रेप की बात सुनकर गुस्सा तो आता है. लेकिन दूसरे पहलू को सुना जाना भी उतना ही ज़रूरी है. जितना विक्टिम को इंसाफ दिलाना. और इसी के लिए देश के अदालतें हैं. जहां कायदे क़ानून हैं. दोनों पक्षों को सुना जाता है. लेकिन जम्मू-कश्मीर की एक पंचायत ने एक लड़की के रेप के इल्ज़ाम में 25 साल के एक लड़के को ऐसी सज़ा सुनाई कि कथित तौर पर उससे बचने के लिए लड़के ने खुद को ही ख़त्म कर डाला. पंचायत का फैसला था कि लड़के को लड़की का पेशाब पीना पड़ेगा. लड़के ने मरने से पहले अपने मोबाइल में अपना वीडियो बनाया, जिसमें उसने ऐसी बातें कहीं. जो बहुत सही हैं. रेप के मामले में जो फैसला पंचायत ने सुनाया वो यकीनन शर्मनाक है. क्योंकि अगर लड़की का रेप हुआ है तो उसकी सज़ा लड़की के घर वालों को पैसे दे देना, या पेशाब पिला देना कैसे हो सकता है? मामला जम्मू-कश्मीर के रजौरी जिले का है, जो जम्मू से 150 किलोमीटर दूर नॉर्थवेस्ट में हैं. मोहम्मद अब्दुल्लाह के बेटे फजल हुसैन पर एक लड़की का रेप करने का इल्ज़ाम था. एक हफ्ते पहले इस मामले में पंचायत ने फज़ल हुसैन को लड़की का पेशाब पीने की सजा सुनाई. फज़ल हुसैन ने इस फैसले से परेशान होकर समर सर झील में कूदकर जान दे दी. 30 जुलाई को फ़ज़ल हुसैन की लाश पीर पिंजल रेंज में समर सर झील से बरामद की गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्टेशन ऑफिसर मोहम्मद जहांगीर का कहना है कि फज़ल हुसैन ग्रेजुएट था और शादीशुदा भी था. हुसैन को कुछ बुजुर्गों ने लड़की के परिवार को पैसे देने या फिर उनका पेशाब पीने को कहा था. सजा तय करने में दो मुफ्ती भी शामिल थे. हमने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है. हिंदुस्तान टाइम्स से राजौरी के एसएसपी यौगल मन्हाज ने बताया कि मरने से पहले फज़ल हुसैन ने मोबाइल में एक वीडियो शूट किया है, ये मोबाइल उसके रिश्तेदार के पास मिला है. वीडियो में फज़ल हुसैन ने खुद को निर्दोष बताया है. और पंचायत के फैसले को गलत बताया है. वीडियो में हुसैन ने कहा है, ‘लोगों ने अपने घरों की चारदीवारी में ही कोर्ट बना लिए हैं. यह लोग खुद ही तय कर लेते हैं कि क्या सही है और क्या गलत. मुझ पर लगे इल्जाम सही थे या नहीं, यह एक ऐसी कोर्ट में तय किए गए जो चारदीवारी के अंदर बना था.’ वीडियो में हुसैन ने यह दावा भी किया था कि उसने लड़की का मेडिकल टेस्ट कराने को कहा, ताकि सच सामने आ सके. लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई. हुसैन का कहना था, ‘इस्लाम का मतलब होता है इंसाफ. यह कैसा इंसाफ है जो एक मुसलमान को पेशाब पीने के लिए मजबूर करता है.’ फज़ल हुसैन का कहना था कि उसने इस मामले में इलाके के लोकल इमाम से बात की थी कि वो उसकी मदद करें, और पंचायत के फैसले में दखल दें. लेकिन उन्होंने मदद करने से इंकार कर दिया. एसएसपी का कहना है कि पंचायत ने पहले रेप करने के इल्ज़ाम में फज़ल को बोला कि वो लड़की के घर वालों को हर्जाने के तौर पर पैसे दे. फजल ने पैसे देने से मना कर दिया. तब उसे पेशाब पीने का फैसला सुनाया गया. इस काम के लिए उसे दो दिन का टाइम दिया गया. लेकिन 30 जुलाई को उसकी लाश मिली. पंचायत के फैसले कितना शर्मनाक है. अगर ये मान लिया जाए कि फज़ल ने रेप किया था तो ये कैसा फैसला था कि उसके बदले में लड़की के घर वालों को पैसा दिया जाए. क्या रेप करने के बाद पैसा देने से इंसाफ हो जाता है? दूसरा फज़ल ने जो बातें कहीं वो बहुत सही नजर आती हैं कि पंचायत ने फैसला सुनाने से पहले लड़की का मेडिकल क्यों नहीं कराया? क्या ये बेहतर नहीं होता कि मामले की सुनवाई संवैधानिक अदालत में होती. अगर फजल के आरोपों में सच्चाई है तो क्या अब पंचायत फ़ज़ल को इंसाफ दिला पाएगी? साभार : द लल्लनटॉप