खबर आ रही है कि शिफू मैदान छोड़ गए. उनकी वेबसाइट पर लिखा आ रहा है कि ये साइट हैक हो गई है. शिफू की असलियत पर तर्क हुए, तो ये हादसा हो गया. बताइए ना. ये कोई बात होती है. अगर कमांडो ट्रेनर जैसी सेंसिटिव पोस्ट पर बैठे आदमी की वेबसाइट हैक होती है तो मसला सेंसिटिव हो गया है. संसद में आना चाहिए. कहा जा रहा है कि शर्मिंदगी से बचने के लिए शिफू ने खुद ही बंद करवा दी होगी वेबसाइट. आप पढ़ लीजिए कि क्या हुआ था पहले-
देश दुनिया में एक बात है जो हर किसी को झुका देती है. वो है फ़ौज. हर कोई अपने देश की आर्मी की बेहद इज्ज़त करता है. हम सभी फौजियों को एक अलग सम्मान की निगाह से देखते हैं. क्योंकि हमें मालूम है वो क्या कर रहे होते है. अक्सर जिस हालातों में वो रह रहे होते हैं, वो अमानवीय होते हैं. मगर फिर भी जो उनका काम है उसे वो बखूबी निभाते हैं. मगर समस्या तब पैदा होती है जब ऐसी सेना या उस सेना के फौजियों का फ़ायदा उठाने वाला कोई शख्स सामने आ खड़ा होता है.
खुद को ग्रैंडमास्टर शिफूजी कहने वाला शौर्य भाराद्वाज. जो सहारा लेता है यूट्यूब का. उसपर वीडियो अपलोड करता है और भीड़ की मानसिकता का फ़ायदा उठाते हुए पॉपुलर सेंटिमेंट्स को हवा दी और ‘हीरो’ बन गया. शुरुआत हुई ये कहते हुए कि आर्मीमैन है. फिर सामने आया कि कमांडोज़ को ट्रेनिंग देता है. फिर दिखाई दिया फ़िल्म बाग़ी में. ये भी सुनाई दिया कि बाग़ी में टाइगर श्रॉफ को ट्रेनिंग दी है. लेकिन कुछ ठीक नहीं लग रहा था. और जिन्हें ठीक नहीं लग रहा था उनकी संख्या कम नहीं थी. अभिषेक शुक्ला नाम के एक शख्स ने इस आदमी के खिलाफ़ बाकायदे एक मुहिम छेड़ी हुई है. उसने मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफ़ेयर्स, डिफ़ेंस मिनिस्ट्री और इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री को ख़त भी लिखा है और उनसे इस आदमी की सत्यता के बारे में भी पूछा है. इसकी बनाई वेबसाइट पर ऐसा दिखाने की कोशिश की गयी है जैसे ये आर्मी के जवानों को ट्रेनिंग देता है. अभिषेक के इस वीडियो को देखें:
इसका चिट्ठा यहां मिलेगा.
तनी मूछें. तनी भृकुटियां. कड़क आवाज़. बेअदबी. गालियां. इन सब के कॉम्बो के साथ एक आदमी बैठा कुछ उवाच रहा होता है. नाम बताता है ग्रैंडमास्टर शिफूजी शौर्य भारद्वाज. कहता था कमांडोज़ को ट्रेनिंग देता है. फौजियों को ट्रेनिंग दी है. खुद की एक वेबसाइट बनवाई हुई है. पहले लिखा हुआ था कि आर्मी अफ़सर है और साथ में ट्रेनिंग देता है. बाद में हल्ला कटने पर वो सब कुछ वेबसाइट से हटा लिया. मगर अब भी वेबसाइट के टैब पर कर्सर रखने पर साइट के डिस्क्रिप्शन में लिखा है ‘Grabndmaster Shifuji Shaurya Bharadwaj, Indian Black Cat MARCOS Commandos, Indian Forces’ इसमें कहीं भी ये नहीं लिखा है कि वो ट्रेनर है. यहां ये लिखा है कि वो खुद इंडियन फ़ोर्सेज़ में इंडियन ब्लैक कैट मार्कोज़ कमांडो है.
