गांव में दीवारों पर चिपकी हुई गोबर की उपलें और मैदानों में फैले हुए गोबर के कंडे देखे हो? भुच्च देहात में होता है ये सब. अब तो वहां भी सिलेंडर की लाइन लगती है. लेकिन गोबर का काम खत्म नहीं हुआ. गोबर गैस नाम की भी एक चीज हुआ करती थी जो अब धीरे धीरे गायब हो रही है. लेकिन खाना पकाने के लिए गैस, बिजली, कोयला इत्ता महंगा पड़ रहा है. सबको तलाश है कि कुछ नया ट्राई किया जाए. तो केन्या में एक स्टार्टअप शुरू हो गया. वो पॉटी से ईंधन बना रहे हैं.
ईस्ट अफ्रीका में सैनिवेशन नाम की एक समाज सुधार वाली एजेंसी है. इसका हिंदी में मतलब होता है स्वच्छता. इसने केन्या में इंसान की टट्टी से सस्ता कुकिंग फ्यूल बनाने का जुगाड़ निकाला है. माने इसे कोयले जैसा बनाकर इस पर खाना बनाया जा रहा है.
कैसे बनाते हैं कोयला
इन्होंने जो तरीका निकाला है उसमें पॉटी को कोयले की तरह बना लेते हैं. इस काम के लिए ये घाटी से कीचड़ इकट्ठा करते हैं. उसमें टट्टी, बुरादा वगैरह मिलाकर धूप में सुखाते हैं. दो-तीन हफ्तों तक. उसके बाद उनके अंदर से नुकसान करने वाली गैसें निकल जाती हैं. कहते हैं कि ये गोबर या चारकोल से ज्यादा देर तक जलता है और इसमें धुंआ भी कम होता है.
चलो केन्या में तो ये कारोबार शुरू हो गया है. हमारे यहां अभी रोना चल रहा है कि हर महीने गैस सिलेंडर के दाम बढ़ेंगे. बड़ी मचमच है यार.
साभार:द लल्लनटॉप