‘हर रात एक बुरे सपने जैसी थी. कमरे में घुसने के पहले मैं कांपने लगती थी. जो मंजर कमरे के अंदर मेरा इंतजार कर रहा होता था, उसके बारे में सोचकर ही डर लगता था. हर रात हमारे बेडरूम में जो होता, वो वैसा सुखद नहीं था जैसा आमतौर पर पति और पत्नी के बीच होता है. मुझे ऐसा लगता उसने मुझे खरीदा है. मुझे एक सेक्स गुलाम, एक सेक्स के खिलौने की तरह ट्रीट करता. मेरे अंदर चीजें ठूंसता, मुझे थप्पड़ मारता, दांतों से काटता. मेरे स्तन काटे खाने के निशानों से भरे हुए थे. मेरी हालत किसी जानवर की तरह थी. मेरे पीरियड के समय भी वो मुझे नहीं छोड़ता.’
विमेंस मीडिया सेंटर (मीडिया में औरतों को बराबरी दिलाने के लिए काम करने वाला NGO) ने साल 2015 में मैरिटल रेप झेल चुकी एक औरत से बात की. जो बयान आपने ऊपर पढ़ा, वो 27 साल की एक औरत का है. शादी के बाद ये औरत अपने पति से परेशान रही. पति को मारपीट में आनंद आता था. शादी के बाद सभी सेक्स करते हैं. मगर एक पार्टनर हिंसक हो और सेक्स का आनंद मार-पीटकर, काटकर ले, तो ये आनंद उसके पार्टनर के लिए जीवन का सबसे बुरा सपना बन सकता है.
मुझे फिल्म ‘लिप्सटिक अंडर माय बुरक़ा’ में शिरीन (कोंकना सेन शर्मा) और उसके पति रहीम (सुशांत शर्मा) का किरदार याद आता है. छिप-छिपकर सेल्स गर्ल की नौकरी करने वाली शिरीन का पति सऊदी अरब में रहता था. साल में एक बार मिलने आता, फिर भी उसके 3 बच्चे हो चुके थे. क्योंकि न तो वो कॉन्डम का इस्तेमाल करता, न ही सेक्स के वक़्त इस बात का ध्यान रखता कि उसकी पत्नी इसके लिए तैयार है भी या नहीं. रहीम के वापस आने के बाद उस कमरे में हर रात शिरीन के लिए टॉर्चर थी.
‘रेप’ शब्द से हम क्या समझते हैं? जब एक औरत के साथ बिना उसकी सहमति के सेक्स किया जाए. इंडियन पीनल कोड की धारा 375 रेप की क्या परिभाषा देती है, ये भी जान लीजिए.
‘एक पुरुष ने रेप किया है, ये तब कहा जा सकता है, जब:
1. वो किसी औरत के मुंह, वजाइना, पेशाब के रास्ते या एनस में अपना लिंग डाले, या किसी और पुरुष से डलवाए.
2. अपने लिंग के अलावा कोई वस्तु औरत की वजाइना, एनस या पेशाब के रास्ते में डाले, या किसी से डलवाए.
3. किसी औरत के शरीर के साथ ऐसी हरकत करे जिससे उसकी वजाइना, एनस या पेशाब के रास्ते में कुछ डाला जा सके.
4. अपना मुंह उसकी वजाइना, एनस या पेशाब के रास्ते में लगाए.