हाल ही में जारी किए एक वीडियो में इसने ये स्वीकारा है कि ये कभी भी आर्मी में नहीं था और न ही इसने कभी भी आर्मी में किसी भी तरह से किसी को भी ट्रेनिंग दी है. मगर फिर भी उस यूट्यूब पर अपलोड किये गए उस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में इसने खुद को कमांडो मेंटर लिखा है. स्क्रीनशॉट हाज़िर है. और साथ ही में हैं कुछ तस्वीरें जो इस कथित ग्रैंडमास्टर की वेबसाइट से ली गयी हैं जहां ये वर्दीधारी लोगों को ट्रेनिंग करते हुए देखा जा सकता है. सब कुछ झूठ.
‘कमांडोज़’ को कथित ट्रेनिंग देते हुए शिफू की तस्वीरें:
इन हज़रात का नाम है शिफूजी शौर्य भारद्वाज, ऐसा हम नहीं ये कहते हैं. हम क्या कहते हैं, आगे बताते हैं. फिलहाल, बात इनके नाम की.
शिफूजी के दो हिस्से हैं. शिफू और जी. शिफू चीनी भाषा का शब्द है. जिसका अर्थ होता है एक कुशल टीचर. और इसी में इन्होंने आगे देसी वाला ‘जी’ जोड़ लिया है जो हम किसी को सम्मान देने के लिए इस्तेमाल करते हैं. तो बने ये शिफूजी. अब आलम ये है कि इन्होंने अपने नाम में खुद्दै ‘जी’ लगा लिया है.
इसके आगे बात इनके ‘असली’ नाम शौर्य भारद्वाज की. वैसे एक बात और है. कभी गूगल करियेगा और नाम ढूंढियेगा – दीपक दुबे. एकदम सेम शकल का आदमी. डिट्टो. वही शकल. वही नैन-नक्श. एक-दो वीडियो के थम्बनेल तो वही थे जो शौर्य भारद्वाज के नाम से यूट्यूब पर चढ़े हैं. या तो शिफूजी का कोई भाई था जो कुम्भ में खो गया था. काम वही कर रहा है. ट्रेनिंग दे रहा है. बॉडी बना रहा है. बना क्या रहा है, बना चुका है.
फ़िलहाल, एक बात तो पक्की है. कमांडो का तो पता नहीं, इस आदमी ने फ़िल्म एक्टर्स को ज़रूर ट्रेनिंग दी है. शिफू की वेबसाइट पर जो सबसे बड़ा फ़ीचर मालूम देता है तो वो है कि उसने टाइगर श्रॉफ को फिल्म ‘बाग़ी’ में कथित तौर पर ट्रेनिंग दी है. सबसे पहले उसका एक वीडियो नज़र आता है जिसमें वो टाइगर श्रॉफ के साथ दिख रहा है. उसके बाद चार तस्वीरें जिसमें वो टाइगर श्रॉफ को ट्रेनिंग दे रहा है. उसके बाद पांच वीडियो. एक जिसमें वो गालियां दे रहा है. और बाकी के पांच फिर से टाइगर श्रॉफ से जुड़े वीडियो. उसके बाद उसकी खुद की अकड़ से भरी कुछ तस्वीरें. और फिर शुरू होती है उसकी कमांडो ट्रेनिंग. यानी इंडिया में वर्ल्ड फ़ेमस ‘देशभक्त’ और ‘देश के लिए सब कुछ न्योछावर कर देने’ का माद्दा रखने वाले शिफू के लिए उसकी वेबसाइट पर कमांडो ट्रेनिंग की बारी 13वें नंबर पर आती हैं.
पहले से 12वें तक शिफू ने अपनी तस्वीरें और टाइगर श्रॉफ के वीडियो लगाए हुए हैं. यहां ग्लैमर है. एक अलग तरह का ग्लैमर है जो कमांडो ट्रेनिंग में भी मौजूद है. लेकिन यहां टाइगर श्रॉफ कमांडो ट्रेनिंग से ज्यादा जरूरी कर दिए जाते हैं.
