अकसर कुछ देर आराम करने के बाद जब उठते हैं तो पता चलता है कि पैर सो गया. कभी-कभी ऐसा हाथों के साथ भी होता है. बहुत देर तक आलती-पालती मारकर बैठने से पैर में झनझनाहट शुरू हो जाती है. ऐसी फ़ीलिंग आती है जैसे पैर है ही नहीं या उस पर कई सूइयां चुभोई जा रही हैं. कितना भी मार लो, चूंटी काट लो, उस पर कोई असर नहीं होता. लेकिन कुछ देर हिलने-डुलने या चलने के बाद सब सही हो जाता है.
बिलकुल ऐसा हाथों के साथ भी होता है. बहुत देर से हाथ कुर्सी पर टिकाए रखने या हाथ के बल सोने से उसमें झनझनाहट होने लगती है. साइंस के मुताबिक हाथ-पैर का सोना आम बात है.
असल में एक ही पोज़िशन में बहुत देर तक रहने से कुछ नसें दब जाती हैं जिनके कारण हाथ या पैरों को सही अमाउंट में ऑक्सीज़न नहीं मिल पाती. ऑक्सीज़न की कमी होने से शरीर के पार्ट्स बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं. दिमाग को इसका पता लगता है तो वो इन झटपटाते हाथों की मदद करने के लिए हमें झनझनाहट के सिग्नल देता है, जिससे हम चहलकदमी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.
लोग सोचते हैं कि ऐसा खून के बहाव में कमी आने से होता है, लेकिन ये सच नहीं है. ये एक कारण हो सकता है, लेकिन रेयर से रेयर केस में.
हाथ या पैर दिन में कई बार सोने लगें या झनझनाहट खत्म होने में बहुत ज़्यादा देर लगने लगे, तो डॉक्टर के पास जाना बहुत ज़रूरी है. ब्लड टेस्ट, MRI और दूसरे टेस्ट भी होते हैं जिनसे नसों की हालत का पता चलता है. अगर झनझनाहट बहुत ज़्यादा है तो ये 7 कारण हो सकते हैं:
1. गले या पीठ की कोई नस दबी हुई है
गले से लेकर हाथ या पीठ से लेकर पैर के तलवे तक झनझनाहट महसूस हो, तो हो सकता है किसी चोट या गलत तरह से बैठने या गठिया जैसी बिमारी के कारण नस दब गई हो. फ़िज़िकल थेरेपी और दवाइयों से इसका इलाज हो सकता है.
2. विटामिन की कमी
अगर आपके सिर्फ एक नहीं दोनों हाथों में झनझनाहट होती है तो इसके लिए विटामिन B12 की कमी ज़िम्मेदार है. इसके साथ ही थकावट महसूस होती होगी और हो सकता है आपको एनीमिया भी हो. ब्लड टेस्ट में अगर ये दिक्कत सामने आती है तो B12 विटामिन की चीज़ों और इंजेक्शन से इसे सही किया जा सकता है.
3. कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel syndrome )
अगर आप दिन भर अपने कंप्यूटर स्क्रीन के आगे बैठकर टाइपिंग करते रहते हैं, तो हो सकता है अंगुलियों के रिपीट मोशन से उनकी नसें दब जाएं. जिसकी वजह से हाथ में झनझनाहट होने लगे. अगर झनझनाहट की वजह यही है तो आपको अपनी दिनचर्या में ख़ासे बदलाव लाने की ज़रूरत है. फिज़ीकल थेरेपी, दवाइयों और सर्जरी से इसका इलाज संभव है.
4. सर्विकल या स्पाइनल स्टेनोसिस (Cervical or spinal stenosis)
रीढ़ की हड्डी में दिक्कत आने से झनझनाहट महसूस होने लगती है. इसका MRI या CT scan से पता चल सकता है. इलाज ये देखकर किया जाता है कि दिक्कत कितनी बढ़ी हुई है. इसका इलाज फ़िज़िकल थेरेपी, इंजेक्शन या सर्जरी से पॉसिबल है.
5. डायबिटीज़
अगर आपका डायबिटीज़ बहुत बढ़ा हुआ है, तो हो सकता है आपका हाई ब्लड शुगर ज़हर की तरह काम करे. इससे आपको हाथ और पैरों में झनझनाहट महसूस हो सकती है. अगर आपको हद से ज़्यादा प्यास या भूख लगती है, या जल्दी-जल्दी पिशाब करने की ज़रूरत हो रही है, तो आपको अपना ग्लूकोज़ लेवल चैक करवाने की ज़रूरत है. दवाइयों और खान-पान में अंतर लाने से आप इसे कंट्रोल में ला सकते हैं.
6. हाइपोथाइरोइडिज़म (Hypothyroidism)
थाइरोइड से भी झनझनाहट का अहसास होता है. इसके साथ ही सर्दी जल्दी पकड़ती है, बेवजह वज़न बढ़ता है, त्वचा ड्राई होने लगती है और बाल अड़ने लगते हैं. बल्ड टेस्ट से इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है. अगर आपको ये बीमारी है तो सिंथेटिक थाइरोइड हारमोन लेने की ज़रूरत है.
7. मल्टिपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis)
अगर आपको कमज़ोरी महसूस होती है. सुन्न या झनझनाहट का अहसास होता है. साथ ही डबल-डबल चीज़ें दिखाई देती हैं तो हो सकता है आपको मल्टिपल स्क्लेरोसिस हो. MRI से इस बिमारी का पता लगाया जा सकता है. ऐसे इलाज संभव हैं जिससे इस बिमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.
साभार: द लल्लनटॉप