इन परिस्थितियों में ऐसा करे तो उसे रेप माना जाएगा:
1. औरत की मर्जी के खिलाफ
2. बिना औरत की सहमति के
3. झांसा देकर, झूठ बोलकर या डरा-धमका कर सहमति प्राप्त की गई हो तो
4. खुद को उसका पति बताकर या उसे विश्वास दिलाकर कि वो उसका पति है
5. ऐसे मौके पर उससे सहमति लेकर जब नशे या किसी भी और वजह से उसकी दिमागी हालत ठीक न हो और सोचने-समझने की क्षमता न हो
6. अगर लड़की 18 साल से कम उम्र की हो
7. जब वो किसी भी वजह से सहमति दर्ज करने में असमर्थ हो
मगर, नीचे दिए गए वाकयों में रेप की ये परिभाषा अपवाद साबित होगी:
अगर रेप करने वाले आदमी की पत्नी 15 साल से ज्यादा उम्र की है
IPC में रेप की परिभाषा के साथ बड़ी सफाई से ये अपवाद दिया गया है.
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बीते दिनों कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को ख़त्म किया. एक शक्तिशाली बाबा के हाथों रेप हुई महिलाओं को न्याय मिला. उसी समय मीडिया की निगाहों में तुलनात्मक रूप से एक छोटा केस भी चल रहा था, जिसकी सुनवाई लगातार चल रही है. ये मैरिटल रेप को ‘रेप’ की परिभाषा में शामिल करने की लड़ाई है.
मशहूर वकील करुणा नंदी की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के पास ये संशोधन करने के लिए पेटीशन भेजी गई. नियम एक दिन में नहीं बदलते. IPC में संशोधन एक दिन में नहीं होते. कोर्ट ने इसपर सरकार की राय मांगी. सरकार ने इसपर लिखित जवाब दिया:
अगर शादी के बाद होने वाले रेप को अपराध के दायरे में रख दिया गया तो परिवार टूट जाएंगे. सरकार के मुताबिक़ भारत जैसे देश के लिए ये स्वस्थ नहीं. इस बारे में सरकार की दलीलें कुछ इस तरह हैं:
1. शादी के बाद पति से होने वाले रेप को अगर अपराध मान लिया गया तो शादी के महत्त्व और उसकी मान्यता को चोट पहुंचेगी. इसके अलावा औरतें इसका इस्तेमाल कर पुरुषों को हैरेस कर सकती हैं.
2. पति और पत्नी के बीच जो सेक्स हुआ है, वो सहमति के साथ हुआ है या उसके बिना, इसे साबित करने का कोई तरीका नहीं है.
3. इंडिया में औरतें के पिछड़ेपन, तरह-तरह की संस्कृतियों और गरीबी की वजह से इसे अपराध का दर्जा देना ठीक नहीं है.
4. इसे लागू करने के पहले सभी राज्य सरकारों का मत जान लेना चाहिए.
5. बीवी के अलावा कोई बताने वाला नहीं होगा कि सेक्स सहमति से हुआ है या नहीं. ऐसे में कोर्ट के पास गवाह नहीं होंगे. बीवी की बात पर किस तरह भरोसा करेंगे.
वहीं शादी के बाद पति द्वारा किए गए रेप को अपराध की श्रेणी में रखने के पक्ष में वकील और महिला एक्टिविस्ट ये कहती हैं:
1. धारा 375, जो रेप की परिभाषा देती है, शादीशुदा महिलाओं को बड़ी आसानी से अनदेखा कर देती है.
2. शादी करते ही पति को पत्नी से कभी भी सेक्स की मांग करने का हक़ मिल जाता है.
3. विवाहित औरत का अपने शरीर पर उतना ही हक होता है जितना अविवाहित औरत का. ऐसे में शादी का लाइसेंस रेप का लाइसेंस बन जाता है.
4. पत्नी को जबरन प्रेगनेंट करने का बहाना मिल जाता है. ये उसके मां बनने या न बनने के चुनाव के अधिकार का हनन है.
5. दुनिया के 51 देशों में पति के द्वारा किया गया रेप अपराध है. हम ही इतने सवाल क्यों खड़े कर रहे हैं.
