सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं. एक में बाबा गुरमीत सिंह उस हेलिकॉप्टर में बैठे हैं, जिसमें उन्हें जेल ले जाया गया. दूसरी तस्वीर नरेंद्र मोदी की है. मोदी भी एक हेलिकॉप्टर से उतरते नज़र आ रहे हैं. कॉमन बात ये है कि दोनों हेलिकॉप्टर एक ही ‘मेक’ के हैं. AW-139 यानी ऑगस्टा वेस्टलैंड–139.
कहते हैं कि कंपनी ने ऐसे हेलिकॉप्टर भारत में सिर्फ दो कस्टमर्स को दिए हैं. इनमें से एक गौतम अडानी का ग्रुप है. दूसरे ग्रुप का नाम गुप्त है. इस बात के आधार पर सोशल मीडिया पर पूछा जा रहा है कि मोदी और राम रहीम का ये अडानी कनेक्शन क्या है? क्या भाजपा सरकार ने सीधे अडानी से हेलिकॉप्टर मांग लिया था? क्या ये वही हेलिकॉप्टर है जिसे नरेंद्र मोदी इस्तेमाल करते थे?
एक वेबसाइट के अनुसार, एक कांग्रेसी नेता सलमान निजामी ने ये जानकारी सबसे पहले पोस्ट की. उन्होंने ट्विटर पर दोनों तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि राम रहीम को ले जाने के लिए अडानी का हेलिकॉप्टर इस्तेमाल किया गया.
वेबसाइट का ये भी कहना है कि उनको तुरंत गलत ठहराया गया. कई यूजर्स ने कहा कि ये मॉडल नंबर है, जिससे पता नहीं चल सकता कि हेलीकॉप्टर है किसका.
दैनिक भास्कर का दावा है कि इस तरह के हेलिकॉप्टर भारत में सिर्फ 2 ग्रुप्स के पास नहीं हैं. उनकी पड़ताल के मुताबिक़ 2011 में ही इंडिया में तकरीबन 20 लोग ये हेलिकॉप्टर खरीद चुके थे. लिहाज़ा राम रहीम को ले जाने वाला हेलिकॉप्टर किसी का भी हो सकता है. हालांकि वेबसाइट ने ये नहीं लिखा है कि वो 20 लोग कौन हैं.
इस सारे मसले से 2-3 बातें सामने आ रही हैं. एक तो ये कि राम रहीम को हेलिकॉप्टर से ले जाना उनको लग्ज़री ट्रीटमेंट देना है. दूसरा ये कि सरकार ने उनको ले जाने के लिए अडानी का हेलिकॉप्टर इस्तेमाल किया. लिहाज़ा अडानी और सरकार की सांठगांठ है.
ये भसड़ गैरज़रूरी क्यों है?
पहली बात तो ये ही है कि ये हेलिकॉप्टर अडानी का है या नहीं ये क्लियर नहीं है. हो भी सकता है और नहीं भी. अगर होता भी तो क्या दिक्कत है? सरकार वक़्त-ज़रूरत किसी से भी सहायता ले सकती है. हर बात में षड्यंत्र खोजा जाना खलिहरपना कहलाता है.
दूसरी बात ये कि राम रहीम को हेलिकॉप्टर से ले जाना उनको VIP ट्रीटमेंट देना तो बिल्कुल भी नहीं कहा जाना चाहिए. वो वक़्त की ज़रूरत थी. पूरा हरियाणा जल रहा था उस वक़्त. पंचकुला से रोहतक तक सड़क के रास्ते गुरमीत सिंह को ले जाना बिल्कुल मूर्खता होती.
तकरीबन 250 किलोमीटर के इस रास्ते पर कुछ भी हो सकता था. बाबा के भक्त वैसे ही पूरा प्रदेश आग के हवाले किए हुए थे. उनको ले जाने वाले काफिले पर शर्तिया हमला कर सकते थे. और ज़्यादा जानें जातीं. यकीनन जातीं. ऐसे में उनको हवाई रास्ते से ले जाने का फैसला दूरदर्शिता भरा रहा. इसमें वीआईपी ट्रीटमेंट जैसा कुछ नहीं है.
हां, एक बात को लेकर प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है. गुरमीत सिंह की बेटी हनीप्रीत ने भी इस हेलिकॉप्टर में बाबा के साथ सफ़र किया. ये नियमों का साफ़-साफ़ उल्लंघन है. कैदी के किसी भी रिश्तेदार को उसके साथ सफ़र करने की इजाज़त नहीं है. वो चाहे तो जेल परिसर में उससे मिल सकता है. लेकिन हनीप्रीत बाबा के साथ ही हेलिकॉप्टर में बैठी दिखाई दे रही है. इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों से सवाल पूछे जाने चाहिए.
कैसे होते हैं AW 139 हेलिकॉप्टर्स?
ये एक 15 सीटों वाला मल्टी-इंजन हेलिकॉप्टर है. अतिमहत्वपूर्ण व्यक्तियों की आवाजाही के लिए बना हुआ. टॉप के सेलेब्रिटीज इसे ख़ूब इस्तेमाल करते हैं. यही वजह थी कि 2014 में मोदी भी इसे यूज़ करते दिखाई दिए.
एक वेबसाइट के अनुसार इसे किराए पर देने वाली कंपनी एक घंटे के लिए ढाई से तीन लाख का किराया लेती है. ये अंदर से बड़ा ही खूबसूरत होता है. एक बार में 675 नॉटिकल माइल्स तक सफ़र कर सकता है. 310 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ़्तार से उड़ सकता है. कॉर्पोरेट सेक्टर में ये हेलिकॉप्टर पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है.
बहरहाल, राम रहीम मसले पर प्रदेश और केंद्र सरकार की आलोचना करने के लिए कई मुद्दे मौजूद हैं. बात उन पर हो तो बेहतर. इस तरह की बेसिरपैर की बातें असली मुद्दों की गंभीरता कम ही करती है. इससे बचना न जाने कब आएगा सोशल मीडिया के बाशिंदों को.
साभार: द लल्लनटॉप