# अगस्त 2015: दादरी के कैमराला गांव में मवेशी चोरी के शक में भीड़ ने अनफ, आरिफ और नाजिम को पीट-पीटकर मार डाला. भीड़ ने वो ट्रक भी जला दिया, जिसमें दो भैंसें थीं.
# सितंबर 2015: दादरी के बिसाहड़ा गांव में घर में बीफ रखे होने के शक में ‘गोरक्षकों’ ने 50 साल के मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी और उनके 22 साल के बेटे को घायल कर दिया.
# अक्टूबर 2015: जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में बीफ ले जाने के शक में भीड़ ने एक ट्रक पर हमला कर दिया और 18 साल के जाहिद बट को बुरी तरह पीटा. बाद में ट्रक में कोयला पाया गया और 10 दिन बाद घायल जाहिद की मौत हो गई.
# अक्टूबर 2015: शिमला के पास सराहन गांव में गाय की तस्करी के शक में भीड़ ने 22 साल के नोमन की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
# मार्च 2016: झारखंड के चतरा जिले में ‘गोरक्षकों’ ने गोवंश की तस्करी के शक में 35 साल के मोहम्मद मजलूम अंसारी और उनके 15 साल के बेटे इम्तियाज खान को मारकर पेड़ से लटका दिया. बाद में पता चला कि वो मवेशियों के व्यापार ी थे और आठ बैलों को बेचने के लिए पशु बाजार ले जा रहे थे.
# सितंबर 2016: गुजरात के अहमदाबाद में ‘गोरक्षकों’ ने 29 साल के मोहम्मद अयूब को पीटकर मार दिया. ‘गोरक्षकों’ का आरोप था कि अयूब अपनी गाड़ी में एक गाय और बछड़ा ले जा रहा थे. गुजरात के ही उना में मरे जानवरों का चमड़ा उतारने वाले दलितों को सड़क पर पीटा गया था.
# मार्च 2017: असम के नागाओ जिले में गाय की चोरी के संदेह में भीड़ ने अबू हनीफा और रियाजुद्दीन नाम के दो नौजवानों की पीटकर हत्या कर दी. भीड़ उन्हें डेढ़ किमी तक पीटती रही.
# अप्रैल 2017: राजस्थान में जयपुर के एक सरकारी मेले से दुधारू गाएं लेकर हरियाणा के नूंह में अपने घर आ रहे पहलू खान को ‘गोरक्षकों’ ने पिटाई कर दी. दो दिन बाद हॉस्पिटल में पहलू की मौत हो गई. हत्या के सभी आरोपी हिंदूवादी संगठनों के सदस्य हैं.
# जून 2017: हरियाणा के बल्लभगढ़ में ट्रेन से जा रहे 16 साल के जुनैद का सीट को लेकर विवाद हुआ. इसके बाद अफवाह फैला दी गई कि उसके पास बीफ है और भीड़ ने उसे चाकुओं से गोदकर और पीटकर मार डाला.
# जून 2017: पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिले में भीड़ ने गाय की चोरी के शक में समीरुद्दीन, नसीरुल और नासिर नाम के तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
अब अगस्त 2017 पर आते हैं.
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक की शगुन गोशाला में पिछले सात दिनों में 200 से ज्यादा गायों की मौत की खबर है. ये गोशाला बीजेपी नेता और जामुल नगर पालिका के उपाध्यक्ष हरीश वर्मा चलाते हैं. गोशाला के संचालन के लिए जो सोसायटी बनी है, उसे राज्य सरकार से पैसा भी मिलता है. ये गायें खाना न मिलने की वजह से मर गईं.
गायों को गोशाला में ही भूख से मार दिया गया
स्थानीय लोगों का दावा है कि शगुन गोशाला में 200 से ज्यादा गायों की मौत हुई. कोई विवाद न हो, इसलिए सोसायटी ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग को बताए बिना लाशों को गोशाला के अंदर ही गड़वा दिया. लोगों से जानकारी मिलने पर SDM राजेश पात्रे गोशाला पहुंचे और बताया कि बुधवार को 17 और गुरुवार को 10 गायों का पोस्टमॉर्टम हुआ है. उन्होंने पाया कि गोशाला में गायों के लिए पर्याप्त खाना नहीं था और गायें भूख की वजह से मरी हैं. पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने जांच के लिए चार लोगों की कमेटी बनाई है.