चूंकि मैरिटल रेप कानूनन अपराध नहीं है, इससे जुड़े आंकड़े कभी सामने नहीं आ पाते. मगर संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड के 2014 में किए हुए एक सर्वे के मुताबिक़:
9200 पुरुषों में से एक तिहाई ने माना है उन्होंने अपनी पत्नियों के साथ कभी न कभी उनकी मर्जी के खिलाफ इंटरकोर्स किया है. और हां, इनमें से 60 फ़ीसदी ऐसे थे जिन्होंने पत्नी पर अपना हक़ जमाने के लिए किसी न किसी तरह की हिंसा का सहारा लिया है.
हमारे पीनल कोड में कई ऐसे नियम हैं जो अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे हैं. शादी के बाद पत्नी का शरीर पूरी तरह पति के नाम हो जाता है, ये मानसिकता जाने कितनी पुरानी है. कानून की किताब में ये 300 साल पहले से चल रही है. 17वीं सदी में उस वक़्त के मशहूर अंग्रेज बैरिस्टर मैथ्यू हेल ने लिखा था:
एक पति कभी पत्नी का रेप करने का दोषी नहीं हो सकता. क्योंकि औरत जब पुरुष से शादी करती है, उसमें उसकी मर्जी शामिल होती है. चूंकि उसने शादी के लिए हां की है, ये जाहिर है कि सेक्स के लिए उसकी सहमति है. अब पत्नी सेक्स के लिए मना नहीं कर सकती.
300 साल पहले कोई वकील या जज इस तरह की बात कहे तो हमें अचंभा नहीं होता. मगर इस तरह की बातें आज भी सच मानी जाएं, खासकर कानून की किताबों में, जिसे रूढ़िवादी परंपराओं से अनछुआ माना जाता है, तो अचंभा होता है. ये कहना कि शादी कर औरत पति की हो जाती है, ऐसा है कि कोई फर्नीचर आपका हो गया क्योंकि आपने उसे खरीद लिया है.
ऐसा नहीं है कि पति के हाथों पत्नी के उत्पीड़न को कानून में कोई जगह नहीं मिली है. पत्नियों के खिलाफ हिंसा को लेकर इंडियन पीनल कोड कहता है:
धारा 498: किसी औरत का पति या पति के रिश्तेदार अगर उसका उत्पीड़न करते हैं तो उत्पीड़न करने वाले/वालों को 3 साल तक की कैद हो सकती है. फाइन भी देना होगा. यहां उत्पीड़न का मतलब होगा:
1. कोई भी ऐसी हरकत जो औरत को शारीरिक या मानसिक चोट पहुंचाए, उसके किसी अंग को जख्मी करे, उसके जीवन को खतरे में डाले, या उसके लिए ऐसी परस्थिति बना दे कि वो सुसाइड करने को मजबूर हो जाए.
2. औरत से कोई ऐसी मांग करना जो गैरकानूनी हो. ये डिमांड पैसे, प्रॉपर्टी या किसी मूल्यवान चीज की हो सकती है. और इस मांग के पूरा न होने पर औरत को प्रताड़ित करना.
अगर औरत के साथ हिंसा होती है, चाहे यौन हिंसा हो या नहीं, वो इसी धारा के तहत शिकायत कर सकती है. और कई औरतें करती भी रही हैं. ऐसे में कई लोगों का ये कहना है कि जब हिंसा के खिलाफ कानून मौजूद है तो मैरिटल रेप पर कानून बनाने की क्या जरूरत है. मगर जो बात ध्यान देने वाली है वो ये कि हमारे पीनल कोड में रेप की परिभाषा ही अधूरी है. क्योंकि वो देशभर की शादीशुदा औरतों की बात ही नहीं करती है.
हालांकि रेप की परिभाषा महज इसीलिए ही अधूरी नहीं है. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पीनल कोड में कहीं भी पुरुषों, खासकर गे पुरुषों, या हिजड़ा समुदाय के लोगों के लोगों के रेप को रेप नहीं माना गया है. जबकि आए दिन पुरुषों के रेप और यौन शोषण की खबरें आती हैं.
