मान लीजिए X और Y पति-पत्नी हैं. पत्नी Y ने अपनी रजामंदी से किसी और पुरुष Z से सेक्स किया. किया तो किया. हम इसे ज्यादा से ज्यादा क्या कहेंगे? कहेंगे कि दो वयस्क हैं, कर लिया. हां, मानवीय स्तर पर इससे X को महसूस हो सकता है कि ये धोखा है. वो हर्ट हो सकता है. होना भी चाहिए. मगर आपको मालूम है कि पत्नी की इस धोखेबाजी के लिए हमारे पीनल कोर्ट में नियम है?
शायद आपको विश्वास न हो. मगर इंडियन पीनल कोड की धारा 497 के मुताबिक़ पत्नी Y विवाह के बाहर पुरुष Z के साथ सेक्स कर सकती है. मगर, मगर, मगर. इसके लिए Z को पति X से इजाज़त लेनी होगी!
सही समझे. इंडियन पीनल कोड के मुताबिक़ कोई परुष चाहे तो दूसरे पुरुष से इजाज़त लेकर उसकी पत्नी के साथ सेक्स कर सकता है. ये बात और है कि पत्नी की रजामंदी नहीं मिली तो ये रेप के दायरे में आ जाएगा. मगर किसी की बीवी से ‘संबंध’ बनाने के लिए उसके पति से इजाज़त?! और अगर इजाज़त नहीं ली तो उसे कानून के मुताबिक़ कम से कम 5 साल की सजा होगी.
इसे पढ़ते हुए आपके दिमाग में कई चीज़े आई होंगी. जैसे:
1. पति क्यों रज़ामंदी देगा?
2. औरत कोई प्रोपर्टी नहीं है. उस आदमी ने दूसरे आदमी की पत्नी के साथ सेक्स किया है, उसकी तिजोरी में बंद सोना नहीं लूटा है. सज़ा कैसी फिर?
3. लोगों का अपनी शादी से बाहर सेक्स करना गलत है?
4. लोगों का अपनी शादी से बाहर सेक्स करना गलत है, लेकिन इस बात पर सज़ा नहीं होनी चाहिए.
5. क्या पत्नी को भी सज़ा होगी?
6. अगर कोई शादीशुदा आदमी अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी औरत के साथ सेक्स करे, तब क्या?
इन सवालों के जवाब में सबसे पहले आपको ये बता दूं कि पत्नी को सज़ा नहीं होगी. और हां, अगर यही काम पुरुष करता है, यानी पति X अगर शादी के बाहर किसी औरत से अफेयर रखता है तो उसे इसके लिए अपनी पत्नी से किसी भी इजाज़त की ज़रुरत नहीं है.
IPC के इस सेक्शन के पेंच कितने ढीले हैं. पढ़कर ऐसा महसूस होता है कि औरत घर की कोई प्रॉपर्टी है. जैसे मेज या कुर्सी. या कोई औजार. जब जरूरत पड़ी, कोई अन्य पुरुष मांगकर ले गया. और इस्तेमाल कर उसे लौटा दिया.
दूसरा, ये पुरुषों और महिलाओं में कितना अंतर करता है! महिला को इजाज़त मांगनी पड़े और पुरुष को नहीं. और जो महिला बिना इजाज़त किसी गैर पुरुष के साथ अफेयर करती पकड़ाई तो उसका प्रेमी सजा भुगते. जबकि पति के केस में ऐसा कुछ भी नहीं.
तीसरा इसकी ज़रूरत ही क्या है? शादी के बाहर अफेयर होना किसी का भी पर्सनल मसला होता है. हर व्यक्ति, जो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करता पाया जाता है, अलग-अलग वजहों से पाया जा सकता है. कभी-कभार पति-पत्नी में बनती नहीं, कभी वो एक दूसरे को संतुष्ट नहीं कर पाते तो कभी उनसे शादी का बोझ संभाला नहीं जा रहा होता.
कमाल की बात तो ये है कि जाने कितने ही युवा लड़के और लड़कियों की शादी बिना उनकी मर्जी से कर दी जाती हैं. वो दबाव में साथ रहने को मजबूर होते हैं. मगर कानून ने अपने बिना इजाज़त अपने बच्चों की शादी अनजान लोगों से कराने की तो कोई सजा नहीं रखी?!
2011 में सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने ‘एडल्ट्री’ के एक केस की सुनवाई के वक्त कहा था:
‘अगर कोई औरत किसी दूसरे शादीशुदा आदमी के साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप में है तो उस औरत को सज़ा नहीं होगी, जबकि वो आदमी ज़रूर सज़ा का पात्र है.’
अगर पति किसी गैर स्त्री से यौन संबंध रखता भी है. और पत्नी इससे होने वाले ट्रॉमा की शिकायत कोर्ट में करती है, तो उसे ‘एडल्ट्री’ नहीं, बल्कि सेक्शन 498-A के तहत शिकायत करनी होती है. ये वही धारा है जो दहेज और ससुराल में मिली अन्य प्रताड़नाओं के होने पर लगती है. ऐसे में मुमकिन है कि पुरुष को किसी और से प्रेम करने की सजा उतनी भारी मिले, जितनी दहेज के लिए अपनी पत्नी को पीटने पर मिल सकती है.
‘एडल्ट्री’ एक बड़ा शब्द है, जिसकी परिभाषा विस्तृत हो सकती है. किसी के लिए पति या पत्नी का गैर पुरुष से मिलना भर ‘धोखे’ की श्रेणी में आ सकता है. कोई पति या पत्नी की गैर स्त्री या पुरुष से गहरी मित्रता को भी नॉर्मल और स्वस्थ तरीके से ले सकता है. वहीं कुछ लोग ‘ओपेन मैरिज’ में विश्वास रख सकते हैं, जिसमें पति और पत्नी शादी के बावजूद विवाह के बाहर लोगों से बाखुशी अफेयर रखते हों.
‘एडल्ट्री’ मानवीय प्रवृत्ति का एक हिस्सा है. और मानवीय प्रवृत्तियों की तय परिभाषाएं नहीं हो सकतीं.
साभार: द लल्लनटॉप