क़त्लख़ाने के ट्रकों में ही नहीं, गोशाला में भी ठूसकर रखा गया
छत्तीसगढ़ सरकार ने गोरक्षा के लिए गौसेवा आयोग बनाया है. ये आयोग राज्य की सभी गोशालाओं को पैसे देता है. इसके अध्यक्ष बिस्वेश्वर पटेल के मुताबिक सरकार शगुन गोशाला को 93 लाख रुपए दे चुकी है. वहीं हरीश वर्मा का कहना है, “पटेल निजी खुन्नस निकालने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं. जगह और खाने की कमी के बारे में मैंने कई बार आयोग को बताया. गोशाला के लिए अनुदान भी बंद किया जा चुका है.” वर्मा की गोशाला में 220 गायों के रहने की जगह है, जबकि अभी वहां 600 से ज्यादा गायें रह रही हैं. वो कुपोषित हैं और अधिकतर एनीमिया से पीड़ित हैं.
सरकारें देश की माई-बाप होती हैं. इस बहुत बड़ी घटना के बाद सारा जिम्मा सत्ता वर्ग पर आ गया है.
रमन सिंह ने क्या कहा था गोहत्या करने वालों के लिए
क्योंकि गाय को लेकर हमारे समाज का मौजूदा रेफरेंस समझ लें. इसके नाम पर लोगों को सड़कों पर पटक पटक कर मारा जा रहा है. ये मर्डर रोज हो रहे हैं. इंसानों की इन हत्याओं को लेकर प्रशासन या सरकारों में कोई outrage नहीं दिखा है. कोई बेचैनी नहीं दिखी है. हालांकि वे गायों को लेकर बहुत pro-active बने हुए हैं. ठीक है. अगर गाय को लेकर उन्हें वाकई इतना संवेदनशील रहना है तो फिर हर गाय की मौत के लिए किसी एक इंसान की जवाबदेही तय होनी ही चाहिए. खासकर तब जब गायें सरकारी संरक्षण वाली मरें तो सरकार के लोगों को सज़ा मिलनी ही चाहिए. मुख्यमंत्री रमन सिंंह जी, ये सवाल आपसे है? 1 अप्रैल, 2017 को आप ही ने बहुत ज़ोर देकर कहा था –
याद रखें, आपने कहा था, जो मारेगा उसे लटका देंगे.
केंद्र में और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ही सरकार है. इन्होंने कह रखा है कि पूरे देश में गाय को संरक्षित करेंगे. अच्छी बात. लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक 200 गाएं मर गई हैं. इतना बड़ा मामला हो गया लेकिन सरकार ने अब तक उतना बड़ा कदम नहीं लिया है. रमन सिंह ने शुक्रवार को कहा है कि कलेक्टर लोग राज्य में सब गोशालाओं का निरीक्षण करेंगे. लेकिन ये काफी नहीं हैं. जितने लोग अब तक गायों के नाम पर मारे गए, उनके परिजनों और सिविल सोसायटी के बाकी लोगों को जवाबदेही चाहिए. और ये सरकार के स्तर पर होनी चाहिए, निचले लेवल पर नहीं.
क्या कहता है पशु क्रूरता अधिनियम
छत्तीसगढ़ का पशु क्रूरता अधिनियम कहता है कि गोहत्या और बीफ ट्रांसपोर्टेशन प्रतिबंधित है और ऐसा करने पर सात साल कैद या 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा होगी. शगुन गोशाला में लापरवाही की वजह से जिन गायों की जान गई वो हत्या से कम नहीं है.
वर्ल्ड पॉलिटिक्स में अगर किसी सरकार का गाय जैसा कोई बड़ा एजेंडा हो और बाद में वही गायें दर्जनों की संख्या में सरकारी देखरेेख में मारी जाएं तो सरकारों को इस्तीफे देने पड़ जाते हैं. अब इंतजार है कि क्या इंडिया में भी ऐसा ही होगा.
इस मसले पर गंभीर जवाबदेही इसलिए जरूरी है क्योंंकि कुछ सर्वे मान रहे हैं कि मौजूदा सरकार फिर से सत्ता में आने की संभावना रखती है. अगर ऐसा होता है तो तो अगले 5 साल ये नहीं हो सकता कि दूध के लिए गाय ले जाते वाहनोंं को रोककर भीड़ हत्या कर दे और सरकारी गोशाला में 200 गाएं मर जाएं और सरकार में किसी की जिम्मेदारी न तय हो. ये नहीं हो सकता. स्पष्टता होनी चाहिए.