जाने दीजिये, फ़िल्मों में पैसा लगता है. ‘बाग़ी’ से ये जुड़ा भी रहा, उसमें एक्टिंग भी की है. यकीनन मुनाफ़े की चाह होगी.
खैर, शिफू ने अपने एक नए वीडियो में कहा है कि वो कभी भी सैनिक नहीं रहा है. कहता है कि उसने अपने मुंह से कहीं भी कभी भी खुद को आर्मीमैन नहीं बोला. ठीक बात. मान लिया कि तुम आर्मी में कोई भी रैंकहोल्डर नहीं हो, लेकिन फिर सवाल ये उठता है कि तुम किस हक़ से आर्मी के कपड़े पहने हुए दिखते हो? किस हक़ से अपने गले में कमांडो का बैज लगाए घूमते हो?
ऊपर की तस्वीर देखिए, इसमें एक शिफू के वीडियो का स्क्रीनशॉट है, दूसरी तरफ उसकी वेबसाइट से ली तस्वीर है. वीडियो में शिफू के गले में कमांडो का बैज देखिए. उसे लाल तीर से दिखाया गया है. वहीं दाहिनी तरफ एक कमांडो के सर पर लगी टोपी, जिसे बेरे कहा जाता है, पर मौजूद कमांडो के बैज को देखिए. वो दोनों एक ही हैं. अगर शिफू सचमुच आर्मी अफ़सर नहीं है, कमांडो नहीं है तो उसके पास ये बैज कैसे पहुंचा? और वो खुद ही ये बात वीडियो में कह चुका है कि वो किसी भी तरह से कभी भी आर्मी में नहीं था. वो महज़ एक ट्रेनर था. तो उसके द्वारा आर्मी के इस चिन्ह का इस्तेमाल फिर भी किया जाना गंभीर बात है.
शौर्य भारद्वाज या दीपक दुबे खुद को लेजेंडरी ग्रांडमास्टर कहलवाता है. ये पहला लेजेंड है जो स्वघोषित है. बात जब स्वघोषित की हुई है और कमांडो की हो रही थी तो एक मज़ेदार चीज़ दिखाते हैं. किस तरह से ये इंसान कमांडो-पन से ऑबसेस्ड है. इस जनाब को कमांडो बनना है. ये शायद बचपन की एक दबी इच्छा है. आगे चलकर कमांडो बन न पाया. और इसीलिए शक्तिमान की ड्रेस पहन घूमते बच्चों की तरह ये भी वैसी ही पोशाक चाहता है. शिफू की वेबसाइट पर एक फ़ोटो है. स्वयं उसकी. उसमें गले में नीला स्कार्फ़ डाला है. जिस पर इसने बाद में कम्प्यूटर से कमांडो लिख दिया. हमने जब गले में पड़े स्कार्फ़ को ज़ूम करके देखा तो मालूम चला कि उस स्कार्फ़ में सिलवटें पड़ी हुई हैं. आप जब भी गले में स्कार्फ़, रुमाल या कोई कपड़ा डालेंगे तो उसमें सिलवटें पड़ेंगी ही. और ऐसे में अगर उस सिलवट पर कोई लोगो या निशान होगा तो वो भी मुड़ जाएगा. मगर शिफू का स्कार्फ़ इतना देशभक्त निकला कि उसमें कपड़ा मुड़ गया मगर लोगो नहीं मुड़ा. अगली फोटो में देखें.
