गाय. हमारे देश की बहुसंख्यक जनता की आस्था का एवरेस्ट. पिछले कुछ अरसे से अक्सर चर्चा में रहती है. हम गाय को पूजते हैं. हम गाय के नाम पर हिंसा को जायज़ ठहरा देते हैं. यहां तक कि गाय के नाम पर इंसान को मार डालने का कलंक भी लग चुका इस मुल्क के माथे पर. बस कुछ अगर हमसे या हमारे रहनुमाओं से नहीं होता तो वो है इन्हें ठीक से रखने का इंतजाम.
राजस्थान में हो रही भयंकर बरसात में सैकड़ों गायों की जान चली गई है. क्या गौरक्षक, क्या गोशालाएं और क्या सरकार! कोई इनकी रक्षा नहीं कर सका. करीब 800 गायें मारी गई हैं. सैकड़ों अब भी फंसी हुई हैं.
राजस्थान के जालौर की पथमेड़ा गोशाला को दुनिया की सबसे बड़ी गोशाला माना जाता है. जहां एक साथ 50,000 हज़ार गायें एक ही गोशाला में रहती हैं, जबकि इनकी कई गोशालाएं हैं. पिछले तीन-चार दिनों से राजस्थान में ज़बरदस्त बारिश जारी है. 25 जुलाई को गोशाला में पानी भर गया. इंसान तो जान बचाकर भाग लिए लेकिन गायें न जा सकीं. कई गायें डूब गईं. उस वक़्त गोशाला में गायों के बचाव के लिए कोई संसाधन नहीं थे. एक अकेली गोशाला में ही 615 गायें मर गईं. तब से अब तक गोशाला का पानी नहीं उतरा है. कई गायें फंसी हुई हैं .
पथमेड़ा गोशाला के गौ सेवक दिनेश पुरोहित का कहना है, ‘अचानक नर्मदा नहर टूटने से पानी बहुत ज़्यादा भर आया. हम कुछ कर पाते इससे पहले ही सब बरबाद हो गया.’ पथमेड़ा के ही गोविंद वल्लभ जी महाराज का कहना है, ‘हमारे पास प्रशासन की मदद काफी देर से पहुंची. ये इलाका तीन दिन से बाकी इलाकों से कट गया था. हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वो मदद के लिए आगे आएं.’
सिरोही जिले के केसुआ गांव की नंदगांव गोशाला में भी 200 गायों की मौत हो गई है. इस गोशाला में जहां गायें रहती थीं, वहीं मिट्टी का कटाव हो गया. पूरे इलाके में कम से कम 4,000 गायें फंसी हुई हैं. इलाके में हर तरफ पानी ही पानी नज़र आ रहा है. हाइवे, गांव, शहर सब डूब से गए हैं. जगह-जगह गायों की लाशें तैरती नज़र आ रही हैं. तीन दिन बाद पहुंचा प्रशासन बड़े-बड़े गड्ढे खोद कर गायों को दफना रहा है. ताकि संक्रमण और बीमारी का ख़तरा न हो.
जिस देश में गाय आस्था का विषय हो, वहां उसकी सुरक्षा की, देखभाल की व्यवस्था में इतना बड़ा झोल होना सवाल तो खड़े करेगा ही. जहां इतनी संख्या में गायें हो, वहां उनका ध्यान रखने की कुछ तो बेसिक व्यवस्था होनी ही चाहिए थी. बारिश, बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रशासन के पास भी कुछ योजना होनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. इतनी ज़्यादा संख्या में गायें मर गई हैं, प्रशासन से जवाबदेही कोई नहीं कर रहा. अभी किसी के फ्रिज में गोमांस होने की अफवाह भर फ़ैल जाए, लोग उसकी लाश गिराने पहुंच जाएंगे. ऐसा सिर्फ हमारे मुल्क में ही संभव है.