पेट की भूख इंसान की अक्ल पर कभी-कभी भारी पड़ जाती है. तभी तो लोग नौकरी पाने के चक्कर में किसी के भी झांसे में आ जाते हैं. ख़बरें छपती हैं नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी. सऊदी अरब भेजने के नाम पर लाखों ठगे….. इस तरह की ख़बरें खूब सामने आती हैं. लेकिन बुरी से भी बुरी खबर ये होती है कि नौकरी दिलाने के बहाने लड़की का रेप.
रेप छोटा सा शब्द, मगर उसकी हैवानियत सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एक औरत का फिर रेप हुआ है. जॉब दिलाने के नाम पर ही. रेप एक एक मर्द ने नहीं, बल्कि 30 मर्दों ने औरत का रेप किया. क्योंकि औरत को जॉब के बहाने कोठे पर बेच दिया गया था. पांच महीने से औरत रोजाना एक नए मर्द से खुद को बचाने की कोशिश में लगती थी. मगर नहीं बच पाती थी. औरत को नेपाल से लाया गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस, दिल्ली महिला आयोग और एक एनजीओ ने मिलकर दिल्ली के जीबी रोड पर एक कोठे पर रेड डाली. और नेपाली औरत को छुड़ा लिया गया.
छुड़ाई गई औरत का कहना है कि उसे दुबई में नौकरी दिलाने के लिए नेपाल से लाया गया था. मगर उसको दिल्ली के कोठे में बंद कर दिया गया. औरत का कहना है,
‘एक बार कोठे पर अफवाह फैली थी कि पुलिस की रेड पड़ने वाली है. इस बात से मैं खुश थी कि शायद अब मैं बच निकलूंगी. लेकिन कोठे की मालकिन ने हमें पुलिस की नज़र से बचा कर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था.’
दिल्ली महिला आयोग के मीडिया सलाहकार भूपिंदर सिंह का कहना है,
‘महिला को कोठे पर रखा गया था. औरत का कहना है कि उसे कई दिन ता भूखा रखा गया. और उसे अब तक 30 मर्दों के साथ सोने पर मजबूर किया गया. औरत को कोठे पर बेचा गया था.’
औरत को कोठे से छुड़ाने के लिए एनजीओ ने मदद की और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. औरत ने जो कहानी बताई उसके आधार पर पुलिस ने उस महिला को पकड़ लिया, जो उससे ज़बरदस्ती वैश्या बनाकर रखे हुए थी. और उसके जिस्म को बेच रही थी. पुलिस ने केस दर्ज आगे की जांच शुरू कर दी है.
कोठे से छुड़ाई गई ये कोई पहली औरत नहीं है
नेपाल की ये अकेली औरत नहीं है जिसे छुड़ाया गया हो. आए दिन ख़बरें आती हैं कि इतनी महिलाओं को छुड़ाया. नेपाल की लड़कियों को बहाने से लाकर दिल्ली के कोठों पर बेच दिया जाता है. साल 2015 की बात है जब माइग्रेन्ट नेपाली एसोसिएशन ने महिपालपुर (दिल्ली) से 40 नेपाली लड़कियों को एक गिरोह से छुड़ाकर वापस नेपाल भिजवाया था.
यूएस स्टेट डिपार्टमेन्ट ने 2015 में ही ‘द ट्रेफिकिंग इन पर्सन्स रिपोर्ट’ तैयार की थी. इसमें नेपाल को टियर 02 में रखा था, जिसका मतलब होता है कि ऐसा देश या सरकार जो मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) पर रोक लगाने के लिए न्यूनतम मानकों का पालन नहीं कर रही है, हालांकि वह ऐसा करने के लिए ज़रूरी कदम उठा रही है.
लेकिन ये भी है कि नेपाल से भारत में होने वाली मानव तस्करी पर रोक लगाना बहुत मुश्किल है. अनुमान लगाया जाता है कि 5 हजार से 10 हजार लड़कियां और औरतें हर साल इंडिया लाई जाती हैं. ये सब इसलिए हो जाता है क्योंकि भारत और नेपाल की सीमा तकरीबन 1751 किलोमीटर तक आपस में मिली हुई है. इतनी बड़ी सीमा पर नजर रखना किसी सुरक्षा एजेन्सी के लिए मुश्किल काम ही है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि नजर नहीं रखी जा सकती. दिक्कत ये है कि दोनों सीमाओं के बीच फेंसिंग नहीं हुई है. दोनों तरफ के लोगों का आना जाना बेरोक टोक है, वो भी बिना वीजा और पासपोर्ट के ही. इसकी वजह भारत और नेपाल के लोगों के बीच आपसी पारिवारिक रिश्ते होना भी है.