शिफू खुद को कमांडो ट्रेनर कहते थे. अब मेंटर शब्द पर आ गए हैं. इनके हिसाब से इन्होंने CQB को जन्म दिया है. CQB यानी Closed Quarter Battle. बाद में ये कहने लगे कि इनकी बनाई हुई टेक्नीक असल में असली CQB का बदला हुआ रूप है. अगले वीडियो में हम आपको दिखा रहे हैं वो वीडियो में जिसमें CQB के जनक दीपक राव को CQB के लिए सम्मानित किया जा रहा है. उन्हें ये सम्मान 1 नवंबर 2011 को दिया गया था. उन्हें पैरा टीए रेजिमेंट में मेजर की रैंक दी गयी थी. उनके ही साथ ठीक उसी दिन उस वक़्त के इंडियन क्रिकेट कप्तान एम एस धोनी को लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गयी थी. वीडियो में वो भी मौजूद दिखाई दे रहे हैं. मेजर दीपक राव ने अपनी पत्नी डॉक्टर सीमा राव के साथ लगभग 15,000 सैनिकों को क्लोज्ड क्वार्टर बैटल में ट्रेनिंग दी थी.
शिफू यकीनन फिट है. उसने ज़रूर अपने ऊपर सालों मेहनत की है. उसकी मेहनत कुछ फोटो में दिखती है. सधी हुई देह और फ्लेक्सिबिलिटी है. मगर इसका मतलब ये नहीं कि वो दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कमांडो ट्रेनर है. दुनिया की सबसे अच्छी क्रिकेट टीम के लिए आईसीसी ने रैंकिंग बनाई है. वर्ल्ड कप होता है. टेनिस में विम्बलडन होता है. उनकी भी अपनी एटीपी रैंकिंग है. टीवी में टीआरपी होती है. लेकिन मुझे नहीं मालूम दुनिया में ऐसी कौन सी प्रतियोगिता होती है जो ये तय करती है कि अमुक व्यक्ति दुनिया का सबसे अच्छा कमांडो ट्रेनर है.
शिफू उभरा था कश्मीर में सैनिकों पर हुए उड़ी हमले के दौरान. उसने पहले पिछले साल ही इसने अपने यूट्यूब चैनल पर आक्रामक भाषा और निष्कर्षों वाले थोथे भाषण वाले वीडियो डालने शुरू किए थे. सबसे पहला वीडियो जेएनयू वाले इश्यू पर डाला था. अति-राष्ट्रवादी मानसिकता वाले लोगों को जो बहुत पसंद आया. उसके बाद एेसे ही विषयों पर वीडियो डालकर शिफू ने अपनी छवि क्रिएट करने की कोशिश की ताकि पब्लिक फिगर बने और पब्लिक डिस्कोर्स को प्रभावित करे. फिर जब कश्मीर में उड़ी हमला हुआ तो इसका वीडियो बहुत आपत्तिजनक था. इसमें उसने भद्दी भद्दी गालियां और कानून हाथ में लेने जैसी बातें कर डाली थी. इस पर हमने स्टोरी भी की थी. इस वीडियो की शुरुआत का नमूना मात्र पढ़ लें, “चेतावनी. वार्निंग. भ*ए, गद्दार, गां*, हरामखोर और लौ* इस वीडियो को न देखें. क्यूंकि अगर आगे देखते हो और अगर गां* और गद्दार हो तो आज का* और गां* दोनों से खून निकलने की ज़्यादा आशा है.”
गालियों और गुंडई वाली भाषा के मामले में इसका शब्दकोष काफी रिच मालूम देता है. छाती पर भगत सिंह, राजगुरु और ऊधम सिंह की तस्वीरें चिपका रखी हैं और विद्वान गालियों के मामले में है. ये तीन क्रांतिकारी आज जिंदा होते तो कितने दुखी होते. क्योंकि इनके आदर्श कभी भी वैसे नहीं रहे जैसे ये आदमी फैलाने की कोशिश करता है. अपने इस वीडियो के शुरू में ही शिफू जो कहता है उसका मतलब ये बनता है कि ऐसा मत समझो कि जो गालियां देता है वो स्त्रियों का सम्मान नहीं करता. क्योंकि जो गाली नहीं देते हैं वो बड़े दूध के धुले नहीं होते.
अब ये लॉजिक समझ सकें तो आप ही समझें.
