हमारे समाज में आज भी कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर खुलकर बात नहीं की जाती। इनमें 'सेक्स' और इससे जुड़ी बातें शामिल हैं। अब आप 'कंडोम्स' का ही उदाहरण लीजिए। हम कब कंडोम्स के तथ्यों या उपयोग को लेकर खुले तौर पर बातचीत करते हैं।
अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कई तरह के तरीके अपनाए जाते हैं। कंडोम्स का इस्तेमाल करना भी इनमें से एक ही है। हालांकि बहुत कम लोग इस तथ्य के बारे में जागरुक होते हैं कि कंडोम्स सिर्फ प्रेग्नेंसी रोकने के लिए नहीं बल्कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीसेस रोकने में भी मदद करते हैं।
आमतौर पर लोग कंडोम्स से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में ही जानते हैं। मन ही मन कई सारे भ्रम पाले रहते हैं। आपने आज तक कंडोम्स के बारे में कई सारी बातें पढ़ी और सुनी होगी। मगर क्या आप जानते हैं कि कंडोम्स के इस्तेमाल से कुछ नुकसान भी होते हैं?
फिर तो इनके बारे में जानना भी हमारे लिए जरूरी है। तो फिर चलिए। आज कंडोम्स के साइड इफेक्ट्स पर बात करते हैं।
लेटेक्स एलर्जी
कंडोम्स को लेटेक्स रबर से बनाया जाता है। एक अमेरिकन संस्थान के अनुसार कुछ लोगों को इस लेटेक्स रबर के पाए जाने वाले प्रोटीन से एलर्जी होती है। लेटेक्स रबर से गुब्बारें, ग्लव्स, रबर बैंड्स और टॉयज आदि भी बनाए जाते हैं।
यह होते हैं लक्षण
जो लोग लेटेक्स एलर्जी के शिकार होते हैं, उन्हें खुजली, सूजन, नाक बहना, छींक आना, सांस लेने में दिक्कत होना और चक्कर आना जैसी समस्याएं होती हैं। इस एलर्जी से anaphylaxis जैसी जानलेवा बीमारी होती है। तो इसका का क्या है विकल्प!
विकल्प है मौजूद
यदि दोनों पार्टनर में से किसी एक को भी लेटेक्स एलर्जी है तो इस स्थिति में 'सिंथेटिक रबर' से बने कंडोम्स बेस्ट होते हैं। इसके अलावा नेचुरल स्किन कंडोम्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
बनी रहती है प्रेगनेंसी की संभावना
यदि कंडोम्स को सही तरीके से पहना जाए तब भी इसके सफल होने के चांसेस 98% ही होते हैं। फिर यदि इन्हें गलत तरीके से लगाया जाए तो प्रत्येक 100 में से 15 महिलाएं प्रेगनेंट हो जाती है।
कंडोम्स की होती है लाइफ
अधिकतर लोग इस तथ्य से अनजान होते हैं कि कंडोम्स की भी एक्सपायरी डेट होती है। लोग बिना एक्सपायरी डेट देखें ही कंडोम्स ले आते हैं। एक्सपायर कंडोम्स नाजुक हो जाते हैं। सेक्स के दौरान फट जाते हैं।
इस वजह से भी होता है कंडोम ब्रेक
यदि कंडोम्स में पेट्रोलियम जैली या कुकिंग ऑइल का इस्तेमाल करते हैं तो वे लेटेक्स से रिएक्शन करते हैं। इससे कंडोम कमजोर हो जाता है और उसके ब्रेक होने की गुंजाइश भी बढ़ जाती है।
कुछ इन्फेक्शन्स से नहीं बचाव
कंडोम्स एचआईवी, एचपीवी, Syphilis जैसी अंदरूनी अंगों और इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियों से तो बचाव करते हैं। मगर बाहरी अंगों को होने वाले इन्फेक्शन को नहीं रोक सकते। इन इन्फेक्शस में Scabies infection और molluscan contagious जैसे इन्फेक्शन्स शामिल हैं।
हो सकती है ट्रांसफर
यह वायरस ऐसा होता है जो अनइन्फेक्टेड पार्टनर के स्किन में भी रिलीज हो जाता है। यह बात भी गौर करने वाली है कि एनिमल स्किन से बने कंडोम्स एसटीडी डिसीसेस के ट्रांसफर को रोकने में इफेक्टिव नहीं होते हैं। क्या होती है समस्या ?
यह होती है समस्या
कुछ पुरुष कंडोम्स इसलिए इस्तेमाल नहीं करना चाहते क्योंकि इससे थ्रिल कम हो जाता है। साथ ही उनका यह भी मानना है कि इसे पहनने के बाद सेंसेशन भी पहले की तरह नहीं रहता है। ऐसे पुरुषों के लिए सुझाव यह है कि वो दूसरे बॉन्ड्स और साइज के कंडोम्स ट्राई करें और जो उन्हें सूट करें उसे ही पहनें।
डबल कंडोम्स ज्यादा असुरक्षित
कुछ लोगों का मानना है कि डबल कंडोम्स पहनने से ज्यादा सुरक्षा रहती है। मगर असल में ऐसा करने से दोनों कंडोम्स के बीच फ्रिक्शन होता है और ये जल्दी डैमेज हो जाते हैं।
उम्मीद है आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी और अगली बार आप कंडोम्स के इस्तेमाल में और ज्यादा सावधानी बरतेंगे।
साभार: ओनलीहेल्थ.कॉम