नई दिल्ली
कुछ ही दिन पहले टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि फेसबुक के को-फाउंडर मार्क जकरबर्ग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बारे में बहुत कम जानते हैं। अभी यह बयान पुराना भी नहीं पड़ा, और फेसबुक को कथित रूप से अपना एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सिस्टम बंद करना पड़ा क्योंकि, 'बात हाथ से निकलने लगी थी'। इन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस बॉट्स ने अपनी एक भाषा गढ़ ली थी जिसमें कोई मानवीय सहयोग नहीं था। इसलिए फेसबुक को यह सिस्टम बंद करना पड़ा। बॉट्स द्वारा नई भाषा गढ़ना और उसमें संवाद करना दिए गए कोड्स के मुताबिक नहीं था।
रविवार को टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'AI ने दुनियाभर के कम्प्यूटर बंद करना या उस तरह की चीजें नहीं शुरू कीं, लेकिन उसने इंग्लिश का इस्तेमाल बंद कर दिया और अपनी बनाई एक भाषा का इस्तेमाल शुरू कर दिया।' शुरू में AI एजेंट एक-दूसरे से संवाद के लिए इंग्लिश का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक ऐसी भाषा गढ़ ली जिसे सिर्फ AI सिस्टम ही समझ सकें।
इससे फेसबुक रिसर्चरों को AI सिस्टम बंद करने पड़े और उन्हें अंग्रेजी में एक दूसरे से बात करने के लिए मजबूर करना पड़ा।