शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी डालकर राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को नया मोड़ दे दिया है.
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी द्वारा दाखिल की गई इस अर्जी में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जगह उसे पक्षकार बनाने की मांग की गई है. यही नहीं इस अर्जी में इस विवाद को सुलझाने का फॉर्मूला भी सुझाया है.
फार्मूले के तहत विवादित स्थल हिन्दुओं को राम मंदिर निर्माण के लिए दे दिया जाए और अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिमों को दूसरी जगह दी जाए.
शिया वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि वह विवादित स्थल सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की नहीं, बल्कि शिया वक्फ बोर्ड मिलकियत है. साथ ही दावा किया गया है कि बाबर की लिखी किताब में भी इस मस्जिद का कोई जिक्र नहीं है. अर्जी में कहा गया है कि जो विवादित स्थल बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है, दरअसल वह वक्फ मस्जिद मीर बकी है. जो बाबर के समय में मीर बकी द्वारा बनवाई गई शिया मस्जिद थी.
इससे पहले मामले में हाईकोर्ट ने कहा था दोनों पक्ष आपस में फैसला करें. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी थी. लेकिन दोनों ही पक्षों में अभी तक कोई संवाद नहीं हो सका. अब इस झगड़े को समाप्त करने के लिए शिया बोर्ड ने पहल की है.
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दिया गया है. शिया बोर्ड का कहना है कि एक तिहाई हिस्से पर मस्जिद भी बनती है तो मंदिर मस्जिद के पास होने की वजह से झगड़े की संभावना बनी रहेगी.
नमाज और भजन के लिए लाउडस्पीकर से एकदूसरे को परेशानी हो सकती है. इसीलिए शिया बोर्ड ने फैसला किया है कि एक तिहाई जमीन के एवज में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मस्जिद बनाने के लिए जगह दी जाए. अर्जी में मांग की गई है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट एक कमेटी बनाए. जिसमें रिटार्यड जज के अलावा दो हाईकोर्ट के जज शामिल किए जाएं, यही नहीं एक मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हों.
शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाख्लिा करने वाले वकील एमसी ढींगरा ने कहा कि शिया बोर्ड की यह पहल इस विवाद को सुलझाने के लिए कारगर साबित होगी.
'शिया बोर्ड का हलफनामा कोई मायने नहीं रखता'
उधर मामले में एक पक्ष बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है. सुप्रीम कोर्ट अभी सभी अपीलों की सुनवाई कर रहा है. ऐसे में यह हलफनामा कोई मायने नहीं रखता है.
उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड 70 साल से मस्जिद पर दावा करता रहा है. लेकिन मस्जिद किसी की मिलकियत नहीं होती. मस्जिद मस्जिद होती है और वह शिया सुन्नी के नाम से नहीं जानी जाती. ना ही उसको बेचा जा सकता है.
जफरयाब ने कहा कि वक्फ बोर्ड के एक्ट में यह अधिकारी दिए गए हैं. किसी मस्जिद का कोई मालिक नही बनाया गया है. तो ये कहां से मालिक हो जायेंगे. हमे उनके मशवरे की जरूरत नहीं है. 20 करोड़ मुसलमान हैं, वह अपना मशविरा सीएम को दें.