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अप्रैल 2015 में संयुक्त राष्ट्र की औरतों के भेदभाव के खिलाफ संगठित हुई समिति ने इंडिया को ये सुझाव भी दिया था कि वे मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाएं. जब लॉ कमीशन ऑफ़ इंडिया रेप के कानूनों पर रिपोर्ट बना रहा था, उसने रेप के कानूनों में कोई संशोधन नहीं किया. वहीं निर्भया (16 दिसंबर) गैंगरेप कांड के बाद गठित हुई जस्टिस वर्मा कमिटी ने अपने सुझाव में मैरिटल रेप को अपराध का दर्जा देने का सुझाव दिया था.
राज्य सभा सदस्य और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी कनीमोळी (कनिमोड़ी) ने इसपर साल 2015 में संसद में सवाल भी उठाया था. मगर जवाब में पंजाब के राज्य गृहमंत्र हरिभाई चौधरी ने लिखा था कि भारत देश जैसे सामाजिक परिवेश में ये मुमकिन नहीं. क्योंकि यहां औरतें पढ़ी-लिखी नहीं हैं, अलग-अलग धर्मों को मानती हैं. साथ ही यहां शादी को धार्मिक और नैतिक रूप से बड़ी ही पवित्र चीज माना गया है.
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साल 2014 में एक आदमी अपनी पत्नी से सेक्स न मिलने की शिकायत लेकर मद्रास हाई कोर्ट पहुंचा. पति के मुताबिक़, न तो पत्नी ने उससे हनीमून पर सेक्स किया और न ही आगे कभी बिस्तर पर किसी भी तरह की संवेदना दिखाई. वहीं जवाब में पत्नी ने कहा कि उसका पति उससे बच्चे चाहता है और वो दो साल बच्चा पैदा नहीं करना चाहती. इसलिए सेक्स नहीं करती. मद्रास हाई कोर्ट ने ट्रायल के दौरान कहा था कि शादी के बाद भी अपने पति को सेक्स देने से इनकार करना क्रूरता है.
इस केस की सच्चाई क्या थी किसी को मालूम नहीं. पति शायद कॉन्डम के इस्तेमाल को मना करता हो. वहीं ये भी मुमकिन है कि पत्नी को पति से प्रेम ही न हो और वो जानबूझकर उससे सेक्स न कर रही हो. मगर ये सभी सवाल एक बड़े सवाल की ओर जाते हैं. कि जब कोई दो लोग एक-दूसरे को भले ढंग से जानते ही नहीं, तो जबरन उनकी शादी क्यों करवाई जाती है. आज भी अधिकतर शादियां अरेंज्ड होती हैं. पति और पत्नी को हमबिस्तर होने तक पता ही नहीं चलता कि उनका जीवनसाथी कैसा होगा. वो हमबिस्तर होना पसंद करेंगे भी या नहीं.
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मई 2015 में पति के हाथों रेप से पीड़ित औरत पुलिस के पास पहुंची. लाइवमिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, औरत ने पत्रकार नमिता भंडारे को बताया:
पुलिस ने मुझसे पूरी सहानुभूति दिखाई. प्यार से बात की. पीठ ठोंकी. चाय पिलाई. फिर घर जाकर ‘एडजस्ट’ करने को कह दिया.
परिवार, शादी, संस्कार और परंपरा को बचाने का पूरा बोझ औरत के कंधों पर है. मगर इसी औरत को मानवता के इतिहास में सामान्य नागरिक की हैसियत पाने में ही सैकड़ों साल लग गए थे. उसके बाद प्रॉपर्टी रखने और वोट देने के हक़ के लिए लड़ीं. फिर अपनी मर्जी से शादी करने के लिए. फिर इन शादियों में प्रताड़ित होने के खिलाफ. ये बस एक अगला कदम है. लड़ाई बहुत लंबी है.
साभार: द लल्लनटॉप