जयपुर; 300 लोगों के इस गांव में 40 पक्के मकान और 30 चौपहिया वाहन हैं। हिंडोली गांव को देखकर कोई भी इसकी समृद्धि का अंदाजा लगा सकता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस गांव के समृद्ध लोगों को स्वच्छता और स्वास्थ्य की बिल्कुल भी फिक्र नहीं है। हिंडोली गांव में बड़ी-बड़ी पक्की इमारतें हैं, गाड़ियां हैं और तमाम सुख-सुविधाएं हैं लेकिन घरों में शौचालय नहीं हैं।
घासी लाल नाथ 10 सदस्यीय परिवार के मुखिया हैं। उनका पक्का मकान है और उनके घर में टाइल्स की फर्श है। घर में तमाम सुख-सुविधाएं मौजूद हैं लेकिन घरों की औरतों को खुले में शौच में जाने को लेकर कोई ऐतराज नहीं है। घासी लाल ने कहा, हमारे पास शौचालय बनवाने के लिए पैसा नहीं है लेकिन हम जल्द ही शौचालय बनवाने की सोच रहे हैं। जब उनसे शौचालय निर्माण के लिए सरकार से धनराशि मिलने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने शौचालय बनवाए उन्हें अब तक कोई धनराशि नहीं मिली है।
इस गांव के केवल 16 घरों में शौचालय बनवाए गए हैं लेकिन किसी को भी शौचालय-निर्माण के लिए मिलने वाली 15,000 रुपए की सरकारी सहायता धनराशि नहीं मिली है। ग्रामीण शौचालय के लिए सरकारी सहायता धनराशि नहीं मिलने की बात कहकर भी शौचालय बनवाने से पीछे हट रहे हैं।
पुष्कर सुवालका ने बताया, 'पुष्कर सुवालका और चित्तर लाल सुवालका और नाथूजी महाराज ने शौचालयों का निर्माण करवाया लेकिन सहायता धनराशि अब तक नहीं मिली। हमने प्रमाण पत्र भी जमा करवाए, यहां तक कि दो बार इसे पेश किया। एक बार प्रमाण पत्र पंचायत समिति कार्यालय में खो गया जिसके बाद हमने दोबारा इसे जमा कराया। मैं पिछले दो सालों से सहायता धनराशि मिलने का इंतजार कर रहा हूं।'
धन्नानाथ योगी ने बताया, एक शौचालय के निर्माण में करीब 25,000 से 30,000 रुपए का खर्च आता है जबकि सरकारी मदद केवल 15,000 रुपए की मिलती है जोकि पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा इस राशि के मिलने में काफी वक्त लग जाता है।
बाबुल योगी ने हाल ही में परिवार के लिए एसयूवी गाड़ी खरीदी है। उनके परिवार के पास पहले से ही 6 गाड़ियां हैं लेकिन उनके घर में एक टॉइलट नहीं है। परिवार में 10 सदस्य हैं और सभी खुले में शौच के लिए जाते हैं। उन्होंने कहा, सभी गाड़ियां लोन की किश्तों पर खरीदी गई हैं हालांकि हम जल्द ही घर में एक टॉइलट बनवाने की कोशिश करेंगे।
बाबुलाल नाथ के पास भी कथित तौर पर 15 गाड़ियां हैं लेकिन उनके घर में भी एक भी टॉइलट नहीं है।
द्वारिका और सीमा 10 वीं क्लास में पढ़ते हैं और वे घनश्याम योगी परिवार का हिस्सा हैं। उन्होंने अपने घर में बन रहे टॉइलट की तरफ इशारा करते हुए कहा, हम बहुत खुश हैं कि हमारे घर में जल्द ही टॉइलट होगा। हमें खुले में शौच जाने में बहुत ज्यादा शर्म आती थी और डर भी लगता था, हमें जंगल में शौच के लिए जगह तलाश करनी पड़ती थी।
हिंडोली के सीनियर सेकंडरी स्कूल की अध्यापिकाओं सुमन शर्मा, नासेरा बानो, राजेश्वरी ने गांव जाकर लोगों को टॉइलट बनवाने के लिए प्रोत्साहित किया। स्कूल की अध्यापिकाओं ने बताया, गांव के लोग सरकारी सहायता को अपर्याप्त बताते हुए शौचालय निर्माण से कतराते रहे हैं लेकिन हम उन्हें महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए घर में ही शौचालय बनवाने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे है