मरीना अब्रामोविच एक परफॉरमेंस आर्टिस्ट हैं. यूगोस्लाविया से आती हैं. इनका काम अनोखा है. क्योंकि इनकी परफॉरमेंस में ऐसा नहीं होता कि ये किसी स्टेज पर हों, और बाकी लोग इन्हें देख या सुन रहे हों. इनकी परफॉरमेंस ये ध्यान में रखते हुए की जातीं हैं कि वहां मौजूद सभी लोग इसका हिस्सा हों. कि वो मात्र परफॉरमेंस का भोग न करें, बल्कि खुद भी उसमें भाग लें.
मरीना को परफॉर्म करते हुए 30 साल से भी ज्यादा हो गए हैं. परफॉरमेंस आर्ट की दुनिया में इन्हें ‘बड़ी अम्मा’ कहा जाता है. क्योंकि इनकी परफॉरमेंस आपको खुद को टटोलने, अपने दर्द, दुख, अपने शरीर से बात करने पर मजबूर करती है. बिलकुल चुप रहकर की गई इनकी परफॉरमेंस लोगों को खुद से ही परिचित करवाती है.
कहते हैं जीवन में मुश्किलें हों तो सबसे सुंदर कला को जन्म मिलता है. सबसे सुंदर कविता एं रची जाती हैं. मरीना के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मां और पिता में बनती नहीं थी. बचपन में मां खूब पीटा करती थीं. शरीर और दिमाग को इतना कुचला गया, कि उसमें कला के कीटाणुओं ने जन्म ले लिया.
बड़े होकर फाइन आर्ट्स की ट्रेनिंग ली. फिर परफॉरमेंस करने लगीं. मूक, चेहरे पर दृढ़ता, आंखों में कठोरता मिश्रित दर्द.
मरीना ने रिदम नाम से कई परफॉरमेंस दीं. इसमें से इनकी कुछ परफॉरमेंस हमेशा याद रखी गईं. ऐसी ही एक परफॉरमेंस थी रिदम जीरो.
इटली के नेपल्स शहर में हुई इस परफॉरमेंस को लोग आज भी याद रखते हैं. परफॉरमेंस साल 1974 में हुई थी. मरीना इसके बारे में आज भी बात करती हुई देखी जाती हैं. 6 घंटे चली इस परफॉरमेंस में मरीना ने कुछ भी नहीं किया था. वो सारे कपड़े उतारकर बस खड़ी रहीं. पास में एक टेबल था. टेबल पर 72 चीजें रखी हुई थीं. वहां आए लोगों को उन 72 चीजों में अपनी पसंद की चीज से मरीना के साथ कुछ भी करना था. मरीना ने लिखा था कि उनके साथ जो भी कुछ होता है, उसकी जिम्मेदारी वो खुद लेंगी.
इस परफॉरमेंस में कोई स्टेज नहीं था. उनका लक्ष्य बस इतना था: वो देखना चाहती थीं कि ऐसी स्थिति में पब्लिक किस हद तक जा सकती है.
निर्देश ऐसे थे:
टेबल पर 72 चीजें हैं. लोग इनमें से कितनी भी चीजें मेरे ऊपर इस्तेमाल कर सकते हैं.
मैं इस परफॉरमेंस की वस्तु हूं.
इस दौरान जो भी होगा उसकी जिम्मेदारी मेरी होगी.
समय: 6 घंटे (शाम 8 से रात 2 बजे तक)
पहले तो उनके करीब केवल फोटोग्राफर आए. फिर लोग आने शुरू हो गए. पहले तो केवल उन्हें देखते रहे.
कुछ ने उन्हें हिलाया-डुलाया. हाथ-पांव हिलाए. उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर खड़ा कर दिया.
फिर लोग टेबल की ओर बढे.
टेबल पर सुंदर वस्तुओं से लेकर खतरनाक वस्तुएं थीं. पंख और फूल थे. ब्लेड, चाकू और बंदूक भी थे.
लोगों ने मरीना के ऊपर चीजें टांग दीं. रस्सी से बांधा.
एक व्यक्ति ने उन्हें ब्लेड से काट दिया.
एक और व्यक्ति ने उन्हें लोडेड बंदूक खुद पर तानने के लिए कहा.
एक व्यक्ति ने उन्हें नग्न कर उनका शरीर जहां-तहां छुआ.
लोगों को इसपर भी सुकून नहीं पड़ा. उन्होंने मरीना के शरीर में कांटे भोंक दिए.
जब परफॉरमेंस ख़तम हुई, यानी 6 घंटे बाद, मरीना ने कमरे में चलना शुरू किया. हर एक व्यक्ति के पास गईं. आंखों में आंखें डालकर खड़ी हो गईं. वे लोग जो उनको कुछ देर पहले हैरेस कर रहे थे, अब उनकी आंखों में भी नहीं देख पा रहे थे. मरीना ने उन्हें उनके अंदर का राक्षस दिखा दिया था.
(सभी तस्वीरें यूट्यूब से हैं)
मरीना ने बाद में कहा,
‘इस परफॉरमेंस ने ये बताया कि इंसानियत की सबसे बुरी चीज क्या है. लोग आपको असहाय पाकर आपको पीड़ा देने का एक भी मौका नहीं गंवाते. ये बताता है कि कितना आसान है किसी इंसान को वस्तु बनाकर उसके साथ बुरा बर्ताव करना. खासकर जब वो इंसान कमज़ोर हो, और लड़ने की शक्ति न रखता हो. इससे पता चलता है कि अगर लोगों को मौका मिले, उन्हें राक्षस बनने में ज़रा भी वक़्त नहीं लगता.’
ये लोग कोई और नहीं, हम हैं. हम वही भीड़ हैं जो सड़क पर चलती लड़कियों के स्तन निचोड़ देती है. कूल्हे पकड़ लेती है. जो एक्सीडेंट कर भाग जाती है. जो बेजुबान कुत्तों को मारकर जला देती है. जो पिटते हुए व्यक्ति का वीडियो बनाकर मजे लेती है. जो लोगों की कमियों पर हंसती है. जो किसी पॉकेटमार या शराबी को पा जाए तो पीट-पीटकर अधमरा कर देती है.
ये हम ही हैं, जो रात में चलती बस में लड़की का रेप कर उसकी योनि में रॉड घुसाकर उसके अंतड़ियों तक ज़ख़्मी कर देती है. और उसके दोस्त को पीटकर फेंक देती है.
हम वो लोग हैं, जो हिंसा करने के पहले एक पल भी नहीं सोचते. हम क्रूर हैं. और शायद हमें मरीना जैसी कोई स्त्री मिल जाए, तो हम उसका यौन उत्पीड़न कर उसके कच्चा खा जाएं.