ख़ैर, बात जब भाषा लिखने की आती है तो इस भाषावि ज्ञान ी की हवा टाइट होती दिखती है. उसकी वेबसाइट पर उसकी तस्वीर के ठीक नीचे लिखी लाइनों में कुछ मतलब बनता हो तो 505050404040 पर संपर्क करें. ईनाम की उचित सुविधा है.
शिफू असल में हमारे सामने एक उदहारण हैं. इस बात का कि हम, एक भीड़ के तौर पर कितने कच्चे हैं. इस आदमी ने लोगों के पॉपुलर सेंटिमेंट्स के साथ खेल कर एेसी छवि बना ली है कि इसके बारे में कोई कुछ भी कहता है तो आलोचना करने वालो को देशद्रोही, पाकिस्तानी और गद्दार कहा जाता है. मां और बहन की गंदी गालियां तो एेसी कि बता नहीं सकते. ये एक तथ्य है कि कुछ सांकेतिक बातों और युद्ध-उन्मादी भाषा के दम पर हमें कितनी जल्दी और कितनी आसानी से बरगलाया जा सकता है. हमारे विश्वास की लेयर इतनी पतली है कि उसे तुरंत ही छेदा जा सकता है और उसमें घर बनाया जा सकता है. शिफू के भी भक्त हैं मार्केट में. वो कइयों का हीरो है. अगर वो फ़िटनेस, और फिटनेस-रिलेटेड बातों में हीरो हैं तो अच्छी बात है. उसने ट्रेनिंग ली है और वो अपने हुनर में माहिर भी हो सकता है. लेकिन ये तब तक ही सही है जब तक वो टाइगर श्रॉफ या श्रद्धा कपूर को कुछ स्टंट सिखाए. जैसे ही वो सेना के प्रवक्ता या उनसे मसलों पर किसी नियुक्त अधिकारी की तरह बात करने लगता है तो बड़ा भारी अपराध होता है. अपनी बातों से, इनसिग्निया से और बाहरी इमेज से वो जब सैनिक लगने की कोशिश करता है तो दिक्कत होती है.
‘सेना’, ‘भूतपूर्व सेनानी’, ‘सोल्जर’, ‘देशभक्त’ और ऐसे ही शब्द आज-कल ट्रेंड में हैं. सैकड़ों लोगों ने अपनी पॉपुलैरिटी बना ली है इन्हीं शब्दों का सहारा लेकर. शिफू भी उनमें से एक है. मुझे नहीं मालूम कि कौन सा ट्रेनर, कौन सा आर्मीमैन अपने सामने कैमरा रखकर बैकग्राउंड में एक म्यूज़िक डालकर गालियां बकता दिखाई देगा. इस बाबत तमाम सेना के अफ़सर ये पहले ही क्लियर कर चुके हैं कि शौर्य भाराद्वाज या शिफू का किसी भी तरह से इंडियन आर्मी के साथ किसी भी तरह का कोई नाता नहीं है. एेसे अलग कमांडो ट्रेनर मौजूद हैं जो इंडियन कमांडोज़ को ट्रेनिंग दे रहे हैं. मेजर आशीष चतुर्वेदी जो उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व सैनिक संघ के प्रेसिडेंट हैं, उन्होंने पहले तो गोरेगांव पुलिस स्टेशन में शिफू के खिलाफ़ एफ़आईआर लिखवाई और बाद में मुंबई पुलिस कमिश्नर को ख़त लिखकर उसके खिलाफ़ एक्शन लिए जाने की मांग की. अब आप समझें कि किस पर विश्वास करेंगे. एक यूट्यूब और टाइगर श्रॉफ के साथ दिखने वाले स्वघोषित कमांडो ट्रेनर की झूठी बातों पर या फिर उनकी जो सच मुच की सेना में काम करने के बाद रिटायर हुए.
शिफू इस वक्त एक बादल है जो गरज रहा है. गरजने वाला बादल कम ही बरसता है.
साभार:द लल्लनटॉप