इस देश में नेताओं के रुतबे से हर कोई घबराता है. वो नेता सांसद हो, तो बात ही क्या है! ऐसे में अगर कोई आदमी किसी सांसद को किलसा दे, तो उसके बारे में जानना जरूरी हो जाता है. तब तो और ज़्यादा, जब उसे दुनिया ऐसे नाज़ुक समय में रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा रहा हो. बात हो रही है अश्विनी लोहानी की.
पिछले वाले चेयरमैन कहां गए?
अश्विनी लोहानी आदित्य कुमार मित्तल की जगह लेंगे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मित्तल ने 23 अगस्त, 2017 को कैफियत एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 21 अगस्त, 2017 को ही पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस हादसा हुआ था, जिसमें 21 लोगों की जान गई थी और 80 से ऊपर ज़ख्मी हो गए थे. सरकार ने इस हादसे के बाद कार्रवाई करते हुए मित्तल सहित रेलवे के कई बड़े अफसरों को ‘छुट्टी’ पर भेज दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मित्तल ने इन रेल हादसों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा रेलमंत्री सुरेश प्रभु को भेजा.
अश्विनी लोहानी- ये सांसदों का पसीना छुड़ा देते हैं
लोहानी यूपी के कानपुर से हैं. उनका रेलवे से पुराना नाता रहा है. लेकिन वो बात बाद में. उनका सबसे तगड़ा इंट्रो है बतौर चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, एयर इंडिया. इस पद पर रहते हुए ही उनकी तारीफ देशभर में पहुंची.
हुआ ये था कि महाराष्ट्र की उस्मानाबाद सीट से शिवसेना के सांसद रवींद्र गायकवाड़ 23 मार्च, 2017 को दिल्ली आ रहे थे, एयर इंडिया की फ्लाइट से. सीट मिलने की बात पर उनकी एयर इंडिया के स्टाफ से कहा-सुनी हुई. गायकवाड़ ने ‘शिवसैनिक’ वाला ताव दिखा कर 60 साल के कर्मचारी को थप्पड़ मार दिया. फिर एयर इंडिया ने सांसद महोदय पर बैन लगा दिया. एयर इंडिया ने बैन लगाया तो बाकी एयरलाइन्स ने भी भाईचारा दिखाते हुए बैन लगा दिया. गायकवाड़ जी ने लाख कोशिश की, पर कई दिनों तक बैन नहीं हटा. खबरें आईं कि गायकवाड़ फ्लाइट का टिकट कराते और टिकट कैंसल कर दिया जाता. हार कर गायकवाड़ को एक ‘बहरूपिया लेकर’ ट्रेन से आना-जाना करना पड़ा.
प्राइवेट एयरलाइन्स का तो ठीक था, सबने सलाम किया एयर इंडिया की हिम्मत का. ‘ऊपर’ से प्रेशर पड़ता रहा लेकिन गायकवाड़ को पर्याप्त लू दिखाई गई. बाद में मालूम चला कि एक सरकारी कंपनी में एक शिवसेना सांसद को आगे बढ़ो भैया कहने का साहस अश्विनी लोहानी की वजह से ही आया था. बड़ी मशक्कत के बाद 7 अप्रैल, 2017 को जाकर गायकवाड़ से बैन हटा था.
लोहानी के करियर में गायकवाड़ वाला मामला पहला नहीं था, जब बतौर सरकारी अफसर उनका ‘विश्वरूप’ किसी नेता ने देखा था. 2015 में कांग्रेसी सांसद मिथुन रेड्डी के तिरुपति एयरपोर्ट पर स्टेशन मैनेजर को थप्पड़ मारने के मामले में भी अश्विनी लोहानी ने आवाज़ उठाई थी.
इस सब ने एयर इंडिया के अंदर और बाहर दोनों तरफ लोहानी को बहुत लोकप्रिय बना दिया था. लेकिन इस लोकप्रियता को लोहानी ने कभी ‘भुनाया’ नहीं. उनकी खुद्दारी का आलम इस बात से लगाएं कि एयर इंडिया प्रमुख होने के बावजूद लोहानी ने कभी फ्री में एयर ट्रैवल नहीं किया. इतना ही नहीं, एयर इंडिया प्रमुख बनने के बाद उन्हें कॉरपोरेट क्रेडिट कार्ड मिला था, जिसे लेने से भी लोहानी ने इनकार कर दिया था.
लोहानी की ‘घर वापसी’ हो रही है
अब उस बात पर लौटते हैं जो मैंने ऊपर वाले पैरा में दो लाइन लिख के छोड़ दी थी – लोहानी का रेलवे से नाता. लोहानी साहब 1976 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मकैनिकल इंजीनियर्स (IRSME) काडर के अफसर हैं. लोहानी रेलवे के दिल्ली डिविज़न के डिविज़नल रेलवे मैनेजर रहे हैं. रेल म्यूज़ियम के डायरेक्टर भी रहे. ऐसी ही कई और ज़िम्मेदारियां उन्होंने रेलवे में निभाईं.
एमपी को ‘गजब’ भी इनने ही बनाया
लोहानी भोपाल में मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम में मैनेजिंग डायरेक्टर के पोस्ट पर भी रहे. एमपी टूरिज्म को नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाने का क्रेडिट लोहानी को ही जाता है. इतना तगड़ा सीवी था, इसीलिए लोहानी को एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी एयर इंडिया को बेहतर बनाने के लिए लोहानी को लाए थे.
भरपल्ले रिकॉर्ड बनाए हैं लोहानी ने
लोहानी ने चार साल में चार इंजीनियरिंग की हैं – मकैनिकल, इलेक्ट्रिकल, मेटलर्जिकल और टेलीकम्यूनिकेशन. ये एक रिकॉर्ड है जो लिम्का बुक्स में 2007 में दर्ज हुआ. लोहानी ने दुनिया के सबसे पुराने स्टीम लोकोमोटिव को दोबारा ज़िंदा कर के फेयरी क्वीन एक्सप्रेस दोड़ा दी. ये गिनीज़ रिकॉर्ड बना.
अश्विनी के लिंक्डइन अकाउंट पर उन्होंने जो जानकारी दे रखी है, वो भी हम यहां दे रहे हैंः
साभार: द लल्लनटॉप