुजारी ने उसे अपने साथ आने को कहा. रानी को उस पर क्यों शक होता भला. वो सादी सी बच्ची तो पुजारी में पिता जैसे किसी को खोज बैठी थी. उसे लगा पुजारी की मीठी बातें उसका प्रेम है. पवित्र, निश्छल, ममत्व से भरा प्रेम.
आज़माइश
पूजा करवाने के बहाने पुजारी रानी को एक कमरे में लेकर गया. और वहां उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी. जब पुजारी उसे गलत ढंग से छूने लगा, रानी ने पूछा वो ऐसा क्यों कर रहा है. पुजारी ने जवाब में उससे अपनी हाथों जितनी ही कठोर आवाज में कहा, अगर वो चीखी या उसने अपने भाई को कुछ भी बताया तो अंजाम ठीक न होगा.
बच्ची की सहनशीलता की पूरी आज़माइश के बाद पुजारी ने उसे छोड़ दिया. बदहवास बच्ची ने घर पर फोन किया. जब उसने अपनी मां अपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में बताना शुरू किया, मां सुन न सकी. वो बेहोश को गई. पिता ने सबकुछ संभालने की कोशिश की. सबसे पहले भाई को फोन किया जो अब भी पूजा की सामग्री खरीद रहा था. उसके बिना कोई वजह बताए तुरंत बहन के पास जाने को कहा. रानी के पिता भी बच्चों को वापस लाने के लिए निकल पड़े.
भाई ने किसी तरह पुजारी के चेले को मंदिर वापस जाने के लिए तैयार किया. वापस पहुंच वो बहन को लेकर घर की ओर निकला. जल्द ही पिता से मुलाकात हो गई और तीनों घर की ओर चल पड़े.
प्रतिक्रिया
अपनी ही बच्ची के रेप की खबर मिलने पर कोई भी मां-बाप क्या करेंगे? खासकर जब वो नाबालिग हो. रानी के पिता ने किसी से कुछ नहीं कहा. प्राइवेट डॉक्टरी करने वाले एक दोस्त से सलाह ली. सिर्फ इसलिए कि सरकारी अस्पताल में चले गए तो सबको मालूम पड़ जाएगा. अपने घरों में बैठे हमारे लिए ये कहना आसान है कि पिता ने पुलिस से शिकायत क्यों नहीं की. क्या उन्हें अपनी ही बेटी के लिए इंसाफ की दरकार नहीं थी? मगर अंततः वो पिता ही थे. एक ऐसे समाज में पिता थे, जहां ये बात उनकी बेटी का भविष्य बर्बाद कर सकती थी.
घर का सम्मान उसकी औरतों की योनियों में बसता है. रानी के पिता को तो यही लगा कि वो अपनी बेटी के लिए जो कर रहे हैं, सही कर रहे हैं. मगर जब रानी के दूसरे भाई को ये सब पता चला, माजरा बदल गया. तेजपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भाई को ये बर्दाश्त न हुआ. वो पिता पर खूब नाराज हुआ. और इससे पिता को थोड़ी हिम्मत मिली. उन्होंने अपने धार्मिक गुरुओं से सलाह मांगी. धीरे-धीरे अपने पड़ोसियों को भी बताया. कुछ ही दिनों में लगभग 3 हजार लोग गुस्से थे तमतमा चुके थे. और अपने हिसाब से पुजारी से साथ न्याय करना चाहते थे. कुछ लोगों ने किया भी. जाकर उसे पीट दिया. इतना पीटा कि अब वो डिब्रूगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है. अंततः 10 अगस्त को पुलिस थाने में शिकायत दर्ज हुई. पॉक्सो (THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES ACT) के तहत केस फाइल हुआ.
तलाशी के बाद पुजारी के घर से भारी मात्रा में कॉन्डम, आई-पिल और प्रेग्नेंसी का पता लगाने वाली किट मिलीं. लोगों का अनुमान है कि वो सीरियल सेक्स अपराधी है.
विरोध
रानी के भाई ने अपनी बात स्टूडेंट्स यूनियन के सामने रखी. तेजपुर विश्विद्यालय यूनियन ने विरोध प्रदर्शन करना चालू किया. 20 अगस्त को एक कैंडल मार्च निकाला गया. छात्र संघ ने अध्यक्ष शुभम पांडे ने बताया कि वो फ़ास्ट ट्रैक ट्रायल के तहत इस केस पर फैसला सुनाए जाने की मांग कर रहे हैं. जिसके लिए वे दस्तखत इकट्ठे कर रहे हैं.
राहत
रानी के पिता ने बताया कि जब से वो इस बारे में खुलकर बात करने लगे हैं, लोग उनका साथ दे रहे हैं. स्कूल की महिला टीचरों ने बच्ची से बात की है. वो उसे लगातार समझा रही हैं जिससे वो मानसिक परेशानी से बाहर आ जाए. और सबसे बड़ी बात, जो भी उसके साथ हुआ, उसके लिए कभी खुद को जिम्मेदार न ठहराए. परिवार को जानने वाले बौद्ध गुरुओं ने भी रानी से लगातार बात की, उसे बेहतर महसूस करवाया.
पूर्वांचल मंक एसोसिएशन ने पुजारी की जांच की. पुजारी की धार्मिक वैधता के बारे में पता करने के लिए उसके सर्टिफिकेट मांगे. जो वो दे नहीं पाया. कुछ पुजारियों ने ये भी कहा कि आरोप भारतीय है ही नहीं. वो बर्मा से भागकर आया गैरकानूनी अप्रवासी है. धार्मिक और कानूनी, दोनों तरीकों से सजा देने की मांग जारी है.
धर्म और रेप
धार्मिक गुरुओं के हाथों यौन उत्पीड़न का ये पहला वाकया नहीं है. ये पुजारियों की वैधता पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न है. जैसा रानी के पिता ने हमसे कहा, ‘भगवा या लाल कपड़े पहनकर व्यक्ति खुद को कानून से ऊपर मान लेता है. पुलिस इनसे कभी सवाल नहीं करती. क्योंकि इनपर सवाल उठाना पूरे धर्म पर सवाल उठाने के बराबर हो जाता है.
उनके कपड़े, माथे पर एक टीका, या फिर कोई भी धर्म के ठेकेदार से दिखने वाले व्यक्ति का पहनावा ये सुनिश्चित कर देता है कि वो कुछ भी करे. पुजारी को उस बच्ची के ऊपर सत्ता इस बात ने तो दी ही कि वो पुरुष था, बड़ा था और ज्यादा ताकतवर था. मगर उसके पुजारी होने ने उसे लड़की के साथ-साथ पूरे परिवार के ऊपर सत्ता दे दी. धर्म पर उंगली उठाने वाले को अंततः खुद पर ही खरोंच लगती है.
जैसे पिटीशन पर दस्तखत बढ़ रहे हैं, रानी का परिवार साथ-साथ इस शॉक से बाहर आने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने अबतक पब्लिक में कोई बयान नहीं दिया है. वो बच्ची को पूरी तरह दुनिया, खासकर मीडिया से अलग कर उसके ट्रॉमा को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. अब उम्मीद बस इसी बात की है, कि कानून और सरकार रानी को जल्द से जल्द न्याय दिला दे.
साभार:द लल्लनटॉप